आरंभिक पुनरुत्थान कालीन कला
Early Renaissance Art
1320/30 ई0 – 1500 ई0 तक
आरंभिक पुनरुत्थान कालीन कला के कलाकार 14वी से 15 वीं शताब्दी के मध्य फ्लोरेन्स (इटली) मे पुनरुत्थान कला का आरंभिक काल था ।
इसके प्रमुख कलाकार
- मसाच्चियों
- लोरेंजों घिबर्ती
- पिएरा डेला फ्रांसेसका
- दोनातेल्लो
- फ्रा एंजेलिकों
- पाओलो उच्चेल्लों
- फ्रा फिलिप्पों लिप्पी
- आंद्रिया मेंटेग्ना
- सैंड्रो बोत्तिचेल्ली
- वेरोचियों
दोनातेल्लो (Donattelo)
(1386 – 1466 ई0 )
दोनातेल्लो का जन्म 1386 मे फ्लोरेन्स (इटली ) मे हुआ था ।
दोनातेल्लो फ्लोरेन्स का प्रथम महान शिल्पी ओर माइकेल एंजिलों से पहले 15 वीं शताब्दी का सर्वाधिक प्रभावशाली मूर्तिकार था ।
आरंभिक पुनरुत्थान युग के इस मूर्तिकार ने घिबर्ती की कार्यशाला मे शिक्षा ली थी ।
उसके प्रसिद्धि कलाकृतियों मे सेंट जॉर्ज ( फ्लोरेन्स डेविड (1449 ई0 कांस्य ) तथा इक्वेस्ट्रियन मानुमेंट ऑफ गैटेमेलेटा (1453 ई0 कांस्य पियाजा डेल सेंटो , पादुआ , इटली ) इत्यादि है ।
दोनातेल्लो की सर्वाधिक प्रसिद्धि उसके द्वारा बनाए गए डेविड के दो मूर्तिशिल्पों से है । प्रथम संगमरमर मे 1408-09 ई0 के मध्य की निर्मित तथा दूसरी कांसे मे ढाली गई 1430 ई0 की है आज ये दोनों कृतिया बारगैलो म्यूजियम फ्लोरेन्स मे प्रदर्शित है ।
दोनातेल्लो ने अपनी मूर्तियो के निर्माण मे कांस्य ढलाई की स्मेल्टिंग विधि का प्रयोग किया ।
फ्रा एंजेलिकों (Fra Angelico)
(1395 – 1455 ई0 )
फ्रा एंजेलिकों का जन्म 1395 मे इटली के फ्लोरेन्स मे हुआ था ।
पुनरुत्थान काल के दोमिनिकन चित्रकारों मे सर्वश्रेष्ठ चित्रकार फ्रा एंजेलिकों था ।
फ्रा एंजेलिकों का वास्तविक नाम गुइदों दा पित्रों था ।
फ्रा एंजेलिकों ईसाई धर्म का प्रचारक अधिकारी था ।
फ्रा एंजेलिकों ने अपनी कला को धर्म प्रचार मे लगाया था ।
फ्रा एंजेलिकों को फूलो का चित्रण बहुत प्रिय था ।
फ्लोरेन्स की कला मे मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति का चित्रकार था ।
आकृतियो की कोमलता के कारण पुनरुत्थान काल का सर्वप्रिय कलाकार फ्रा एंजेलिकों था ।
वह मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति का प्रथम महत्वपूर्ण चित्रकार था । उसके चित्र फूलो के समान सुंदर प्रतीत होते है तथा आकृतियो की कोमलता के कारण वह पुनरुत्थान का सर्वप्रिय कलाकार माना जाता है ।
उसने रोम के वेटिकन गिरजाघर को चित्रित किया था ।
फ्रा एंजेलिकों की प्रसिद्धि सेंट मार्को के वेदी चित्रो (मैडोना ओर सेंट्स ) के कारण है । इस वेदी चित्र को उसने 1438-1443 ई0 के ,मध्य काष्ठ पर टेम्परा माध्यम मे बनाया था ।
फ्रा एंजेलिकों ईसा का सूली का चित्र बनाते समय निरंतर रोता रहता था ।
1437 मे सेंट मार्को के कान्वेंट स्कूल के भवन मे पच्चास भित्तिचित्र फ्रा एंजेलिकों ने बनाया था ।
फ्रा एंजेलिकों की प्रसिद्धि सेंट मार्को के चित्रो के कारण है ।
फ्रा एंजेलिकों के प्रसिद्ध चित्र
- कार्टोना की उद्घोषणा (1433 – 1434 ई0, टेम्परा ऑन पैनल , संग्रह : म्यूजियों , डियोकेसानों, कार्टोना)
- फिसोल आल्टरपीस (1424-1501 ई0 टेम्परा ऑन पैनल संग्रह कान्वेंट ऑफ सैन डोमेनिकों फिसोले)
- निकोलिन चैपल के फ्रेस्को चित्र (1447-1449 ई0 , फ्रेस्को , वेटिकन )
- कुमारी का अभिषेक (1434-1435 ई0 टेम्परा ऑन पैनल लुव्र म्यूजियम पेरिस )
- भविष्यवाणी (1440-1445 ई0 फ्रेस्को कान्वेंट ऑफ सान मार्को फ्लोरेन्स )
- एडोरेशन ऑफ मगी (1440-1460 ई0 संग्रह नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट वाशिंगटन )
- देवदूत अंतिम न्याय
- मिस्त्र को पलायन
- डीपोजिशन ऑफ क्राइस्ट (ईसा का सूली से उतार जाना) 1432-1433 ई0 संग्रह नेशनल म्यूजियम ऑफ सेन मार्को फ्लोरेन्स
- संगीतज्ञ
- क्रूसारोहण
पाओलो उच्चेल्लों Paolo Uccello
(1397 -1475 ई0 )
पाओलो उच्चेल्लों का जन्म 1397 ई0 मे प्रैटोवेशियो इटली मे हुआ था ।
उसको कला मे परिप्रेक्ष्य का वास्तविक आविष्कारक भी माना जाता है ।, जिसका उल्लेख वसारी ने अपनी पुस्तक लाइव्स ऑफ द आर्टिस्ट मे किया है ।
उच्चेलों ने अपने चित्रो मे गहराई पैदा करने के लिए परिप्रेक्ष्य पर आधारित इसके अच्छे सात चित्रो मे सैन रोमानों की लड़ाई (1435 – 1460 ई0 ) का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन चित्र है ।
उसकी प्रारम्भिक कृतिया अंतर्राष्ट्रीय गोथिक शैली से युक्त है । बाद मे वह नवीन आविष्कारों मे रुचि लेने लगा ।
पाओलो उच्चेल्लों के प्रसिद्ध चित्र
- प्रलय the Deluge
- चार धर्म दूत four prophets
- सर जॉन होकवूड का अन्त्येष्टि स्मारक 1524 ई0
- सेन रोमानों की लड़ाई
- सेंट जॉर्ज ओर ड्रेगन 1435-1460 ई0 एगटेम्परा विद वालनट ऑयल एंड लिंसिड ऑयल ऑन पोपला नेशनल गैलरी लंदन (1470 ई0 कैनवास पर तैलरंग नेशनल गैलरी लंदन )
सैंड्रो बोत्तिचेल्ली Sandro Botticelli
1445-1510 ई0
सैंड्रो बोत्तिचेल्ली का जन्म 1445 ई0 मे फ्लोरेन्स (इटली) मे हुआ था।
सैंड्रो बोत्तिचेल्ली का वास्तविक नाम अल्ससेंडरो फिलीपेपी था ।
वह फिलिप्पों लिप्पी का शिष्य तथा फ्लोरेन्स के प्रारम्भिक पुनर्जागरण काल का प्रसिद्ध चित्रकार था ।
सैंड्रो बोत्तिचेल्ली को प्रमुखतः पैनल चित्रकार कहा जाता है ।
1475-1477 ई0 के मध्य सैंड्रो बोत्तिचेल्ली ने अपने करियर के आरंभ मे एक प्रसिद्ध चित्र एडोरेशन ऑफ मगी बनाया । पैनल पर टेम्परा माध्यम मे बनाया गया यह चित्र वर्तमान मे उफिजी गैलरी फ्लोरेन्स मे प्रदर्शित है ।
सैंड्रो बोत्तिचेल्ली का श्रेष्ठ चित्र बसंत ऋतु (प्राइमावेरा ) है 1470 ई0 के दशक के अंत मे या 1480 ई0 के शुरू मे पैनल पर टेम्परा विधि मे बड़े आकार 202 सेमी0 * 314 सेमी0 (80 *124 इंच ) मे बनाया गया था । उफिजी गैलरी (फ्लोरेन्स ) मे सुरक्षित इस चित्र मे प्रेम की देवी वीनस बसंत ऋतु के स्वागत मे खड़ी है ।
1486 ई0 मे बना वीनस का जन्म the birth of venus सैंड्रो बोत्तिचेल्ली का सर्वश्रेष्ठ व प्रसिद्ध चित्र है । यह चित्र टेम्परा विधि से 172 सेमी * 278.9 सेमी0 (67.9 इंच * 109.6 इंच ) आकार के कैनवास पर बनाया गया है जो वर्तमान मे उफिजी गैलरी फ्लोरेन्स (इटली ) मे सुरक्षित है ।
सैंड्रो बोत्तिचेल्ली के प्रसिद्ध चित्र
- वीनस ओर मार्स
- बसंत ऋतु primavera
- वीनस का जन्म the birth of venus
- एपेलीज़ द्वारा चित्रित मिथ्यादोषारोपण the calumny of apalles
- पिएटा
- द एडोरेशन ऑफ मगी
एंड्रिया डेल वेरोच्चियों Andrea del Verrocchio
(1435 -1488 ई0)
वेरोच्चियों की प्रसिद्धि चित्रकार मूर्तिकार एवं स्वर्णकार तीनों रूपो मे थी उसका जन्म 1435 ई0 मे फ्लोरेन्स इटली मे हुआ था ।
वेरोच्चियों का केवल एक प्रामाणिक चित्र ही अवशिष्ट है ईसा का बपतिस्मा (the Baptism of Christ ) ।
यह चित्र 1472-75 ई0 के मध्य 177*151 सेमी आकार के काष्ठ पर ऑयल माध्यम मे बना है ओर वर्तमान मे उफिजी गैलरी फ्लोरेन्स मे सुरक्षित है ।
वेरोच्चियों ने डेविड की 125 सेमी0 (49 इंच ) ऊंची कांस्य की प्रतिमा भी बनाई । जो वर्तमान मे बारगैलो संग्रहालय फ्लोरेन्स मे प्रदर्शित है ।
वेरोच्चियों के प्रमुख चित्रो मे मैडोना विद सीटेड चाइल्ड, टोबियास एंड द एंजल तथा बेपटिज्म ऑफ क्राइस्ट है ।
वेरोच्चियों चित्रकार के साथ –साथ मूर्तिकार था । उसके प्रमुख मूर्तिशिल्पों मे क्राइस्ट एंड सेंट थॉमस (ब्रांज, 1467-1483 ई0 ) डेविड (ब्रांज 1473 -1475 ई0 ) बार्टोलोमियों की अश्वारोहण प्रतिमा (ब्रांज )
वेनिस Venice
पुनरुत्थान काल की चरमोन्नति वेनिस के वर्ण चित्रो मे हुई ।
वेनिस के कलाकारो ने वही चित्रित किया जो उनकी आंखो को अच्छा लगता था । वे अभिव्यक्ति का प्रधान तत्व रंगो को मानते थे ।
फ्लोरेन्स के कलाकारो ने रेखा को चित्रकला का प्रधान तत्व मानते हुए आकृति पर ध्यान दिया जब की वेनिस के कलाकारो ने संयोजन का आधार रंगो को ही माना है ।
वेनिस के प्रारम्भिक पुनरुत्थान काल के कलाकारो मे बेल्लिनि परिवार प्रमुख था ।
बेल्लिनि के पुत्रो जेंटाइल बेल्लिनि (1429-1507 ई0 ) व जिओवारिन बेल्लिनि (1430-1516 ई0 ) की कला का वेनिस की कला मे महत्वपूर्ण योगदान रहा ।
जिओवारिन बेल्लिनि मैडोना चित्रो के लिए प्रसिद्ध था ।
ज्योर्जिओन Giorgione
जिओवारिन बेल्लिनि के शिष्यो मे ज्योर्जिओन बहुत प्रसिद्ध हुआ ।
उसका जन्म 1476 ई0 मे केसिलफ़्रांकों , इटली मे हुआ था ।
ज्योर्जिओन को वंशी बजाने का बड़ा शौक था । यही कारण था की उसने अपने चित्रो मे अपनी मन स्थिति के अनुरूप संगीत संबंधी विषयो का अंकन किया ।
संगीत विषयक उसके चित्रो मे संगीत सभा मेंडोलिन वादक (man playing a mandolin ) तथा संगीत पार्टी इत्यादि है ।
ज्योर्जिओन का सर्वश्रेष्ठ चित्र आँधी (the tempest ) है । इस चित्र मे यूनानी गाथाओ मे वर्णित प्राचीन शासक अद्रास्तूस तथा रानी हिप्सीपाइल को चित्रित किया गया है । 1506 से 1508 ई0 के मध्य ऑयल ऑन कैनवास माध्यम मे बना यह चित्र वर्तमान मे गैलरी ऑफ द अकेडमी ,वेनिस (इटली ) मे सुरक्षित है ।
ज्योर्जिओन का एक अन्य प्रसिद्ध चित्र चारागाह मे संगीत (pastoral concern) है । वर्तमान मे यह चित्र लुव्र म्यूजियम (पेरिस ) मे सुरक्षित है ।
ज्योर्जिओन का चित्र सोती हुई प्रेम की देवी वीनस (sleeping venus ) अत्यधिक उत्कृष्ट है ।
ऑयल ऑन कैनवास माध्यम मे 1510 ई0 मे बना यह चित्र वर्तमान मे गेमेल्ड गैलरी आल्टे मीस्टर ड्रेस्डन (जर्मनी ) मे सुरक्षित है ।
34 वर्ष मे ही वह मर गया । उसके द्वारा अधूरे छोड़े हुए अनेक चित्र टीशियन तथा सेबाशियानों देल प्योम्बे ने पूर्ण किए
ज्योर्जिओन के प्रसिद्ध चित्र
- आँधी the tempest
- चारागाह मे संगीत pastoral concern
- सोती हुई प्रेम की देवी वीनस sleeping venus
- मेंडोलिन वादक man playing a mandolin
- कैस्टलफ्रैंको मैडोना costel franco philosophers
- तीन दार्शनिक
- संगीत सभा
टीशियन titian
1488-1576 ई0
इसे इटली का वयोवृद्ध कलाचार्य कहा जाता है । संभवतः इटालियन कलाकारो मे सर्वाधिक आयु उसी की थी ।
वर्ष 1514 ई0 का पवित्र ओर अपवित्र ओर अपवित्र प्रेम (sacred and frofan love ) उसके आरंभिक चित्रो मे काफी प्रसिद्ध है । कैनवास पर तैल माध्यम से बना यह चित्र वर्तमान मे बार्गेस गैलरी रोम मे सुरक्षित है । 1516 से 1518 ई0 के मध्य उसने अपना प्रसिद्ध चित्र कुमारी का स्वर्गारोहण पूर्ण किया जिससे उसकी ख्याति बहुत बढ़ गई यह चित्र वेनिस मे पुनरुत्थान का प्रथम उद्घोष है । ईसा का कब्र मे लिटाना (the entombment ) नामक चित्र को अपूर्ण छोड़कर 1576 ई0 मे वह चल बसा इस चित्र को उसके शिष्य पाल्मा जिओवाने ने पूर्ण किया ।
टीशियन के प्रसिद्ध चित्र
- कुमारी का स्वर्गारोहण Ascension of Virgin
- फ्लोरा flora
- ऊर्बिनो की वीनस venus of urbino
- द फाल ऑफ मैन the fall of man
- कांटो का ताज the crowning with thorns
- यूरोपा का शीलभंग (1560-62 ई0 , कैनवास पर तैलरंग संग्रह इसाबेला स्टीवर्ट गार्डनर संग्रहालय बोस्टन )
- पवित्र ओर अपवित्र प्रेम sacred and frofan love
- ईसा को कब्र मे लिटाना
- कुमारी का स्वर्गारोहण
- टिशिया की महिला
पाओलो वैरोनीज़ paolo verones
वैरोनीज़ को वेनिस का रैफेल कहा जाता है । उसका जन्म 1528 ई0 मे वेरोना , इटली मे हुआ था ।
उसके दो चित्र विशेष प्रसिद्ध है ।
काना मे वैवाहिक भोज (the wedding feast at cana ) तथा ईसा का अंतिम भोज (last supper of the Christ ) ।
उसका संत हेलेना को क्रॉस के दर्शन (the vision of st. Helena ) शीर्षक चित्र वर्तमान मे नेशनल गैलरी (लंदन ) मे सुरक्षित है ।
वैरोनीज़ के अन्य प्रसिद्ध चित्र
संत मोसेस का मिलाना the finding of moaeses
मार्स व वीनस mars and venus
मैजाई की वंदनास
लीडा ओर हंस (1585 ई0 )
टिंटोरेट्टों Tintoretto
यह सोलहवी शताब्दी के अंतिम चरण का अंतिम महान वेनेशियन चित्रकार था , जिसके बचपन का नाम जोकोपों रोबुस्टी था ।
टिंटोरेट्टों के श्रेष्ठ कार्यो मे 1562 ई0 मे बनाए संत मार्क के अवशेषो की खोज (finding of the body of st. Mark ) तथा 1555-58 ई0 का संत जार्ज तथा ड्रैगन (saint George and the dragon ) नामक चित्र है ।
टिंटोरेट्टों के पश्चात वेनिस मे कला की स्थिति दयनीय हो गई थी। कलाकारो का सम्मान पुनः घटने लगा था । चित्र को ध्यानपूर्वक व सौम्यता से समाप्त करने मे उनकी रुचि नहीं रही ।
जर्मनी
पुनरुत्थान कालीन इटालियन कलाकारो की महान उपलब्धियों तथा आविष्कारों का जर्मनी की कला पर गहरा प्रभाव पड़ा ।
इटालियन कलाकारो की तीन उपलब्धियों को ही जर्मन कला मे लक्ष्य बनाकर विकसित किया गया । प्रथम परिप्रेक्ष्य का वैज्ञानिक अध्ययन , द्वितीय शरीर विज्ञान के गहन अध्ययन व सौंदर्यपपूर्ण मानवकृतियों का सृजन तृतीय शास्त्रीय वास्तु के आकारो का अध्ययन ।
इस युग के दो जर्मन कलाकार काफी प्रसिद्ध थे ।
मार्टिन शोनगौर Martin Schongauer
यह कोलमार नामक स्थान का निवासी था । इसका जन्म 1450 ई0 मे हुआ था ।
शोनगौर प्रसिद्ध जर्मन इंग्रेवर (नक्काश ) तथा पेंटर था । वह ड्यूरर से पहले जर्मनी का प्रसिद्ध प्रिंटमेकर (छपाकार ) था ।
उसके केवल कुछ चित्र द होली फैमिली ओर मैडोना इन द रोज गार्डेन (1470 ई0 ), एडोरेशन ऑफ शेफर्ड (1480 ई0 ) मेरी , पोट्रेट ऑफ यंग वूमेन (1478 ई0 ) इत्यादि रंगो से बना हुआ उपलब्ध है । शेष उसने 115 उत्कीर्ण चित्र बनाए ।
पंद्रहवीं शताब्दी मे जर्मनी मे छापा चित्रण की तकनीक विकसित हो चुकी थी । इस तकनीक मे लकड़ी के टुकड़े पर रेखांकन करके जो आकृतिया बनानी हो उन्हे छोड़कर अन्य भाग काट दिया जाता था । इसके पश्चात स्याही से उसका छापा ले लिया जाता था । यह वूडकट कहलाता था । गुटेनबर्ग की छपाई मशीन के आविष्कार से इस पद्धति से ताश व पुस्तके भी छपने लगी।
एक अन्य माध्यम जिसमे लकड़ी के स्थान पर ताम्र पत्र काम मे लाया जाने लगा था । इसकी तकनीक वूडकट से भिन्न है । इसमे एक औज़ार से गहरा रेखांकन किया जाता है । इन रेखाओ मे स्याही भर दी जाती थी व अन्य भाग साफ रहता था । रेखाओ मे भरी स्याही कागज पर छप जाती थी । इसे इंग्रेविंग कहा जाता है ।
शोनगौर इंग्रेविंग तकनीक का श्रेष्ठ कलाकार था । इस तकनीक मे बना द होली नाइट शीर्षक से उसका चित्र बहुत प्रसिद्ध है ।
अलबर्ट ड्यूरर Albrecht Durer
1471 -1528 ई0
ड्यूरर एक हंगेरियन स्वर्णकार का पुत्र था । उसका जन्म 21 मई 1471 ई0 को नूरम्बर्ग (जर्मनी ) मे हुआ था ।
ड्यूरर जर्मन पुनरुत्थान का प्रसिद्ध चित्रकार , प्रिंटमेकर तथा थियोरिस्ट (विचारक ) था ।
ड्यूरर अपने वूडकट प्रिंट्स (woodcut prints )के लिए काफी प्रसिद्ध था । माइकल वॉल की कृति ने उसे काष्ठ उत्कीर्णन हेतु अभिप्रेरित किया ।
1498 ई0 मे ड्यूरर ने एपोकेलिप्स शीर्षक से काष्ठ उत्कीर्ण के 15 चित्रो की एक शृंखला तैयार की ।
ड्यूरर के उत्कीर्ण चित्रो मे नाइट , डेथ एंड डेविल (1513 ई0 ) सेंट जिरोम अध्ययन करते हुए (1514 ई0 ) अकेलापन अथवा Melencolia -1514 ई0 इत्यादि काफी प्रसिद्ध है ।
इसके अलावा अन्य उत्कीर्ण चित्रो मे संत माइकेल व ड्रेगन का युद्ध (saint Michael fighting the dragon 1498 ई0 ) तथा आदम ओर इव श्रेष्ठ उदाहरण है ।
1505 ई0 मे वह वेनिस गया जंहा उसने दो चित्र बनाए गुलाब के हारो वाली मैडोना तथा चिकित्सको के मध्य ईसा ।
ड्यूरर को अपने जलरंग चित्रो के प्रयोगो के कारण यूरोप का प्रथम भूदृश्य चित्रकार (land scape artist ) कहा जाता है ।
ड्यूरर ने 1528 ई0 मे मानव सममिति (human proportion ) से संबन्धित चार पुस्तकों की रचना की । जिन्हे four book of human proportion कहा जाता है ।
ड्यूरर बालो के चित्रण के लिए भी विशेष प्रसिद्ध था
ड्यूरर के प्रसिद्ध चित्र
- कयामत Apocalypse
- संत जिरोम अध्ययन करते हुए saint Jerome in his study
- अकेलापन melencolia
- गुलाब के हारो वाली मैडोना feast of the rose garland
- चिकित्सको के मध्य ईसा Christ among the doctor
- संत माइकेल व ड्रेगन का युद्ध
- आदम ओर इव
- लाइफ ऑफ द वर्जिन life of the virgin
- सैनिक
- मृत्यु ओर पिशाच
- सूनापन
- प्रेयिंग हैंड
- सल्वाटर मुंडी
नीदरलैंड
तैल रंग का आविष्कार
14 वीं शताब्दी मे नीदरलैंड अनेक राज्यो मे विभक्त था, इनमे कला की दृष्टि से फ्लांडर्स प्रमुख रहा है ।
फ्लांडर्स मे कला का प्रमुख केंद्र होने के कारण यंहा की कला फ्लेमिश कला के नाम से जानी जाती है ।
अन्य देशो की भांति यंहा भी ईसाई धर्म का चित्रण हुआ । व्यक्ति चित्रण व दृश्य चित्रण को कम महत्व मिला ।
फ्लांडर्स की कला का इतिहास 15 वीं शताब्दी से उपलब्ब्ध होता है । फ्लेमिश कला वास्तव मे आइक बंधुओ से ही आरंभ होती है । जिंहोने फ्रेंच परम्पराओ को अस्वीकार करके नवीन शैली का सूत्रपात किया ।
इन दोनों भाइयो हयूबर्ट वान आइक तथा जॉन वान आइक को 15 वीं शताब्दी मे तैल चित्रण पद्धति का आविष्कारक कहा जाता है ।
आइक बंधुओ मे हयूबर्ट वान आइक 1366 -1425 ई0 के विषय मे अधिक ज्ञात नहीं है उसका जन्म कोलोन से कुछ दूर मिश्ट्रीच के निकट एक स्थान पर हुआ था । 18 सितंबर 1426 ई0 को उसकी मृत्यु हो गई ।
उसका छोटा भाई जॉन वान आइक 1390-1441 ई0 बहुत प्रसिद्ध हुआ । वह बरगंडी के ड्यूक के दरबार से संबन्धित था ।
जॉन वान आइक ने अधिकांश अपना कार्य नीदरलैंड (जो अब बेल्जियम है ) मे किया । उसका सुप्रसिद्ध कार्य घेंट (ghent ) मे बनाया गया आल्टर चित्र है जो संत बेवों के गिरजाघर के लिए था ।
वर्ष 1434 ई0 का जॉन वान आइक द्वारा निर्मित एक प्रसिद्ध तैल चित्र अर्नोल्फिनी पोट्रेट अब नेशनल गैलरी लंदन मे सुरक्षित है ।
जॉन वान आइक के प्रसिद्ध चित्र
- गिरजाघर की कुमारी
- भविष्यवाणी
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- ब्रिटिश व्यक्ति-चित्रण एवं दृश्य-चित्रण
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