प्रभाववाद
Impressionism 1870-1890 ई0 तक
आधुनिक चित्रकला का प्रधान केंद्र फ्रांस रहा है । प्राय यंहा आधुनिक कला के अनेक वादो का जन्म हुआ ।
19 वीं शती के मध्य फ्रांस मे कला के जिस आंदोलन ने आधुनिक कला का सूत्रपात किया , उसे आलोचको द्वारा प्रभाववाद कहा गया ।
प्रभाववाद आधुनिक चित्रकला का प्रथम सशक्त आन्दोलन था । कला इतिहास मे प्रभाववाद एक मिलजुल कर चलने वाला आंदोलन भी था ।
प्रभावादियों की प्रथम प्रदर्शिनी पेरिस के नाड़ार फोटो सैलून मे 1874 ई0 मे हुई । किन्तु इसके लगभग दस वर्ष बड़ा महत्वपूर्ण रहा , जब इस वर्ष पेरिस मे लुव्र संग्रहालय के सोलो द अपोलो मे अस्वीकृत चित्रो की प्रदर्शिनी (Solon des Refuses ) आयोजित हुई ।
इस प्रदर्शिनी मे एडगर माने का चित्र तृण पर भोजन ( the luncheon on the Grass ) की कटु आलोचना हुई ।
प्रदर्शिनी मे 4000 से भी अधिक चित्र अस्वीकृत हुए ।
अस्वीकृत चित्रकारों ने कोलाहल मचाया ओर तत्कालीन सम्राट नेपोलियन तृतीय ने मध्यस्थता करके इन चित्रकारों को स्वतंत्र प्रदर्शिनी आयोजित करने का आदेश दिया । अकादमी द्वारा अस्वीकृत चित्रो मे से लगभग 600 चित्रो को छोड़कर शेष चित्र इस स्वतंतत्र प्रदर्शिनी मे प्रदर्शित किए गए । यह प्रदर्शिनी राष्ट्रीय कला प्रदर्शिनी वाले भवन मे लगाई गई । जिसमे माने , बुदीन , फांति , लातूर , पिसारों , हिसलर तथा सेजान ने भाग लिया था ।
इस तरह से प्रभाववादियों की 1874 ई0 प्रारम्भ होकर 1886 ई0 तक कुल आठ प्रदर्शिनीया आयोजित की गई ।
प्रभाववादि कलाकारो ने इंद्रधनुष मे दिखाई देने वाले रंगो का प्रयोग अपने चित्रो मे किया । चूंकि काला भूरा व बादामी रंग सूर्य के प्रकाश मे नहीं होते अतः इनका प्रयोग छोड़ दिया गया । रंगो को मिश्रित करने के बजाय अलग अलग रंगो तथा बलो के अलग अलग तूलिका स्पर्श का प्रयोग इन कलाकारो ने किया , इनमे भी उच्च कुंजी के रंगो का प्रयोग किया गया ।
नाटकीय अथवा बनावटी दृश्यो व संयोजन के बजाय प्राकृतिक या शहरी दृश्यो एवं दैनिक जनजीवन के सामान्य या सामाजिक प्रसंगो का चित्रण इन कलाकारो ने किया । इनका मुख्य विषय वातावरण व प्रकाश था ।
जापानी छापाचित्रों का प्रभाववाद के इतिहास मे विशेष स्थान है । जापानी छापा चित्रो के प्रसिद्ध कलाकारो मे होकसाई व हिरोशिगे थे ।
माने, मोने, देगा, रेन्वार, लोत्रेक, बर्थ मारिसा, पिसारों, सिसली, कैसेट, बेजिल ग्विलामिन इत्यादी प्रमुख प्रभाववादी कलाकार थे ।
प्रभाववादी कला पर जापानी छापा चित्रो का विशेष महत्व है । जापान की छापा कला (प्रिंट शैली ) को उकियों-ए के नाम से जाना जाता है ; ये चित्र आधारित होते थे – लौकिक जीवन पर
सुमी-ए चित्रण तकनीक जापानी है ।
प्रथम प्रभाववादी प्रदर्शनी 1874 मे आयोजित की गई थी ।
अस्वीकृत कलाकारो की प्रदर्शिनी 1863 ई0 मे एद्गर माने ने अपना प्रसिद्ध चित्र घास पर जलपान प्रदर्शित किया ।
यथार्थात्मक प्रभाववादी कलाकार एद्गर देगा को कहा जाता है ।
आधुनिक फ्रांस का निर्माता नेपोलियन को माना जाता है ।
माउलीन रोज अथवा मुलं रूज़ के लिए लिथोग्राफिक पोस्टरो की डिजाइन हेनरी, तुलुज लोत्रेक ने तैयार की ।
लिथोग्राफी पोस्टरो के लिए विख्यात जूल्स चर्ट है ।
एडगर माने Edourd Manet 1832-1883 ई0
माने का जन्म 23 जनवरी 1832 को पेरिस फ्रांस मे हुआ था ।
माने के पिता न्यायाधीश थे ।
प्रभाववाद का जनक माने को कहाँ जाता है ।
माने आरंभ से यथार्थवाद की ओर आकृष्ट थे ।
यथार्थवाद ओर प्रभाववाद के बीच की कड़ी माने को माना जाता है ।
माने रंगो को हल्के व गहरे क्षेत्रो को स्पष्टता से करता था ।
माने के चित्र तृण पर भोजन 1863 की प्रदर्शिनी मे विरोध हुआ यह लुव्र संग्रहालय मे है ।
माने का पूर्ण विकसित शैली उत्कृष्ट चित्र ओलम्पिया 1865 इसमे लेटी हुई वेश्या की आकृति दिखाई गई है ।
1866 मे माने का बांसुरी वाला का चित्र राष्ट्रिय कला प्रदर्शनी मे अस्वीकृत कर दिया था ।
माने का प्रसिद्ध चित्र फोलीय बर्जेर का मदिरागृह
एडगर माने प्रभाववाद से पूर्व का कलाकार है । एक ओर प्रभाववाद कलाकार उसके सिद्धांतों से प्रभावित हुए थे तो दूसरी ओर वह भी प्रभाववादियों से प्रभावित हुआ था ।
समकालीन विषयो के आधार पर माने ने अपना पहला चित्र शराबी (एब्सिंथ ड्रिंकर ) सन 1859 ई0 मे बनाया था ।
माने का सुप्रसिद्ध चित्र तृण पर भोजन (the luncheon on the grass ) वर्ष 1863 ई0 मे पेरिस के अस्वीकृत चित्रो की प्रदर्शिनी मे अस्वीकृत हतोत्साहित नहीं हुआ । यह प्रथम चित्र था जिसमे प्रभाववाद के कुछ लक्षण दिखाई दिये थे । वर्ष 1863 ई0 मे तैल माध्यम मे कैनवास पर बना यह चित्र वर्तमान मे म्युसी द ओर्साय पेरिस मे सुरक्षित है ।
माने का एक प्रसिद्ध चित्र बांसुरीवाला the fifer है वर्ष 1866 ई0 मे तैल माध्यम मे निर्मित यह चित्र भी वर्तमान मे म्युसी द ओर्साय पेरिस मे सुरक्षित है ।
माने का सबसे विख्यात चित्र 1863 ई0 मे निर्मित ओलंपिया है । इसमे एक अनैतिक आचरण वाली वेश्या अपनी शैय्या पर नग्न आधी लेटे अंकित है । इस चित्र की तुलना टीशियन कृत ऊर्बिनो की वीनस से की जाती है । कैनवास पर तैल माध्यम मे बना यह चित्र म्युसी द ओर्साय पेरिस मे सुरक्षित है ।
1871 ई0 मे माने के 23 चित्र फ्रांस मे एक व्यापारी ने खरीदे । इससे माने की प्रतिष्ठा बहुत बढ़ गई ।
1874 ई0 प्रभाववादी कला प्रदर्शिनी से वह अलग रहा । अगले वर्ष उसने सैलून को अपना आर्जेन्तुइल मे नाव की सैर नामक चित्र भेजा ।
कैनवास पर तैल माध्यम मे निर्मित इस चित्र की भी खूब आलोचना हुई । यह कहा गया कि माने जिस प्रकार रंगो का प्रयोग करता है, वैसे पृथ्वी अथवा समुन्द्र मे कभी भी नहीं लगाए गए ।
माने का 1882 ई0 का एक अन्य महत्वपूर्ण तैल चित्र फोलिय बर्जेर का मदिरा गृह (A Bar at the Folies Bergere )है । यह उसकी निजी शैली व प्रभाववाद का सर्वोत्कृष्ट चित्र है । इसी चित्र को बनाते समय ही उसका स्वास्थ्य बिगड़ता गया ओर तैल माध्यम मे बना है ओर वर्तमान मे कोटेल्डी गैलरी लंदन मे सुरक्षित है ।
माने के कुछ प्रसिद्ध चित्र
- शराबी (एब्सिंथ ड्रिंकर )
- ओलंपिया
- फोलिय बर्जेर का मदिरागृह
- तृण पर भोजन
- बासुरी वाला
- तोतेवाला स्त्री
- आर्जेन्तुइल मे नाव कि सैर
- जोर्जमूर का व्यक्ति चित्र
- एमिलजोला
- स्पैनिश गिटार वादक
क्लोद मोने 1840 -1926 ई0
प्रभाववादियों मे सबसे प्रभाववादी कलाकार मोने का का जन्म 14 नवम्बर 1840 ई0 को फ्रांस कि राजधानी पेरिस मे हुआ था ।
मोने के सूर्योदय का प्रभाव चित्र के आधार पर प्रभाववाद का नाम पड़ा ।
पेरिस लंदन व वेनिश के शहरी दृश्यो को माने मे चित्रित किया था ।
पेंटर ऑफ सीरीज मोने को कहाँ गया ।
मोने का चित्र घास का ढेर 1890 मे बनाया गया ।
क्लोद मोने को प्रभाववाद का जनक माना जाता है ।
1874 ई0 प्रभाववादियों कि प्रथम प्रदर्शिनी पेरिस के नाड़ार फोटो सैलून मे आयोजित हुई जिसमे मोने, पिसारों, रेनोआ , सिसले, सेजान, देगा, बुदीन बर्थ मरिसा तथा हेनरी रुअर्ट ने भाग लिया ।
इसी प्रदर्शिनी मे मोने ने 1872 ई0 का बना सूर्योदय का प्रभाव (Impression sunrise ) शीर्षक से अपना एक प्रसिद्ध चित्र प्रदर्शित किया । लुई लो राय नामक एक पत्रकार ने इसी शीर्षक के आधार पर इस दल के समस्त कलाकारो को प्रभाववादी कहा।
प्रदर्शकों ने भी उदारता से इस नाम को स्वीकारा ओर इस वाद को प्रभाववाद के नाम से संबोधित किया । कैनवास पर तैल माध्यम मे निर्मित यह चित्र वर्तमान मे म्युसी मारमोट्टन गैलरी पेरिस मे सुरक्षित है ।
क्लोद मोने को पेंटर ऑफ सीरीज कहा जाता है । क्योंकि उसने कई चित्र मालिकए तैयार की । उसकी चित्र मालिकाओ मे जीवर्नि के वृक्ष , सुखी घास के ढेर रुएन के गिरजाघर, कुमुदिनी के फूल, लंदन पार्लियामेंट , पापुलर , व्हीट स्टाक्स इत्यादि विशेष प्रसिद्ध है ।
1890-91 ई0 मे उसने सुखी घास के ढेर (Hay stacks ) नामक प्रसिद्ध चित्र मालिका कैनवास पर तैलरंगों से बनाया । यह अब आर्ट इन्स्टीट्यूट , शिकागो मे प्रदर्शित है ।
1901 ई0 मे मोने ने लंदन मे टेम्स नदी के 37 चित्र बनाए ।
मोने की सबसे प्रसिद्ध चित्र मालिका कुमुदिनी के फूलो (water Lillies ) की है । इस चित्र मालिका मे तैल विधि द्वारा करीब 250 चित्रो को बनाया गया है । इस शृंखला के चित्र दुनिया भर के विभिन्न संग्रहालयों जैसे – म्युसी मारमोट्टन पेरिस , म्युसी द ओर्साय पेरिस , मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ शिकागो इत्यादि मे सुरक्षित है ।
मोने के आठ चित्रो की अंतिम चित्रमालिका कुमुदिनी के फूल पेरिस के त्विलेरी बगीचे मे एक छोटे तालाब के चारो ओर लगाई गई है ।
6 मई , 2014 ई0 को मोने की कुमुदिनी के फूल शीर्षक से एक पेंटिंग क्रिस्टीज के नीलामी मे 27 मिलियन डॉलर मे बिकी ।
मोने के प्रसिद्ध चित्र
- घास का ढेर
- चित्र मलिका
- कुमुदिनी के फूलो की चित्र मलिका ,
- सूर्योदय का प्रभाव (सनराइज़ इंप्रेसन)
- बगीचे मे महिलाए
- रुआ के गिरजाघर
- आर्जेन्तुइल की लाल नार्वे
- चिनार वृक्ष लंदन पार्लियामेंट
- टेम्स नदी के दृश्य चित्र
- छाते के साथ महिला 1875
- गिवर्नी का चिनार वृक्ष
एद्गर देगा Edgar Degas 1834-1917 ई0
देगा का जन्म 19 जुलाई 1834 ई0 को पेरिस फ्रांस मे हुआ था ।
समाज से दूर तिरस्कृत तबके का चित्रण देगा ने किया ।
एडगर देगा चित्रकार व मूर्तिकार थे ।
रेन्वा ने देगा को पहला मूर्तिकार माना है ।
देगा की तकनीक मृत्यु चित्रो मे भली-भांति निखरी है ।
देगा व्यक्ति चित्र मे पारंगत थे ।
रेखा व साजो संयोजन के विचारो से प्रभाववादी चित्रकारो मे सर्वश्रेष्ठ व संसार के महान चित्रकार देगा है ।
पेस्टल रंग व गतिशील फोटो आकृतियो के द्वारा देगा प्रभाववादी चित्रकार ने चित्र बनाया
मैरी कैसेट देगा की शिष्या थी ।
मैरी कैसेट अमेरिका की प्रभाववाद कलाकार है ।
बैले रिहर्सल देगा चित्रकार ने चित्रित किया ।
जॉर्ज मूर का व्यक्ति चित्रण 1879 मे बनाया देगा ने बैले रिहर्सल का चित्र तैल माध्यम मे 1874 मे बनाया ।
देगा ही एक ऐसा प्रभाववादी चित्रकार था जिसकी चित्रित मानवाकृति व्यक्तित्व लिए हुए है उसकी चित्रित धोबिने, वेश्याए, नौकरानिया, स्वेच्छाचारी मनुष्य तथा लिपिक अपनी स्वाभाविकता के साथ चित्रित है ।
देगा के चित्रो पर जापानी छापा चित्रो (जापानी प्रिंट ) का अत्यधिक प्रभाव है । आरंभ मे उसने तैल चित्र बनाए किन्तु बाद मे पेस्टल रंगो का स्वतन्त्रता से प्रयोग किया । इसमे भी वह रंगीन खड़िया से चित्रण करना पसंद करता था ।
देगा के चित्र बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक खींचे गए त्वरित छाया चित्र (फोटोग्राफ ) के समान दिखाई देते है ।
देगा ने अपनी प्रिय प्रभाववादी शिष्या मेरी कैसेट (अमेरिका मे जन्मी )को प्रभाववादियों की प्रदर्शिनी मे निमंत्रित किया था ।वैसे प्रभाववादीयो के दल मे सम्मिलित होने वाली प्रथम बर्थ मारिसा थी ।
देगा नृत्य गृहो मे बैले नृत्यो को चित्रित करने वाला प्रभाववादी कलाकार था । उसने कैफे तथा बैले नर्तकियों के सर्वाधिक चित्र बनाए । जलपान गृह की गायिकाए (सिंगर्स एट द बार ) डांसर्स एट द बार , बैले रिहर्सल इत्यादि इस विषय के उत्कृष्ट चित्र है ।
द मार्निंग बाथ चित्र एद्गर देगा द्वारा 1883 ई0 मे पेस्टल रंग तकनीक द्वारा बनाया गया था ।
देगा मूर्तिकार भी था । उसने कई उत्कृष्ट कांस्य मूर्तिया बनाई जिसमे, तरुण नर्तकी या लिटिल डांसर ऑफ फोर्टिन इयर्स (1878-81 ई0 रंजीत मोम, आर्मेचर , संग्रह नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट , वाशिंगटन ) तथा दोड़ने वाला घोडा (1889-90 ई0 ) विशेष प्रसिद्ध है ।
देगा की मूर्तिकला के बारे मे रेन्वार ने कहा था ‘उनको मै पहला मूर्तिकार मानता हु’ ।
देगा के प्रसिद्ध चित्र –
- बैलेट क्लास (1871-74 कैनवास पर तैल रंग ),
- धोबिन
- वेश्याए
- नौकरानिया
- स्वेच्छाधारी मनुष्य
- लिपिक
- वोलिल परिवार
- युवती का शीर्ष
- घोड़े पर सवार महिला
- द एब्सिंथ ड्रिंकर
- ग्लास ऑफ एब्सिंथ 1875-76 कैनवास पर तैलरंग
- द टब 1886 ई0 पेस्टल
- माने का व्यक्ति चित्र
- जलपान गृह की गायिकाए
- घुड़दौड़ के मैदान
- रुई का बाजार ओर्लिंस बेलेलि परिवार 1858-67 ई0 कैनवास पर तैलरंग
- द मार्निग बाथ
ओग्युस्त रेन्वार
Pierre Augeste Renoir 1841-1919 ई0
रेन्वार का जन्म 25 फरवरी 1841 ई0 मे लिमोज फ्रांस मे हुआ था ।
रेन्वा ने अपनी कला मे अधिष्ठात्री देवी का स्थान स्त्री को दिया ।
रेन्वा तेज रंगो के बजाए हल्के रंग का प्रयोग करते थे ।
उसने बुशे का चित्र डायना का स्नान का बार –बार चित्रण किया ।
1870 ई0 की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी मे उसका उत्कृष्ट चित्र ग्रिफोनवाली स्नानमग्ना युवतिया है , जिसे उसने 1884-1887 ई0 के मध्य तक बड़े परिश्रम से बनाया था ।
उसका एक अन्य विख्यात चित्र न्यूड है । 1910 ई0 मे बने इस चित्र का माध्यम तैल है , जिसे कैनवास पर बनाया गया है । वर्तमान मे यह नेशनल म्यूजियम ऑफ सर्बिया (बेलग्रेड ) मे सुरक्षित है । यह चित्र युगोस्लाविया के राजा प्रिंस पॉल द्वारा सर्बिया की जनता को भेंट स्वरूप दिया गया था ।
आगयुस्त रेन्वार के पुत्र जा रेन्वार ने फिल्म विधा को अपनाकर पिता के मुक़ाबले की जगह बनाई थी ।
रेन्वार के प्रसिद्ध चित्र
- झूला
- डांस एट ल मुलं द ला गालेत
- मादाम शार्पांतिय व उनकी पुत्रिया
- बुगिवाल का नृत्य
- स्नानमग्न युवतिया
- पियानो पर दो लड्कीया
- न्यूड
- बोटिंग पार्टी का लंच
- हूप के साथ लड़की 1885
- ग्रामोफोन वाली
तुलुज लोत्रेक Henri de Toulouse Loutrec 1864-1901
तुलुज लोत्रेक का जन्म 24 नवंबर , 1864 ई को अल्बी फ्रांस मे हुआ था ।
चौदह वर्ष की उम्र (1878 ई0 ) मे लोत्रेक एक दुर्घटना मे अपंग हो गया था ।
लोत्रेक की कला उत्कर्ष के चरम बिन्दु पर लगभग 1888-1898 वर्ष थी ।
लोत्रेक कलाकार दोनों पैरो से अपंग था ।
मूलरूज़ नामक मदिरालय के दृश्यो को लोत्रेक ने चित्रित किया ।
लोत्रेक प्रभाववादी कलाकार के चित्र विज्ञापन चित्र व लिथोग्राफी मे छापने के लिए भेजे जाते थे ।
लोत्रेक ने विज्ञापन , लिथोग्राफिक्स आवेदन चित्र व्यापारिक चित्र बनाए ।
लोत्रेक के चित्रो का विषय घुड़सवारी ,नृत्य,सर्कस था ।
1888 मे लोत्रेक का बनाया महत्वपूर्ण चित्र सर्कल फर्नादों है ।
पिसारों ओर सिसली प्रभाववादी शैली के चित्रकार है ।
विसलर माने के समकालीन प्रभाववादी चित्रकार थे ।
वाल्टर सिकर्ट प्रभाववाद के कलाकार है ।
माक्स लिबर्मन प्रकृति, व्यक्ति, कृषक, जीवन के चित्रण के लिए प्रसिद्ध है ।
बकरीवाला चित्र लिबर्मन का है ।
पेरिस के कुख्यात वेश्यागृह रुए आंब्राज़ की बैठक को सजाने का काम भी लोत्रेक ने किया । 1890 ई0 के दशक के मध्य मे उसने लि रायर नामक मैगजीन के लिए अनेक चित्र बनाए ।
1894 ई0 मे एक अन्य वेश्यागृह रुए द मुलं के अंतःगृह के कई दृश्यो के चित्र बनाए ।
लोत्रेक ने मासिक पत्रिकाओ व समाचार पत्रो मे व्यंग्य चित्र भी बनाए । व्यंग्य चित्रकारों की संस्था सलो द आर अंकोएरा की प्रदर्शनी मे अपने चित्रो को प्रदर्शित भी किया ।
लोत्रेक की प्रसिद्धि विज्ञापन कला के लिए थी । उसने कुल लगभग 30 विज्ञापन चित्र बनाए जिनमे पेरिस के बगीचे मे जॉन आवरिल सबसे उत्कृष्ट एवं महत्वपूर्ण है । इस चित्र मे नर्तिका जॉन आवरिल की पूर्ण कृति के चारो ओर से लेकर विशाल वाध्ययंत्र चित्रित किया गया है । यह चित्र उसने 1893 ई0 मे तैल रंग मे बनाया था ।
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