आरंभिक पुनरुत्थान कालीन कला

आरंभिक पुनरुत्थान कालीन कला

Early Renaissance Art

1320/30 ई0 – 1500 ई0 तक

आरंभिक पुनरुत्थान कालीन कला  के कलाकार  14वी से 15 वीं शताब्दी के मध्य फ्लोरेन्स (इटली) मे पुनरुत्थान कला का आरंभिक काल था ।

इसके प्रमुख कलाकार

  1. मसाच्चियों
  2. लोरेंजों घिबर्ती
  3. पिएरा डेला फ्रांसेसका
  4. दोनातेल्लो
  5. फ्रा एंजेलिकों
  6. पाओलो उच्चेल्लों
  7. फ्रा फिलिप्पों लिप्पी
  8. आंद्रिया मेंटेग्ना
  9. सैंड्रो बोत्तिचेल्ली
  10. वेरोचियों

 

 

दोनातेल्लो (Donattelo)

(1386 – 1466 ई0 )

दोनातेल्लो का जन्म 1386  मे फ्लोरेन्स (इटली ) मे हुआ था ।

दोनातेल्लो फ्लोरेन्स का प्रथम महान शिल्पी ओर माइकेल एंजिलों से पहले 15 वीं शताब्दी का सर्वाधिक प्रभावशाली मूर्तिकार था ।

आरंभिक पुनरुत्थान युग के इस मूर्तिकार ने घिबर्ती की कार्यशाला मे शिक्षा ली थी ।

उसके प्रसिद्धि कलाकृतियों मे सेंट जॉर्ज ( फ्लोरेन्स डेविड (1449 ई0 कांस्य ) तथा इक्वेस्ट्रियन मानुमेंट ऑफ गैटेमेलेटा (1453 ई0 कांस्य पियाजा डेल सेंटो , पादुआ , इटली ) इत्यादि है ।

दोनातेल्लो की सर्वाधिक प्रसिद्धि उसके द्वारा बनाए गए डेविड के दो मूर्तिशिल्पों से है । प्रथम संगमरमर मे 1408-09 ई0 के मध्य की निर्मित तथा दूसरी कांसे मे ढाली गई 1430 ई0 की है आज ये दोनों कृतिया बारगैलो म्यूजियम फ्लोरेन्स मे प्रदर्शित है ।

दोनातेल्लो ने अपनी मूर्तियो के निर्माण मे कांस्य ढलाई की स्मेल्टिंग विधि का प्रयोग किया ।

 

फ्रा एंजेलिकों (Fra Angelico)

(1395 – 1455 ई0 )

फ्रा एंजेलिकों का जन्म 1395 मे इटली के फ्लोरेन्स मे हुआ था ।

पुनरुत्थान काल के दोमिनिकन चित्रकारों मे सर्वश्रेष्ठ चित्रकार फ्रा एंजेलिकों था ।

फ्रा एंजेलिकों का वास्तविक नाम गुइदों दा पित्रों था ।

फ्रा एंजेलिकों ईसाई धर्म का प्रचारक अधिकारी था ।

फ्रा एंजेलिकों ने अपनी कला को धर्म प्रचार मे लगाया था ।

फ्रा एंजेलिकों को फूलो का चित्रण बहुत प्रिय था ।

फ्लोरेन्स की कला मे मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति का चित्रकार था ।

आकृतियो  की कोमलता के कारण पुनरुत्थान काल का सर्वप्रिय कलाकार फ्रा एंजेलिकों था ।

वह मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति का प्रथम महत्वपूर्ण चित्रकार था । उसके चित्र फूलो के समान सुंदर प्रतीत होते है तथा आकृतियो की कोमलता के कारण वह पुनरुत्थान का सर्वप्रिय कलाकार माना जाता है ।

उसने रोम के वेटिकन गिरजाघर को चित्रित किया था ।

फ्रा एंजेलिकों की प्रसिद्धि सेंट मार्को के वेदी चित्रो (मैडोना ओर सेंट्स ) के कारण है । इस वेदी चित्र को उसने 1438-1443 ई0 के ,मध्य काष्ठ पर टेम्परा माध्यम मे बनाया था ।

फ्रा एंजेलिकों ईसा का सूली का चित्र बनाते समय निरंतर रोता रहता था ।

1437 मे सेंट मार्को के कान्वेंट स्कूल के भवन मे पच्चास भित्तिचित्र फ्रा एंजेलिकों ने बनाया था ।

फ्रा एंजेलिकों की प्रसिद्धि सेंट मार्को के चित्रो के कारण है ।

 

फ्रा एंजेलिकों के प्रसिद्ध चित्र

  1. कार्टोना की उद्घोषणा (1433 – 1434 ई0, टेम्परा ऑन पैनल , संग्रह : म्यूजियों , डियोकेसानों, कार्टोना)
  2. फिसोल आल्टरपीस (1424-1501 ई0 टेम्परा ऑन पैनल संग्रह कान्वेंट ऑफ सैन डोमेनिकों फिसोले)
  3. निकोलिन चैपल के फ्रेस्को चित्र (1447-1449 ई0 , फ्रेस्को , वेटिकन )
  4. कुमारी का अभिषेक (1434-1435 ई0 टेम्परा ऑन पैनल लुव्र म्यूजियम पेरिस )
  5. भविष्यवाणी (1440-1445 ई0 फ्रेस्को कान्वेंट ऑफ सान मार्को फ्लोरेन्स )
  6. एडोरेशन ऑफ मगी (1440-1460 ई0 संग्रह नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट वाशिंगटन )
  7. देवदूत अंतिम न्याय
  8. मिस्त्र को पलायन
  9. डीपोजिशन ऑफ क्राइस्ट (ईसा का सूली से उतार जाना) 1432-1433 ई0 संग्रह नेशनल म्यूजियम ऑफ सेन मार्को फ्लोरेन्स
  10. संगीतज्ञ
  11. क्रूसारोहण

 

 

पाओलो उच्चेल्लों Paolo Uccello

(1397 -1475 ई0 )

पाओलो उच्चेल्लों का जन्म 1397 ई0 मे प्रैटोवेशियो इटली मे हुआ था ।

उसको कला मे परिप्रेक्ष्य का वास्तविक आविष्कारक भी माना जाता है ।, जिसका उल्लेख वसारी ने अपनी पुस्तक लाइव्स ऑफ द आर्टिस्ट मे किया है ।

उच्चेलों ने अपने चित्रो मे गहराई पैदा करने के लिए परिप्रेक्ष्य पर आधारित इसके अच्छे सात  चित्रो मे सैन रोमानों की लड़ाई (1435 – 1460 ई0 ) का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन चित्र है ।

उसकी प्रारम्भिक कृतिया अंतर्राष्ट्रीय गोथिक शैली से युक्त है । बाद मे वह नवीन आविष्कारों मे रुचि लेने लगा ।

पाओलो उच्चेल्लों के प्रसिद्ध चित्र

  1. प्रलय the Deluge
  2. चार धर्म दूत four prophets
  3. सर जॉन होकवूड का अन्त्येष्टि स्मारक 1524 ई0
  4. सेन रोमानों की लड़ाई
  5. सेंट जॉर्ज ओर ड्रेगन 1435-1460 ई0 एगटेम्परा विद वालनट ऑयल एंड लिंसिड ऑयल ऑन पोपला नेशनल गैलरी लंदन (1470 ई0 कैनवास पर तैलरंग नेशनल गैलरी लंदन )

 

 

 

सैंड्रो बोत्तिचेल्ली Sandro Botticelli

1445-1510 ई0

सैंड्रो बोत्तिचेल्ली का जन्म 1445 ई0 मे फ्लोरेन्स (इटली) मे हुआ था।

सैंड्रो बोत्तिचेल्ली का वास्तविक नाम अल्ससेंडरो फिलीपेपी था ।

वह फिलिप्पों लिप्पी का शिष्य तथा फ्लोरेन्स के प्रारम्भिक पुनर्जागरण काल का प्रसिद्ध चित्रकार था ।

सैंड्रो बोत्तिचेल्ली को प्रमुखतः पैनल चित्रकार कहा जाता है ।

1475-1477 ई0 के मध्य सैंड्रो बोत्तिचेल्ली ने अपने करियर के आरंभ मे एक प्रसिद्ध चित्र एडोरेशन ऑफ मगी बनाया । पैनल पर टेम्परा माध्यम मे बनाया गया यह चित्र वर्तमान मे उफिजी गैलरी फ्लोरेन्स मे प्रदर्शित है ।

सैंड्रो बोत्तिचेल्ली का श्रेष्ठ चित्र बसंत ऋतु (प्राइमावेरा )  है 1470 ई0 के दशक के अंत मे या 1480 ई0 के शुरू मे पैनल पर टेम्परा विधि मे बड़े आकार 202 सेमी0 * 314 सेमी0 (80 *124 इंच ) मे बनाया गया था । उफिजी गैलरी (फ्लोरेन्स ) मे सुरक्षित इस चित्र मे प्रेम की देवी वीनस बसंत ऋतु के स्वागत मे खड़ी है ।

1486 ई0 मे बना वीनस का जन्म the birth of venus सैंड्रो बोत्तिचेल्ली का सर्वश्रेष्ठ व प्रसिद्ध चित्र है । यह चित्र टेम्परा विधि से 172 सेमी * 278.9 सेमी0 (67.9 इंच * 109.6 इंच ) आकार के कैनवास पर बनाया गया है जो वर्तमान मे उफिजी गैलरी फ्लोरेन्स (इटली ) मे सुरक्षित है ।

 

सैंड्रो बोत्तिचेल्ली के प्रसिद्ध चित्र

  1. वीनस ओर मार्स
  2. बसंत ऋतु primavera
  3. वीनस का जन्म the birth of venus
  4. एपेलीज़ द्वारा चित्रित मिथ्यादोषारोपण the calumny of apalles
  5. पिएटा
  6. द एडोरेशन ऑफ मगी

 

एंड्रिया डेल वेरोच्चियों Andrea del Verrocchio

(1435 -1488 ई0) 

वेरोच्चियों की प्रसिद्धि  चित्रकार मूर्तिकार एवं स्वर्णकार तीनों रूपो मे थी उसका जन्म 1435 ई0 मे फ्लोरेन्स इटली मे हुआ था ।

वेरोच्चियों का केवल एक प्रामाणिक चित्र ही अवशिष्ट है  ईसा का बपतिस्मा (the Baptism of Christ ) ।

यह चित्र 1472-75 ई0 के मध्य 177*151 सेमी आकार के काष्ठ पर ऑयल माध्यम मे बना है ओर वर्तमान मे उफिजी गैलरी फ्लोरेन्स मे सुरक्षित है ।

वेरोच्चियों ने डेविड की 125 सेमी0 (49 इंच ) ऊंची कांस्य की प्रतिमा भी बनाई । जो वर्तमान मे बारगैलो  संग्रहालय फ्लोरेन्स मे प्रदर्शित है ।

वेरोच्चियों के प्रमुख चित्रो मे मैडोना विद सीटेड चाइल्ड,  टोबियास एंड द एंजल तथा बेपटिज्म ऑफ क्राइस्ट है ।

वेरोच्चियों चित्रकार के साथ –साथ मूर्तिकार था । उसके प्रमुख मूर्तिशिल्पों मे क्राइस्ट एंड सेंट थॉमस (ब्रांज, 1467-1483 ई0 )  डेविड (ब्रांज 1473 -1475 ई0 ) बार्टोलोमियों की अश्वारोहण प्रतिमा (ब्रांज )

 

वेनिस Venice

पुनरुत्थान काल की चरमोन्नति वेनिस के वर्ण चित्रो मे हुई ।

वेनिस के कलाकारो ने वही चित्रित किया जो उनकी आंखो को अच्छा लगता था । वे अभिव्यक्ति का प्रधान तत्व रंगो को मानते थे ।

फ्लोरेन्स के कलाकारो ने रेखा को चित्रकला का प्रधान तत्व मानते हुए आकृति पर ध्यान दिया जब की वेनिस के कलाकारो ने संयोजन का आधार रंगो को ही माना है ।

वेनिस के प्रारम्भिक पुनरुत्थान काल के कलाकारो मे बेल्लिनि परिवार प्रमुख था ।

बेल्लिनि  के पुत्रो जेंटाइल बेल्लिनि (1429-1507 ई0 ) व जिओवारिन बेल्लिनि (1430-1516 ई0 ) की कला का वेनिस की कला मे महत्वपूर्ण योगदान रहा ।

जिओवारिन बेल्लिनि मैडोना चित्रो के लिए प्रसिद्ध था ।

 

 

ज्योर्जिओन Giorgione

जिओवारिन बेल्लिनि के शिष्यो मे ज्योर्जिओन बहुत प्रसिद्ध  हुआ ।

उसका जन्म 1476 ई0 मे केसिलफ़्रांकों , इटली मे हुआ था ।

ज्योर्जिओन को वंशी बजाने का बड़ा शौक था । यही कारण था की उसने अपने चित्रो मे अपनी मन स्थिति के अनुरूप संगीत संबंधी विषयो का अंकन किया ।

संगीत विषयक उसके चित्रो मे संगीत सभा मेंडोलिन वादक (man playing a mandolin ) तथा संगीत पार्टी इत्यादि है ।

ज्योर्जिओन का सर्वश्रेष्ठ चित्र आँधी (the tempest ) है । इस चित्र मे यूनानी गाथाओ मे वर्णित प्राचीन शासक अद्रास्तूस तथा रानी हिप्सीपाइल को चित्रित किया गया है । 1506 से 1508 ई0 के मध्य ऑयल ऑन कैनवास माध्यम मे बना यह  चित्र वर्तमान मे गैलरी ऑफ द अकेडमी ,वेनिस (इटली ) मे सुरक्षित है ।

ज्योर्जिओन का एक अन्य प्रसिद्ध चित्र चारागाह मे संगीत (pastoral concern) है ।  वर्तमान मे यह चित्र लुव्र म्यूजियम (पेरिस ) मे सुरक्षित है ।

ज्योर्जिओन का चित्र सोती हुई प्रेम की देवी वीनस (sleeping venus ) अत्यधिक उत्कृष्ट है ।

ऑयल ऑन कैनवास माध्यम मे 1510 ई0 मे बना यह चित्र वर्तमान मे गेमेल्ड गैलरी आल्टे मीस्टर ड्रेस्डन (जर्मनी ) मे सुरक्षित है ।

34 वर्ष मे ही वह मर गया । उसके द्वारा अधूरे छोड़े हुए अनेक चित्र टीशियन तथा सेबाशियानों देल प्योम्बे ने पूर्ण किए

 

ज्योर्जिओन के प्रसिद्ध चित्र

  1. आँधी the tempest
  2. चारागाह मे संगीत pastoral concern
  3. सोती हुई प्रेम की देवी वीनस sleeping venus
  4. मेंडोलिन वादक man playing a mandolin
  5. कैस्टलफ्रैंको मैडोना costel franco philosophers
  6. तीन दार्शनिक
  7. संगीत सभा

 

 

 

 

टीशियन titian

1488-1576 ई0

इसे इटली का वयोवृद्ध कलाचार्य कहा जाता है । संभवतः इटालियन कलाकारो मे सर्वाधिक आयु उसी की थी ।

वर्ष 1514 ई0 का पवित्र ओर अपवित्र ओर अपवित्र प्रेम (sacred and frofan love ) उसके आरंभिक चित्रो मे काफी प्रसिद्ध है । कैनवास पर तैल माध्यम से बना यह चित्र वर्तमान मे बार्गेस गैलरी रोम मे सुरक्षित है । 1516 से 1518 ई0 के मध्य उसने अपना प्रसिद्ध चित्र कुमारी का स्वर्गारोहण पूर्ण किया जिससे उसकी ख्याति बहुत बढ़ गई यह चित्र वेनिस मे पुनरुत्थान का प्रथम उद्घोष है । ईसा का कब्र मे लिटाना (the entombment ) नामक चित्र को अपूर्ण छोड़कर 1576 ई0 मे वह चल बसा इस चित्र को उसके शिष्य पाल्मा जिओवाने ने पूर्ण किया ।

 

टीशियन के प्रसिद्ध चित्र

  1. कुमारी का स्वर्गारोहण Ascension of Virgin
  2. फ्लोरा flora
  3. ऊर्बिनो की वीनस venus of urbino
  4. द फाल ऑफ मैन the fall of man
  5. कांटो का ताज the crowning with thorns
  6. यूरोपा का शीलभंग (1560-62 ई0 , कैनवास पर तैलरंग संग्रह इसाबेला स्टीवर्ट गार्डनर संग्रहालय बोस्टन )
  7. पवित्र ओर अपवित्र प्रेम sacred and frofan love
  8. ईसा को कब्र मे लिटाना
  9. कुमारी का स्वर्गारोहण
  10. टिशिया की महिला

 

 

 

पाओलो वैरोनीज़ paolo verones

वैरोनीज़ को वेनिस का रैफेल  कहा जाता है । उसका जन्म 1528 ई0 मे वेरोना , इटली मे हुआ था ।

उसके दो चित्र विशेष प्रसिद्ध है ।

काना मे वैवाहिक भोज (the wedding feast at cana ) तथा ईसा का अंतिम भोज (last supper of the Christ ) ।

उसका संत हेलेना को क्रॉस के दर्शन (the vision of st. Helena ) शीर्षक चित्र वर्तमान मे नेशनल गैलरी (लंदन ) मे सुरक्षित है ।

 

 

वैरोनीज़ के अन्य प्रसिद्ध चित्र

संत मोसेस का मिलाना the finding of moaeses

मार्स व वीनस mars and venus

मैजाई की वंदनास

लीडा ओर हंस (1585 ई0 )

 

 

 

टिंटोरेट्टों Tintoretto

यह सोलहवी शताब्दी के अंतिम चरण का अंतिम महान वेनेशियन चित्रकार था , जिसके बचपन का नाम जोकोपों रोबुस्टी था ।

टिंटोरेट्टों के श्रेष्ठ कार्यो मे 1562 ई0 मे बनाए संत मार्क के अवशेषो की खोज (finding of the body of st. Mark ) तथा 1555-58 ई0 का संत जार्ज तथा ड्रैगन (saint George and the dragon ) नामक चित्र है ।

टिंटोरेट्टों के पश्चात वेनिस मे कला की स्थिति दयनीय हो गई थी। कलाकारो का सम्मान पुनः घटने  लगा था । चित्र को ध्यानपूर्वक व सौम्यता से समाप्त करने मे उनकी रुचि नहीं रही ।

 

जर्मनी

पुनरुत्थान कालीन इटालियन कलाकारो की महान उपलब्धियों तथा आविष्कारों का जर्मनी की कला पर गहरा प्रभाव पड़ा ।

इटालियन कलाकारो की तीन उपलब्धियों को ही जर्मन कला मे लक्ष्य बनाकर विकसित किया गया । प्रथम परिप्रेक्ष्य का वैज्ञानिक अध्ययन , द्वितीय शरीर विज्ञान के गहन अध्ययन व सौंदर्यपपूर्ण मानवकृतियों का सृजन तृतीय शास्त्रीय वास्तु के आकारो का अध्ययन ।

इस युग के दो जर्मन कलाकार काफी प्रसिद्ध थे ।

 

 

मार्टिन शोनगौर Martin Schongauer

यह कोलमार नामक स्थान का निवासी था । इसका जन्म 1450 ई0 मे हुआ था ।

शोनगौर प्रसिद्ध जर्मन इंग्रेवर (नक्काश )  तथा पेंटर था । वह ड्यूरर से पहले जर्मनी का प्रसिद्ध प्रिंटमेकर (छपाकार ) था ।

उसके केवल कुछ चित्र द होली फैमिली ओर मैडोना इन द रोज गार्डेन (1470 ई0 ), एडोरेशन ऑफ शेफर्ड (1480 ई0 ) मेरी , पोट्रेट ऑफ यंग वूमेन (1478 ई0 ) इत्यादि रंगो से बना हुआ उपलब्ध है । शेष उसने 115 उत्कीर्ण चित्र बनाए ।

पंद्रहवीं शताब्दी मे जर्मनी मे छापा चित्रण की तकनीक विकसित हो चुकी थी । इस तकनीक मे लकड़ी के टुकड़े पर रेखांकन करके जो आकृतिया बनानी हो उन्हे छोड़कर अन्य भाग काट दिया जाता था । इसके पश्चात स्याही से उसका छापा ले लिया जाता था । यह वूडकट कहलाता था । गुटेनबर्ग की छपाई मशीन के आविष्कार से इस पद्धति से ताश व पुस्तके भी छपने लगी।

एक अन्य माध्यम जिसमे लकड़ी के स्थान पर ताम्र पत्र काम मे लाया जाने लगा था । इसकी तकनीक वूडकट  से भिन्न है । इसमे एक औज़ार से गहरा रेखांकन किया जाता है । इन रेखाओ मे स्याही भर दी जाती थी व अन्य भाग साफ रहता था । रेखाओ मे भरी स्याही कागज पर छप जाती थी । इसे इंग्रेविंग कहा जाता है ।

शोनगौर इंग्रेविंग तकनीक का श्रेष्ठ कलाकार था । इस तकनीक मे बना द होली नाइट शीर्षक से उसका चित्र बहुत प्रसिद्ध है ।

 

अलबर्ट ड्यूरर Albrecht Durer

1471 -1528 ई0

ड्यूरर एक हंगेरियन स्वर्णकार का पुत्र था । उसका जन्म 21 मई 1471 ई0 को नूरम्बर्ग (जर्मनी ) मे हुआ था ।

ड्यूरर जर्मन पुनरुत्थान का प्रसिद्ध चित्रकार , प्रिंटमेकर तथा थियोरिस्ट (विचारक ) था ।

ड्यूरर अपने वूडकट प्रिंट्स (woodcut prints )के लिए काफी प्रसिद्ध था । माइकल वॉल की कृति ने उसे काष्ठ उत्कीर्णन हेतु अभिप्रेरित किया ।

1498 ई0 मे ड्यूरर ने एपोकेलिप्स शीर्षक से काष्ठ उत्कीर्ण के 15 चित्रो की एक शृंखला तैयार की ।

ड्यूरर के उत्कीर्ण चित्रो मे नाइट , डेथ एंड डेविल (1513 ई0 ) सेंट जिरोम अध्ययन करते हुए (1514 ई0 ) अकेलापन अथवा Melencolia -1514 ई0 इत्यादि काफी प्रसिद्ध है ।

इसके अलावा अन्य उत्कीर्ण चित्रो मे संत माइकेल व ड्रेगन का युद्ध (saint Michael fighting the dragon 1498 ई0 ) तथा आदम ओर इव श्रेष्ठ उदाहरण है ।

1505 ई0 मे वह वेनिस गया जंहा उसने दो चित्र बनाए गुलाब के हारो वाली मैडोना तथा चिकित्सको के मध्य ईसा

ड्यूरर को अपने जलरंग चित्रो के प्रयोगो के कारण यूरोप का प्रथम भूदृश्य चित्रकार (land scape artist ) कहा जाता है ।

ड्यूरर ने 1528 ई0 मे मानव सममिति (human proportion ) से संबन्धित चार पुस्तकों की रचना  की । जिन्हे four book of human proportion कहा जाता है ।

ड्यूरर बालो के चित्रण के लिए भी विशेष प्रसिद्ध  था

 

 

ड्यूरर के प्रसिद्ध चित्र

  1. कयामत Apocalypse
  2. संत जिरोम अध्ययन करते हुए saint Jerome in his study
  3. अकेलापन melencolia
  4. गुलाब के हारो वाली मैडोना feast of the rose garland
  5. चिकित्सको के मध्य ईसा Christ among the doctor
  6. संत माइकेल व ड्रेगन का युद्ध
  7. आदम ओर इव
  8. लाइफ ऑफ द वर्जिन life of the virgin
  9. सैनिक
  10. मृत्यु ओर पिशाच
  11. सूनापन
  12. प्रेयिंग हैंड
  13. सल्वाटर मुंडी

 

 

नीदरलैंड

तैल रंग का आविष्कार

14 वीं शताब्दी मे नीदरलैंड अनेक राज्यो मे विभक्त था, इनमे कला की दृष्टि से फ्लांडर्स प्रमुख रहा है ।

फ्लांडर्स मे कला का प्रमुख केंद्र होने के कारण यंहा की कला फ्लेमिश कला के नाम से जानी जाती है ।

अन्य देशो की भांति यंहा भी ईसाई धर्म का चित्रण हुआ । व्यक्ति चित्रण व दृश्य चित्रण को कम महत्व मिला ।

फ्लांडर्स की कला का इतिहास 15 वीं शताब्दी से उपलब्ब्ध होता है । फ्लेमिश कला वास्तव मे आइक बंधुओ से ही आरंभ होती है । जिंहोने फ्रेंच परम्पराओ को अस्वीकार करके नवीन शैली का सूत्रपात किया ।

इन दोनों भाइयो हयूबर्ट वान आइक तथा जॉन वान आइक को 15 वीं शताब्दी मे तैल चित्रण पद्धति का आविष्कारक कहा जाता है ।

आइक बंधुओ मे हयूबर्ट वान आइक 1366 -1425 ई0 के विषय मे अधिक ज्ञात नहीं है उसका जन्म कोलोन से कुछ दूर मिश्ट्रीच  के निकट एक स्थान पर हुआ था । 18 सितंबर 1426 ई0 को उसकी मृत्यु हो गई ।

उसका छोटा भाई जॉन वान आइक 1390-1441 ई0 बहुत प्रसिद्ध हुआ । वह बरगंडी के ड्यूक के दरबार से संबन्धित था ।

जॉन वान आइक ने अधिकांश अपना कार्य नीदरलैंड (जो अब बेल्जियम है ) मे किया । उसका सुप्रसिद्ध कार्य घेंट (ghent ) मे बनाया गया आल्टर चित्र है जो संत बेवों के गिरजाघर के लिए था ।

वर्ष 1434 ई0 का जॉन वान आइक द्वारा निर्मित एक प्रसिद्ध तैल चित्र अर्नोल्फिनी पोट्रेट अब नेशनल गैलरी लंदन मे सुरक्षित है ।

 

जॉन वान आइक के प्रसिद्ध चित्र

  1. गिरजाघर की कुमारी
  2. भविष्यवाणी

 

 

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