क्रीटन माइसीनियन तथा यूनानी कला
माइसीनियन कला का जन्म एवं विकास यूनान मे हुआ था ।
यूनान मे माइसीनियन कला के पश्चात डोरिक कला शैली आरंभ हुई ।
क्रीटन – माइसीनियन कला का इस कला ने यूनानी शास्त्रीय कला की पृष्ठभूमि तैयार की थी ।
क्रीटन माइसीनियन सभ्यता कांस्य युग से संबन्धित है ।
मिनोअन कला का प्रभाव सर्वप्रथम क्रीट देश की कला मे मिलता है ।
होमर द्वारा रचित इलियड मे वर्णित त्राय नगर के अवशेष एशिया माइनर मे माइसीने के निकट मिले है ।
बालबक जा रोमन मंदिर बाल देवता से संबन्धित है ।
एजियन द्वीपो एवं महाद्वीपीय क्षेत्रों मे कांस्य युग (विशेषतः द्वितीय सहस्त्राब्दी ई0पू0 ) की कला द्कोक क्रीटन माइसीनियन कला का नाम से अभिहित किया गया है । एक अर्थ मे यह यूनानी कला की आधारभूत प्रेरणा भी रही है ।
कुछ लोग इस सभ्यता के व्यापक प्रसार के कारण इसे एजियन कला भी कहते है ।
क्रीट ओर माइसीने दो अलग अलग द्वीप है । क्रीट की कला अपेक्षाकृत प्राचीन है ।
माइसीनियन कला का जन्म एवं विकास यूनान मे हुआ था ।
यूनान मे माइसीनियन कला के पश्चात डोरिक कला शैली आरंभ हुई ।
क्रीटन माइसीनियन कला ने ही यूनानी शास्त्रीय कला की पृष्ठभूमि तैयार की थी ।
प्रसिद्ध चित्र एक्रोपोलिस का युद्ध माइसीनियन राजप्रासाद मे अंकित है ।
क्रीटन काल मे सागरीय तथा उधानी वातावरन से संबन्धित विषयो तथा आकृतियो का प्रमुख्यतः चित्रण विशुद्ध आलंकारिक शैली मे किया गया है ।
क्रीटन कला मे तनाव आकृतिया धार्मिक उत्सवो के संदर्भ मे चित्रित हुई है ।
माइसीनियन कला मे सूक्षमता तथा आलंकारिकता की प्रवृत्ति अधिक है ।
यूनानी सभ्यता का केंद्र क्रीट था ।
क्रीट के प्रासाद पूर्व युग मे मिट्टी के पके हुए पात्रो पर ज्यामितीय आलेखन सफ़ेद तथा लाल रंग से भरे जाते थे ।
माइसीनियन कला को तीन (प्राचीन, मध्य, अंतिम युग ) युगो मे बांटा गया है ।
इलियड ओर ओडिसी होमर कवि का प्रसिद्ध महाकाव्य है ।
नव बेबीलोन युग कैल्डियन युग को कहते है ।
यूनानी कला
यूनान मे ओलंपिक खेलो का आरंभ 776 ई0 पू0 मे हुआ था ।
पार्थेनन एथेंस नगर की रक्षक देवी एथीना का मंदिर है ।
कोलोसियम मुक्ताकाश – प्रेक्षागृह है ।
रोमन वास्तु शिल्प का सर्वाधिक प्रशंसित ओर अनुकृत अभिप्राय विजय द्वार है ।
एक्रोपोलिस यूनान मे किसी भी ऊंचे स्थान पर बने विशेष रूप से एथेंस की पहाड़ी पर नगर दुर्ग है ।
कैनान शब्द ग्रीक कला मे पहली बार पालीक्लीतस द्वारा प्रयुक्त हुआ था ।
डोरोफोरस का मूर्ति शिल्पी पालीक्लीतस था ।
सोमेथ्रस द्वीप मे मिली विजयश्री की यूनानी प्रतिमा (पेरियन मार्बल निर्मित ) 200-190 ई0पू0 की लुब्र (पेरिस ) मे स्थापित है ।
जाइजेंणटोमेचिया परगामन पहाड़ी के श्वेत स्मारक की भद्रिका का विषय (वर्तमान मे लुब्र संग्रहालय मे सुरक्षित ) है ।
शास्त्रीय कला मे निक्स देवी को अंधी दिखाया गया है ।
अपोलो की मूर्ति ज्यूस, ओलंपिया मंदिर के शीर्षाग्र (पेडिमेड ) से प्राप्त है ।
यूनानी देवता मानवीय गुणो के आदर्शो के प्रतीक थे ।
डिस्कोबोलस माइरन यूनानी शिल्पी की कृति है ।
यूनानी शिल्प मे पुरुष तथा नारी सौंदर्य की प्रतीक अपोलो तथा अफ़्रोदिती आकृतीया है ।
अफ़्रोदिती को वीनस कहा जाता है ।
पंखदार विजय श्री की मूर्ति तथा चित्र बनाने वाले प्रथम कलाकार पेओनिअस तथा अरिस्तोफोन कलाकार थे ।
एथीना तथा ज्यूस की प्रतिमाओ का शिल्पी फिदियास था ।
सिकंदर की मूर्ति बनाने वाला प्रथम शिल्पी लिसीपस था ।
सिकंदर का चित्र बनाने वाला प्रथम चित्रकार एपेलीज़ था ।
लूडोवीसी सिंहासन पर सागर मे से उत्पन्न होते हुए प्रेम की देवी अफ़्रोदिती यूनानी देवी की आकृति उत्कीर्ण है ।
रथवाही की कांस्य प्रतिमा यूनान के डेल्फी नगर स्थान से प्राप्त हुई है ।
ग्रीक देवता ईरोस की आकृति रोमन कला मे क्यूपिड नाम से अंकित हुई है ।
लाकून की प्रतिमा का निर्माण हैलेनिस्टिक युग मे हुआ ।
संगमरमर निर्मित लाकून प्रतिमा वर्तमान मे वेटिकन म्यूजियम (इटली ) मे सुरक्षित है ।
काली आकृति वाली शैली के चित्र यूनानी युग मे बने ।
रोमन युग मे अंकित सर्वाधिक भित्तिचित्र हरक्युलेनियम उपलब्ध है ।
एथेंस के पात्रो पर लाल आकृति का चित्रण सभी मुद्राओ मे हुआ।
पालीग्लोतस के चित्र के विषय को पीटर पाल रूबेन्स ने पुनः लूकीपीडी का अपहरण चित्रित किया था ।
नेत्रीय परिप्रेक्ष्य के नियमो की खोज को आगे बढ़ाने मे एगेथारकस यूनानी चित्रकार का महत्व है ।
ओदिसी दृश्य तथा सिकंदर का मणिकुट्टीम भित्ति चित्र रॉम मे अंकित हुए ।
मणिकुट्टीम चित्र सबसे पहले पोमपेई मे बने ।
यूनान के डोरिक पात्रो पर आध ज्यामितीय शैली मे चित्रण हुआ है ।
एक्सीकिआस तथा यूफ़्रेनियस आरंभिक शास्त्रीय युग के यूनानी पात्र चित्रकार थे ।
आरंभिक शास्त्रीय युग मे एथेनियन अन्त्येष्टि पात्रो का चित्रकार एक्सीकिआस था ।
वासनमूलक कृतियो के लिए पैरेसिअस शास्त्रीय चित्रकार विशेष प्रासिद्ध था ।
पुरुषाकृति से नारी आकृति के शरीर के रंग मे अंतर करने वाला प्रथम चित्रकार यूमारिज था ।
स्थिति लाघव दिखाने वाला प्रथम यूनानी चित्रकार किमोन था ।
छठी शती ई0पू0 मे स्थिति लाघव का प्रयोग करके किमोन नामक यूनानी चित्रकार चित्रकला के क्षेत्र मे परिप्रेक्ष्य के प्रयोगो के लिए नए द्वार खोल दिये ।
भारत मे गांधार कला का उदाहरण हैलेनिस्टिक कला है ।
सिकंदर महान का जन्म 356 ई0पू0 मेसोडोनिया हुआ ।
यहूदी धर्म के सस्थापक इब्राहिम थे ।
प्लेटो तथा अरस्तू यूनान देश के रहने वाले थे ।
ग्रीस (यूनान ) प्राचीन कला की वास चित्रकला प्रसिद्ध है ।
इट्रस्कन कला प्राचीन रोम से संबन्धित है ।
पारसी धर्म के प्रवर्तक जरथ्रुस्ट थे ।
पार्थेनन एथेंस मे स्थित है ।
यूनान की कलाकृति रथवाहक 478 ई0 पू0 काल मे बनाई गई ।
डेल्फी से प्राप्त रथवाहक की कांस्य प्रतिमा वर्तमान मे डेल्फी संग्रहालय (ग्रीस ) मे सुरक्षित है ।
माइरन की प्रसिद्ध कृति वर्तमान मे म्यूनिख संग्रहालय जर्मनी मे स्थापित है , जिसका शीर्षक डिस्कोबालस है ।
पालीक्लितस की प्रसिद्ध कृति भाला लिए मल्ल जो 440 ई0पू0 की है, वर्तमान मे नेपल्स म्यूजियम इटली मे सुरक्षित है ।
आरंभिक यूनानी वास्तुशिल्प का प्रवेश द्वार त्रिभूजाकृति शीर्ष वाले स्वरूप मे मिलता है ।
भारत मे सबसे पहले सोने के सिक्के हिन्द यूनानियों ने जारी किए ।
प्रसिद्ध कृति चक्का फेंकने वाला का कलाकार माइरन है ।
प्राचीन यूनान मे ओलंपिक खेल जियस देवी-देवता के सम्मान मे आयोजित किए जाते थे ।
होमर द्वारा लिखित महाकव्य इलियड तथा ओडिसी है ।
होमर यूनान के आदि कवि (दोनों आँख से अन्धे ) थे ।
ब्लैक फिगर तकनीक यूनान कला मे प्रयोग की गई
प्राचीन ग्रीक स्त्री ओर पुरुष मूर्तियो को कुरोस ओर कोरे कहा जाता है ।
मेडुसा एंड हर सन क्रिस्सार कोर्फ़ू संग्रहालय ग्रीस मे प्रदर्शित है ।
मिलोस द्वीप से प्राप्त तथा लुब्र म्यूजियम पेरिस मे सुरक्षित वीनस डी मिलो (मार्बल, 203 सेमी0 आकार मे ) मूर्ति हैलेनिस्टिक (130-100 ई0पु0 ) की है ।
क्रीट एक विशालतम द्वीप था जो की यूनान के दक्षिण मे स्थित था ।
क्रीट की कला अपने चर्मौन्नति पर 1600 ई0पू0 मे पहुंची ।
सागरीय शैली (मरीन शैली ) मे 1500 ई0पू0 का आक्टोपस पात्र पालाइकास्ट्रो से प्राप्त हुआ है ।
माइसीनिया यूनान मे क्रीट के उत्तर की ओर स्थित है ।
माइसीनिया सभ्यता व संस्कृति पेलोपोनीसस मे विकसित हुई।
बुल जंपर नामक भित्ति चित्र नासोम (मिनोन) से संबधित है ।
बालबक का रोमन मंदिर बाल देवता से संबन्धित है।
मरणासन गौल (डाइंग गौल ) का संबंध हैलेनेस्टिक कला से संबधित है ।
ईसाई धर्म की पुस्तक बाइबिल मूल रूप से हिब्रू भाषा मे लिखी गई है ।
हरमीज एवं डायोनियस के मूर्तिकार प्रेगजाइटलीज है ।
यूनानी देवता मानवीय गुणो के आदर्श के प्रतीक थे ।
सिकंदर की मूर्ति बनाने वाला प्रथम शिल्पी लिसिपस था ।
यूनानी शिल्प मे पुरुष सौंदर्य का प्रतीक अपोलो था ।
कोलोसियम रंगभूमि है ।
कोलोसियम रंगभूमि (70-80 ई0) के मध्य निर्मित रॉम मे स्थित है ।
रोमन वास्तु शिल्प का सर्वाधिक प्रशंसित ओर अनुकृत अभिप्राय विजय द्वार है ।
शास्त्रीय कला मे सौंदर्य की आदर्श देवी अफ़्रोदीती थी ।
एथेंस के पात्रो पर लाल आकर्ति का चित्रण सभी मुद्राओ मे हुआ ।
नेत्रीय परिप्रेक्ष्य के नियमो की खोज एगेथारकस यूनानी चित्रकार ने की ।
यूनानी शासक सिकंदर ने भारत पर आक्रमण 327 ई0पू0 मे किया था ।
एंफोरा पौटरी (जार रूपी प्राचीन चित्रित बर्तन) ग्रीक की है ।
स्वर्णिम विभाजन पद्धति सिद्धांत का प्रतिपादन यूनानियों ने किया ।
स्वर्णिम सिद्धांत के अनुसार कागज पर चित्र को 2:3 मे बनाया जाता है ।
अरस्तू के अनुसार कला अनुकृति (प्रकृति की नकल ) है ।
पाश्चात्य सौंदर्यशास्त्री जो अनुकृति सिद्धांत के प्रणेता अरिस्टोटल अरस्तू है ।
प्लेटो द्वारा लिखित ग्रंथ सिंपोजियम है ।
ग्रीक प्राचीन कला की वास चित्रकला प्रसिद्ध है ।
काली आकृति वाली शैली के चित्र यूनान युग मे बने है ।
पारसियों का प्रसिद्ध ग्रंथ जेड-अवेस्ता है ।
मूर्तियो पर आर्काइक मुस्कान ग्रीस की मूर्तियो के लिए प्रसिद्ध है । अँग्रेजी भाषा के लगभग सभी अक्षर लैटिन अक्षर लिपि से आए है ।
‘’मै यह जानता हूँ कि मै कुछ नहीं जानता’’ यह कथन सुकरात का है ।
यूनान कि कला को शैली के आधार पर चार प्रमुख भागो मे बांटा जाता है ।
- ज्यामितीय युग (Geometrical Period ) 900-600 ई0पू0
- आर्काइक युग (Archaic Period) 600-480 ई0पू0
- शास्त्रीय युग (Classical Period ) 480-323 ई0पू0
- हैलेनेस्टिक युग (Hellenistic Period) 323-30 ई0पू0
ज्यामितीय युग (Geometrical Period ) 900-600 ई0पू0 –
यूनान मे प्रथम ज्यामितीय शैली 900 ई0 पू0 के लगभग एथेंस मे प्रारम्भ हुई ।
इस समय के यूनानी कला के उदाहरण केवल पात्रो के रूप मे मिलते है , जो घरेलू तथा दाहसंस्कार दोनों के उपयोग मे आते थे ।
यूनान कि कला के विषय मे जानकारी मूलतः मिट्टी के चित्रित पात्रो (वाश चित्रकला ) एवं तश्तरियों के आधार पर मिलती है ।
इन पात्रो पर ज्यामितीय रूपो का अधिकाधिक प्रयोग हुआ था । मानव या पशु आकृति का प्राय अभाव है ।
इस समय काली आकृति वाली तकनीक (ब्लैक फिगर तकनीक ) का प्रयोग हुआ , जिनमे काले रंग से मिट्टी के पात्रो पर ज्यामितीय आलेखन बनाए गए।
इसका श्रेष्ठ उदाहरण 750 ई0पू0 के लगभग एथेंस मे निर्मित ड़ाइपाइलन शैली के पात्र है ।
इलियड मे ट्राय राज्य के साथ ग्रीक लोगो के युद्ध का वर्णन मिलता है। इस महाकव्य मे ट्राय कि विजय ओर ध्वंस कि कहानी तथा यूनानी वीर यूलिसिस कि कथा का वर्णन है ।
ये दोनों महाकाव्य प्राचीन यूनानी या हेल्लिकी भाषा मे लिखे गए है , इन महाकाव्यों कि घटनाओ को भी पात्रो पर चित्रित किया गया ।
ज्यामितीय युग मे कलाकारो ने काष्ठ, हाथीदांत, मिट्टी विशेष रूप से कांस्य प्रतिमाओ का निर्माण किया इनमे से एक सेरेमिक कि 10 वीं शताब्दी ई0पू0 के उत्तरार्ध मे बनी पौराणिक प्राणी सेंटार (जिसका कमर से नीचे का भाग घौड़ा तथा ऊपरी भाग मानव का है ) अद्भुत है ।
इसी प्रकार कि एक 750 ई0पू0 कि कांस्य निर्मित छोटी प्रतिमा प्राप्त होती है , जिसमे हेराक्लीज व सेंटार एक साथ बनाए गए है ।
वस्तुतः यूनानी अपने देवताओ का निवास स्थान उत्तर पूर्वी यूनान मे स्थित ‘ओलंपस पर्वत मानते थे । जंहा मुख्यतः ज्यूस (आकाश के देवता ), हेरा (ज्यूस कि पत्नी ), अपोलो (सूर्य देवता ), पोसिडोन (समुद्र देवता ), ऐरस (युद्धदेव ), एफ़्रोडीटी ( प्रेम कि देवी ), आर्टेमिस (चंद्रदेवी ) तथा एथेना (ज्ञान कि देवी ) के मंदिर थे ।
आरकेइक युग (Archaic Period) 600-480 ई0पू0
आरकेइक युग मे माइसीनियन सामंती व्यवस्था समाप्त हो चुकी थी । इस समय नगर राज्यो का उद्भव हुआ जिसे यूनान मे पोलिस कहा जाता है ।
पोलिस का अर्थ है– पर्वतो आदि प्राकृतिक सीमाओ से घिरा क्षेत्र जिसका केंद्र कोई नगर हो।‘
एथेंस स्पार्टा’, मेसीडोनिया’ (मकदूनिया ) इन्ही राज्यो मे प्रमुख थे ।
इसी समय फारस मे हखामनी का उदय हो रहा था ।
इस युग मे चित्रकला का परिचय चित्रित पात्रो द्वारा होता है ।
इस युग मे पहली बार अपने कार्य पर हस्ताक्षर किए गए जिससे कलाकारो के नाम ज्ञात होने लगे। मध्य छठी शती ई0पू0 का एक महत्वपूर्ण चित्रकार यूमारिज था । पुरुषाकृति से नारी आकृति के रंग मे अंतर करने वाला वह प्रथम चित्रकार माना जाता है ।
सीमोन नामक एथेंस के चित्रकार को चित्रकला का आविष्कर्ता कहा जाता है ।
छठी शती ई0पू0 मे ही स्थित लाघव का प्रयोग करके किमोन नामक चित्रकार ने चित्रकला के क्षेत्र परिप्रेक्ष्य का आविष्कार किया।
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