चिंतामणि कर
चिंतामणि कर का जन्म 19 अप्रैल 1915 को खड़गपुर पश्चिम बंगाल मे हुआ था ।
चिंतामणि कर का विवाह अमीना कर से हुआ था ।
चिंतामणि कर भारतीय मूर्तिकार थे उन्होने भारतीय ओर फ्रांसीसी सरकारो से नागरिक पुरुस्कार प्राप्त किए ओर ग्रेट ब्रिटेन की ओर से ओलंपिक रजत पदक जीता ।
इंडियन सोसाइटी ओर ओरियंटल आर्ट से चिंतामणि कर ने पेंटिग व मूर्तिशिल्प का अध्ययन किया था । उन्हे गिरिधारी महापात्रा ओर विक्टर जियोवेनेली द्वारा मूर्तिकला सिखाया गया था ।
गिरिधारी महापात्रा उड़ीसा के परंपरागत मूर्तिकार थे ।
चिंतामणि कर मूर्तिकार के साथ-साथ चित्रकार विधया मे भी पारंगत थे ।
चिंतामणि कर 1938 मे पेरिस चले गए जंहा उन्होने भारत वापस जाने से पहले एकेडमी डे ला ग्रांड चौमीरे मे अध्ययन किया ।
शिल्प को लकड़ी, टेराकोटा, पत्थर ओर धातु सहित विभिन्न सामग्रियों से तराशा गया। उन्हे शुरू मे एक अकादमिक ओर प्रतिनिधित्वात्मक शैली मे प्रशिक्षित किया गया था , लेकिन उन्होने अधिक अमूर्त प्रकृति का काम भी किया ।
चिंतामणि कर ने चित्रकला की शिक्षा क्षितिंद्रनाथ मजूमदार से प्राप्त की थी ।
गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट के प्रिन्सिपल के रूप मे भी चुने गए थे ।
1974 ई0 मे उन्हे भारत गणराज्य मे तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार पदमभूषण से सम्मानित किया गया ।
चिंतामणि कर 2000 ई0 मे फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी अलंकृत किया गया था ।
चिंतामणि कर पक्षी अभयारण्य का नाम मूर्तिकार के नाम पर रखा गया था क्योंकि उन्होने ओर स्थानीय क्षेत्र के अन्य लोगो ने वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए लड़ाई लड़ी थी ।
1948 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक मे भारत के लिए एक प्रतियोगी के रूप मे प्रवेश किया, अपने काम के हकदार के लिए रजत पदक जीता ।
चिंतामणि कर ने अपने मूर्तिशिल्पों का निर्माण अमूर्त शैली मे किया था ।
चिंतामणि कर का माध्यम धातु टेराकोटा प्लास्टर व काष्ठ था ।
1956-73 ई0 के बीच चिंतामणि कर कोलकाता के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स के प्रधानाचार्य रहे ।
चिंतामणि कर की 2005 मे उनकी मृत्यु के कुछ समय पहले अपने आवासीय परिसर मे भास्कर भवन प्रशासन एवं रखरखाव ट्रस्ट की स्थापना की नरेन्द्रपुर , कोलकाता।
स्केटिंग व स्टेग (कांस्य ) शिल्प मे हवा की गति मे भी संतुलन खोजा है । तथा उड़ने की एक मुद्रा को पकड़ा है । यह शिल्प 1948 ई0 मे चतुर्थ ओलम्पियाड के इंटरनेशनल कंपिटशन ऑफ स्पोर्ट आर्ट लंदन मे पुरुस्कृत हुआ ।
उषा व साबितार (टेराकोटा ) मे फांतासी, बैठी हुई नारी आकृति (टेराकोटा) मे अद्भुत घनत्व, मदर व चाइल्ड मे मूलभूत संबंध है ।
चिंतामणि कर को 1974 मे पदमभूषण भारत सरकार ने दिया ।
देशिकोत्रम- विश्व भारतीय विश्वविध्यालय से ।
चिंतामणि कर की पुस्तक –
- क्लासिकल इंडियन स्कल्पचर
- इंडियन मेटल स्कल्पचर
फिल्म –
द ग्रावेन एमेज , द स्कल्पचर स्पीक्स नामक दो लघु फिल्म बनी ।
1946 ई0 मे लंदन मे ब्रिटिश मूर्तिकारों की रॉयल सोसाइटी के सदस्य बने –
चिंतामणि कर की मृत्यु 3 अक्तूबर 2005 को 90 वर्ष की उम्र मे कलकत्ता के एक निजी अस्तपताल मे हुई थी ।
चिंतामणि कर की प्रसिद्ध मूर्तिशिल्प ‘उड़ान’ (महोगनी काष्ठ ) राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय , नई दिल्ली मे सुरक्षित है ।
चिंतामणि कर के प्रसिद्ध मूर्तिशिल्प –
- स्केटिंग व स्टेग (कांस्य)
- उषा व साबितार (टेराकोटा)
- ड्रायड्स (1964 टेराकोटा )
- बैठी हुई नारी आकृति (टेराकोटा)
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