बरोक तथा रोकोको कला
Baroque and Roccoco Art (1600 -1800 ई0 तक )
बरोक का अर्थ है भौड़े आकार का मोती या अव्यवस्थित रूप
बरोक कला का जन्म इटली मे हुआ ।
इटली मे बरोक कला 16 सदी मे पनपी।
बरोक कला (वास्तुकला, संगीत, नृत्य, चित्रकला एवं मूर्तिकला सभी) 1600 ई0 के लगभग इटली मे उत्पन्न होकर मध्य 1800 शताब्दी ई0 तक प्रचलित रही, ओर फ्लांडर्स (वर्तमान बेल्जियम के अंतर्गत), जर्मनी मध्य यूरोप तथा स्पेन मे विशेष रूप से फैली है ।
बरोक कला मे रंगो के बल अधिक स्पष्ट व रंगीन है , छाया प्रकाश का नाटकीय प्रभाव भी अद्भुत है ।
बरोक शैली का मुख्य कलाकार कैरेवेज्जियों था ।
बर्निनी द्वारा निर्मित प्रसिद्ध संगमरमर कृति अपोलो एंड डेफ़िनी गैलेरिया बोर्गेस रोम मे सुरक्षित है ।
जियान लोरेंजों बर्निनी बरोक शैली का प्रसिद्ध इटालियन कलाकार था ।
सांता मारिया डेला विक्टोरिया (रोम ) मे स्थापित विख्यात संगमरमर मूर्ति एक्सटेसी ऑफ टेरेसा वर्ष 1647 से 1652 ई0 के मध्य की बरोक शैली मे बनी के मूर्तिकार जियान लोरेंजों बर्निनी है ।
बस्ट ऑफ लुईस – XIV (1665 ई0, मार्बल संग्रह पैलेस ऑफ वर्सेलिस, फ्रांस ) का मूर्तिकार बर्निनी है ।
ताश के धोखेबाज (the cardsharps) कैरेवेज्जियों की प्रसिद्ध पेंटिंग है ।
बरोक कला मे रंगमंच की सजावट इस प्रकार से की जाती थी की उसकी लाइट (प्रकाश) केवल पात्रो पर पड़े दर्शको पर नहीं ।
पात्रो के चेहरे पर भी लाइट न पड़े इसी को नाटकीय चित्रण या प्रकाश के छुपे हुए चित्र कहते है ।
बरोक कला गहन भावना, परिवर्तनशील गति तथा प्रकाश व छाया के लिए बहुत प्रसिद्ध है ।
इस कला मे फ़ौव्वारों के दृश्यो का बहुत प्रयोग हुआ है ।
यूरोपीय कला का यह काल स्वर्णकाल कहलाता है ।
बरोक कला के प्रमुख कलाकार कैरेवेज्जियों, रूबेन्स तथा रेंब्रा इत्यादि थे ।
कैरेवेज्जियों
1571 – 1610 ई0
कैरेवेज्जियों का जन्म 28 सितंबर 1571 ई0 को मिलान (इटली) मे हुआ ।
कैरेवेज्जियों इटली की बरोक कला का जन्मदाता व यथार्थवाद शैली मे कार्य करने वाला प्रसिद्ध चित्रकार था ।
वह पवित्र घटनाओ का प्रत्यक्षदर्शी चित्रण करने वाला श्रेष्ठ कलाकार भी था ।
ताश के धोखेबाज (the Cardsharps) उसकी ऐसी कृति है जिसमे विषय तथा चित्रण विधि दोनों मे नवीनता है । वर्ष 1594 ई0 का कैनवास पर तैल माध्यम मे अंकित यह चित्र वर्तमान मे किम्बेल आर्ट गैलरी, फ़ोर्टवर्थ (यू0एस0ए0) मे सुरक्षित है ।
कैरेवेज्जियों ने 1603-1604 ई0 के मध्य अपने सबसे प्रशंसित वेदी चित्रो मे से एक ईसा का दफनाया जाना (द एंटोबेमेंट ऑफ क्राइस्ट ) का निर्माण वल्लिकेला (चिपासा नुओवा ) मे सांता मारिया चर्च के दाई ओर दूसरे चर्च के लिए किया । तैल रंगो से कैनवास पर निर्मित इस चित्र की एक प्रति अब चैपल मे है ओर मूल प्रति पिनाकोटेका वेटिकन मे है ।
कैरेवेज्जियों नाटकीय धार्मिक विषयो का सुंदरता से चित्रण करता था ।
उसने कुमारी की मृत्यु (death of virgin) नामक चित्र मे अपने एक ग्रामीण स्त्री को मृतप्राय अवस्था मे चित्रित किया । 1604-1606 ई0 के ,मध्य कैनवास पर तैल रंगो से निर्मित यह चित्र वर्तमान मे लुव्र म्यूजियम, पेरिस मे सुरक्षित है।
1599 से 1600 के मध्य की निर्मित सेंट मैथ्यू का बुलावा (the calling of sanit matthew) केरेवेज्जियों की प्रसिद्ध पेंटिंग है ।
कैरेवेज्जियों के प्रसिद्ध चित्र
- थॉमस का संदेश inspiration of saint thaumas
- संत मैथ्यू का बुलावा calling of saint Mathew
- कुमारी की मृत्यु death of virgin
पीटर पाल रूबेन्स peter paul Rubens
1577-1640 ई0
फ्लीमिश बरोक कलाकार रूबेन्स का जन्म 20 जून 1577 ई0 को सीजेन जर्मनी मे हुआ था ।
रूबेन्स ने अनावृत्ताओ व स्त्रियो को जितनी सुंदरता व अधिकता से अंकित किया उतना संभवतः अन्य कलाकारो ने नहीं किया ।
उसने स्त्री आकृतियो को स्वस्थ , मांसलयुक्त, लावण्यपूर्ण, माधुर्यपूर्ण तथा मादकतापूर्ण बनाया ।
इस फ्लीमिश चित्रकार ने कूटनीतिज्ञ की भूमिका भी निभाई थी ।
रूबेन्स ने अपने चित्रो मे बाइबिल के विषयो को मानवातावादी दृष्टि से अनुदित किया था ।
रूबेन्स द्वारा द रेप ऑफ यूरोपा वर्ष 1628-29 ई0 के मध्य कैनवास पर बना तैल चित्र है , जो अब प्राड़ो संग्रहालय, मैड्रिड (स्पेन )मे सुरक्षित है । यह टीशियन द्वारा 1562 ई0 मे निर्मित द रेप ऑफ यूरोपा चित्र की नकल है ।
1612-1614 ई0 की बनी उसकी श्रेष्ठ कृति – ईसा का सूली से उतारा जाना (the decent from cross ) है । वर्तमान मे यह चित्र अवर लेडी कैथेड्रल एंटवर्प, बेल्जियम मे सुरक्षित है ।
रूबेन्स के कुछ प्रसिद्ध चित्र
- क्रास का खड़ा किया जाना the raising of the cross 1610 -1611 ई0
- लूकीपस की कन्याओ का शीलभंग the rape of the daughters of Leucippus
- पेरिस का न्याय
- तीन लावण्य three gresej
- वीनस एवं एडोनिस
- द फाल ऑफ मैन 1628-29 ई0
- द होली फैमिली 1630
- द नाइट 1601-03
रेंब्रा वान राइन Rembrandt van Rijn
1607 -1669 ई0
रेंब्रा का जन्म 15 जुलाई 1607 ई0 को डच गणराज्य के लीडेन वर्तमान हालैण्ड मे हुआ था ।
रेंब्रा एक डच ड्राफ्ट्समैन, पेंटर ओर प्रिंटमेकर था । वह डच चित्रकला के इतिहास मे सबसे महान चित्रकार था । कला मे उसी के समय 17 वीं शताब्दी ने डच स्वर्णयुग आया ।
रेंब्रा ने सर्वाधिक व्यक्ति चित्र बनाए । व्यक्ति चित्रण मे वह शुरू से दीवाना था । प्रारम्भ मे उसने अपने पिता के 11 ओर माता के 10 व्यक्ति चित्र बनाए। यही नहीं दर्पण को देखकर उसने अपना स्वय के 62 आत्मचित्र बना डाले ।
रेंब्रा की चित्रकला रेखा प्रयोग हेतु प्रसिद्ध है ।
रेंब्रा अपने विषय बाइबिल से लेते थे ।
रेंब्रा ने पेंसिल से या स्याही से जो रेखांकन किया वह ब्रिटिश म्यूजियम मे सुरक्षित है ।
लेटी हुई लड़की को चित्रांकित रेंब्रा ने किया।
लाफिंग कैवेलियर (मुस्कुराता अश्वारोही ) चित्र फ्रांस हाल्स ने चित्रित किया ।
मुस्कुराता अश्वारोही चित्र वर्तमान मे वालेस संग्रह, लंदन मे सुरक्षित है ।
फ्रांस हाल्स डच चित्रकार अपने व्यक्ति चित्र के लिए प्रसिद्ध है ।
जिप्सी गर्ल् फ्रांस हाल्स बरोक कलाकार की प्रसिद्ध कृति है ।
रेंब्रा को नाटकीय प्रकाश के लिए जाना जाता है ।
आनंदोत्सव मनाते स्त्री पुरुष तथा बालको के सबसे अधिक चित्र फ्रांस हाल्स ने बनाए है ।
व्यक्ति चित्रण मे उसकी प्रतिभा अपने पूर्णत्व मे प्रकट हुई है । चारो ओर फैले अंधकार के मध्य प्रकाश पुंज सा चमकता चेहरा उसकी पोट्रेटस का सबसे विलक्षण लक्षण था ।
इसके अतिरिक्त रेंब्रा ने बाइबिल के कथानकों को भी अपने चित्रो मे उतारा ।
उसने बहुत से इंग्रेविंग (एचिंग) बनाए तथा बड़ी संख्या मे बेचे ।
उसकी प्रारम्भिक रचनाओ मे वर्ष 1627 ई0 का सेंटपाल इन प्रिज़न (ऑयल ऑन वूड) उल्लेखनीय है । यह चित्र वर्तमान मे स्टेटस गैलरी स्टटगार्ट, जर्मनी मे सुरक्षित है ।
सेम्सन एंड डेलीला 1629-1630 ई0 चित्र माला सीरीज के अंतर्गत रेंब्रा ने अपना ओर अपनी पत्नी सस्किया का चित्र अंकित किया जो वर्तमान मे बर्लिन के जेमाल्ड गैलरी मे सुरक्षित है ।
रेंब्रा ने अपनी पत्नी सस्किया के कुल 20 चित्र बनाए , कभी बाइबिल की किसी हेरोइन का रूप देकर तो कभी प्राचीन शास्त्रीय देवी के रूप मे ।
उसके अपने नौकरानी से गलत संबंध थे ।
सारे विरोध के बावजूद रेंब्रा ने उससे विवाह कर लिया । फलस्वरूप अब उसे उच्च कुलीन परिवारों का संरक्षण मिलना बंद हो गया ओर उस पर आर्थिक तंगी आ गई । 1656 ई0 मे वह दिवालिया हो गया
1660 ई0 मे उसने अपनी पहली बीबी सस्किया के पुत्र टिटस का व्यक्ति चित्र बनाया, जिसे वन ऑफ द वर्ल्ड्स मास्टर पीसेज ऑफ पोट्रेचर की संज्ञा दी गई ।
यह वर्तमान मे यह लुव्र संग्रहालय की शोभा संपत्ति है ।
लगभग चार वर्ष उपरांत रेंब्रा ने फ़्रांस्बे वान वैशर कोयन का व्यक्ति चित्र बनाया जिसमे उसने वृद्धावस्था का अत्यंत कोमल एवं सहानुभूति चित्रण किया ।
विवश होकर रेंब्रा प्रकृति की ओर उन्मुख हुआ ।
1640 से 1652 ई0 तक प्राकृतिक दृश्यो के अनेक चित्र एचिंग बनाए । द थ्री ट्रीज़ (1643 ई0 एचिंग ओर drypoint तकनीक मे निर्मित ) नामक कृति रेंब्रा के प्राकृतिक दृश्यो मे सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है । उसका सिक्सेज़ ब्रिज (1645 ई0 एचिंग प्रिंट तकनीक ) चित्र भी उल्लेखनीय है ।
सिंडिक्स ऑफ द डेपर्स गिल्ड रेंब्रा द्वारा निर्मित 1662 ई0 की अंतिम महान सामूहिक कृति है । तैल माध्यम से कैनवास पर निर्मित यह चित्र वर्तमान मे एम्स्टर्डम के रिज्कसम्यूजियम के स्वामित्व मे है ।
रेंब्रा दीन दुखियो से प्रेम करता था अमीरों को नहीं । यही कारण था कि उसने ग्रसित, दुखी ओर कुरूप लोगो के सर्वाधिक चित्र बनाए ।
उसने युवावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक अपने स्वय के आत्मचित्रों की चित्रमाला बना डाली जो उसकी सबसे बड़ी कला धरोहर है ।
1642 ई0 मे रेंब्रा ने कैनवास पर तैल माध्यम से सार्टी या रात्रि के प्रहरी (the night watch ) नामक अपना एक चित्र बनाया जिसे उसका सर्वश्रेष्ठ चित्र माना जाता है । इस चित्र मे रेंब्रा ने नागरिक सुरक्षा दल तैयार खड़े अंकित किया है । छाया प्रकाश के माध्यम से रेंब्रा ने चित्र मे नाटकीय प्रभाव उत्पन्न करने का प्रयत्न किया है । यह चित्र वर्तमान मे एम्स्टर्डम संग्रहालय, नीदरलैंड मे सुरक्षित है ।
द रिटर्न ऑफ द प्रोडिगल सन चित्र रेंब्रा ने 1661-1669 ई0 के मध्य बनाया था , जो वर्तमान मे हरमिटेज संग्रहालय, सेंट पीटर्सबर्ग मे सुरक्षित है ।
रेंब्रा रेखा चित्र के लिए बहुत प्रसिद्ध था । उसने लगभग 300 अम्लचित्र (एचिंग ), 2000 रेखाचित्र तथा 600 रंगीन चित्र बनाए ।
रेंब्रा के प्रसिद्ध चित्र
- गायक (1624-1625 ई0 )
- सेल्फ पोट्रेट 1645-1652 ई0
- द एनाटोमी लेशन ऑफ डॉ निकोलिस टुल्प 1632 ई0
- बेलशेजर फास्ट 1635-1638 ई0
- द नाइट वाच 1642 ई0
- बाथ शीबा एट हर बाथ 1654 ई0
- सिडिक्स ऑफ द ड्रेपर्स गिल्ड 1662 ई0
- हंट्रेड गिल्डर प्रिंट 1649 ई0
- संत मैथ्यू ओर फरिश्ता 1661 ई0
- चिड़िया को खाता सिंह 1638 ई0
- सोता हुआ प्रहरी कुत्ता 1640 ई0
- लेती हुई लड़की 1654 ई0 तीन गायक 1625 ई0
रोकोको कला Rococo Art
रोकोको शैली का मुख्य केंद्र फ्रांस मे था ।
18 वीं शताब्दी के प्रारम्भ मे फ्रांस की दरबारी कला मे एक नई शैली ने जन्म लिया । इस शैली पर समकालीन वास्तुकला (जो रोकोको कहलाती थी ) का स्पष्ट रूप से प्रभाव था अतः यह शैली रोकोको नाम से प्रसिद्ध हुई ।
रोकोको शब्द का प्रयोग फ्रांस मे 1835 ई0 मे पहली बार किया गया था । इस शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द रोकोय से हुई थी जिसका अर्थ सीप के ऊपर गतिमान वक्र रेखाए है ।
जिस प्रकार सीप के ऊपर गतिमान वक्र रेखाए होती है उसी प्रकार की रेखाओ को रोकोको शैली मे प्रधानता दी गई है ।
पुनरुत्थान एवं प्रभावशाली कला आंदोलनो के मध्य रोकोको कला सर्वाधिक आकर्षक कला आंदोलन रहा ।
1740 ई0 तक फ्रांस मे रोकोको शैली अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँची ।
रोकोको शैली मे सबसे अधिक संख्या मे विविध शैलियो मे बुशे ने कार्य किया ।
सुखी माँ चित्र फ्रेगोनार्ड कलाकार है ।
बातो चित्रकार ने प्रिजमेटिक रंगो की पृष्ठभूमि मे रंग संबंधी प्रयोग किए ।
रोकोको शैली मे हास्य व्यंग्य आधारित चित्र विधा को केप्रीको कहा जाता है ।
इस शैली के चित्रो मे अधिकतर नायक नायिकाओ के चित्र काल्पनिक स्वर्ग समान वातावरण मे बनाए गए ।
इस शैली मे राजाओ व दरबारी लोगो के व्यक्ति चित्र एवं ग्रीक व रोमन पुराणो से लिए गए देवताओ , परियो व अन्य अतिमानवीय शक्तियों के चित्र बनाए जाते थे ।
यह मुख्यतः आंतरिक सज्जा की कला थी , इसमे अंगेजी के C अक्षर के आकार वाले अलंकरणों का प्रयोग हुआ है ।
रोकोको कला के मुख्य कलाकार
- बातों
- बुशे,
- फ़्रागोनार्ड
- शार्दी,
- बाउचर
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- भूपेन खक्खर
- सोमनाथ होर Somnath Hor
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- जॉन कांस्टेबल John Constable
- यथार्थवाद Realism