यथार्थवाद Realism

यथार्थवाद Realism

यथार्थवाद एक कला आंदोलन था जो 1850 के दशक के उत्तरार्द्ध मे फ्रांस मे आरंभ हुआ ।

यथार्थवाद का आरंभ रोमांसवाद की प्रतिक्रिया रूप हुई थी ।

यथार्थवाद कलाकारो ने प्राचीन शास्त्रीय विषयो तथा इतिहास को छोड़कर समकालीन जीवन का चित्रण करना आरंभ किया ।

विषय की दृष्टि से समकालीन जीवन के चित्रण के लिए यथार्थवादी आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण था ।

इस समय उच्च वर्ग तथा धर्माधिकारियों के प्रति घृणा का भाव बढ़ा ओर मध्यम तथा निम्न वर्गो को कलाकार की सहानुभूति प्राप्त होने लगी । कलाकार अपना व समाज का संबंध भी समझने लगा । चित्रो मे उसने स्वय को विभिन्न सामाजिक स्थितियो मे चित्रित करना आरंभ कर दिया , यंहा तक की अपनी चित्रशाला का भी अंकन शुरू किया । उसने स्वय को जनता के समक्ष कलाकार के ही रूप मे चित्रित किया ।

यथार्थवादी कलाकारो ने शास्त्रीय विषयो की तरह , शास्त्रीय नियमो की भी अवहेलना की । उन्होने चारो ओर के संसार को जिस रूप मे देखा उसी रूप मे चित्रित करने का प्रयत्न किया । उसे उन्होने न सुंदर बनाने की चेष्टा की, न कुरूप बनाने की ।

आधुनिक कलाकार समाज का नियंत्रण नहीं मानता , यह प्रवृत्ति भी यथार्थवाद से आरंभ होती है ।

यथार्थवाद का आरंभ ओनोर दोमीय की कला से हुआ । दोमीय के बाद इस आंदोलन का प्रमुख कलाकार तथा नेता गुस्ताव कुर्बे हुआ ।

 

ओनोर दोमीय Honore Daumier 1808-1879

दोमीय का जन्म फ्रांस के मार्सेलीज़ मे 26 फरवरी 1808 ई0 को हुआ था ।

दोमीय प्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार’, प्रिंटमेकर तथा मूर्तिकार था ।

उम्र के 22 वें साल मे दोमीय ने व्यंग्य चित्रकार के रूप मे कार्य शुरू किया । उसके पश्चात 40 साल के अंदर करीब 500 चित्र , 4000 लिथोग्राफ , 1000 वूड इंग्रेविंग तथा करीब 100 मूर्तिया का निर्माण किया ।

वैसे दोमीय यथार्थवादी चित्रकार के रूप मे प्रसिद्ध हुआ , किन्तु उसकी सर्वाधिक प्रसिद्धि व्यंग्य चित्रकार के रूप मे थी ।

दोमीय ने अपने व्यंग्य चित्रो के द्वारा मध्यवर्ग, उसका अहंकार व खोखलापन, नेताओ के छद्म क्रियाकलापो तथा गरीबो के दुख व उच्च वर्ग के अन्यायपूर्ण व्यवहार का भी उपहास उड़ाया ।

उसने वकीलो व धोबिनों के कई चित्र बनाए ।

मुख से बढ़कर विचित्र कोई वस्तु नहीं है । अपराधी को बचाने के लक्ष्य से वह कितने थोथे ओर बनावटी तर्क न्यायाधीश के सामने रखता है, इस प्रकार वह न्याय को भी हास्यास्पद बना देता है ।‘’

कैरिकेचर साप्ताहिक तथा चारवारी दैनिक दो समाचार पत्रो के माध्यम से उसके व्यंग्य चित्र प्रकाशित होने लगे थे । उसके जारजान्तुआ नाम से प्रकाशित प्रारम्भिक व्यंग्य चित्र पाठको को खूब प्रभावित करते , यंहा तक की लुईस फिलिप का कैरिकेचर प्रकाशित करने से इसे 6 महीने की कैद की सजा मिली थी ।

दोमीय के चित्रो के संबंध मे बाल्जाक  ने कहा था  कि ‘’इस चित्रकार के भीतर माइकेल एंजिलों छिप कर बैठे है ‘’।

 

दोमीय के कुछ प्रसिद्ध चित्र

  1. न्यायालय
  2. रेल का डिब्बा
  3. रंगमंच के दृश्य
  4. डॉन क्विकजोट के कहानी चित्र
  5. शैलियो कि लड़ाई
  6. भिखारी
  7. धोबन का चित्र
  8. वकीलो के चित्र
  9. दो वकील
  10. शतरंज के खिलाड़ी (पेरिस संग्रहालय)
  11. तीसरी श्रेणी का डिब्बा (मेट्रोपोलिटन संग्रहालय न्यूयॉर्क अमेरिका )
  12. नाटक

 

 

 

गुस्ताव कुर्बे  Gustave Courbet  

1819-1877

 

गुस्ताव कुर्बे का जन्म 10 जून 1819 को फ्रांस के ओर्ना नामक गाँव मे हुआ था ।

दोमीय के पश्चात यथार्थवाद के प्रणेताओ मे गुस्ताव कुर्बे का प्रमुख स्थान था ।

कुर्बे ने श्रमिकों एवं कृषको का चित्रण ही अपना कला का मुख्य विषय बनाया ।

तत्कालीन समाज का यथार्थ चित्रण करने के कारण उसे शैतान व विद्रोही कहा गया ।

1850 ई0 मे कुर्बे ने कैनवास पर तैल माध्यम से पत्थर तोड़ने वाले the stone breakers शीर्षक से प्रसिद्धि चित्र बनाया । इस चित्र को उसने 1850 ई0 मे पेरिस के सलों प्रदर्शीनि मे प्रदर्शित किया । दुर्भाग्यवश द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 154 अन्य कृतिया के साथ यह चित्र भी नष्ट हो गया ।

1855 ई0 मे अंतराष्ट्रीय प्रदर्शिनी मे उसके प्रमुख चित्र अस्वीकृत हुई। क्रुद्ध होकर उसने इस प्रदर्शिनी के समानान्तर अपने चित्रो ओर 4 रेखाचित्रो कि प्रदर्शिनी (सोलो शो) आयोजित करने कि परंपरा का सूत्रपात भी हुआ । इस तरह से सर्वप्रथम एकल प्रदर्शिनी आयोजित करने वाला कुर्बे प्रथम कलाकार था ।

इस प्रदर्शिनी मे उसने अपने एक पुराने चित्र ओर्ना का दफन संस्कार A Burial at Ornans के साथ एक नया विशाल चित्र चित्रकार का कार्यकक्ष the painters studio तैल माध्यम से कैनवास पर बनाकर प्रदर्शित किया । कहा जाता है कि नवशास्त्रीयतावाद के लिए होरेशिया का प्रण एवं रोमांसवाद के लिए  मेदुसा का बेड़ा का जो महत्व था वही महत्व यथार्थवाद मे ओर्ना का दफन संस्कार चित्र का था । ऑयल ऑन कैनवास माध्यम मे बना यह विशाल चित्र (20’’*22’’ माप का ) वर्तमान मे म्युसी द ओर्साय संग्रहालय पेरिस फ्रांस मे सुरक्षित है । कुर्बे गर्व के साथ कहता – मैंने ओर्ना का दफन संस्कार के साथ रोमांसवाद को दफना दिया । वह कहता  -‘’ मुझे देवता दिखाओ ओर मै उसका चित्र खिचुंगा ‘’।

 

गुस्ताव कुर्बे कि चित्राकृतियों से प्रेरित होकर चार्ल्स बोदलेयर ने अपनी कविताओ मे यथार्थवाद को अभिव्यक्त किया था ।

 

कुर्बे के प्रसिद्ध चित्र

  1. पाइप वाला आदमी
  2. दोपहर का भोजन
  3. मोती पहने स्त्री
  4. ओर्ना का दफन संस्कार
  5. चित्रकार का कार्यकक्ष
  6. नमस्ते कुर्बे महोद्य
  7. पत्थर तोड़ने वाले संग तराश
  8. सेन नदी के किनारे मलिकाए
  9. कुत्ते के साथ चित्रकार कुर्बे 1844
  10. आत्म चित्र 1841
  11. ओर्ना का भोजन

 

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