आइये आज हम भीमबेटिका गुफा के बारे मे जानेगे जो हमारे पूर्वज आदिमानव ने तकरीबन 30,000 ईसा पू0 से 10000 ईसा पू0 मे 600 गुफाओ मे 275 चित्रो का निर्माण किया ये आज भी वैसी ही कलर मे है जैसे ये पूर्व अवस्था मे थे
भीमबेटिका गुफा
ये गुफाये मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 40 किमी0 दक्षिण मे ‘भीमबेटिका ‘गुफा है इसकी खोज श्री वाकण्ण्कर ने 1958-1959 मे की थी ये उज्जैन विश्वविधालय के प्रोफेसर थे ।
यंहा पर 600 गुफाये प्राप्त है
जिनमे 275 मे ही चित्र प्राप्त है यंहा पर दो स्तर के चित्र के चित्र प्राप्त है सांप्रदायिक सभा का चित्र भीमबेटिका से प्राप्त हुआ है
प्रथम स्तर –
हिरण , बारह सिंघा ,सूअर ,रीछ ,जंगली भैंसा , अस्तर्धारी घुड़सवार
द्वितीय स्तर –
इसमे मानव को अंतरंग चित्र के रूप मे दिखाया गया है आखेटक का चित्र ,कृषक ,ग्वाले
2003 मे unesko ने इसे विश्वधरोहर मे शामिल किया था ।
चित्रो मे लाल,काले , सफ़ेद रंगो का प्रयोग हुआ है
भारत के मध्यप्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणीक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण्ण से मध्यपाशाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं।यह स्थान होशंगाबाद से भोपाल की ओर जाने वाली रेल पथ पर बरखेड़ा एव उब्बेदुला गंज स्टेशन के बीच मियापुर नाम का एक छोटा सा आदिवासी गाँव ओर उसके 2 किमी0 दक्षिण की ओर भीमबेटिका की एक पहाड़ी है । इसमे प्रस्तर सामग्री प्राप्त हुए है , वह 30,000 ईसा पू0 से 10,000 ईसा पू0 की है । इस पहाड़ी पर एक विशिष्ट चित्रसंसार रचा गया है। ऐसी विस्मयपूर्ण प्रागैतिहासिक चित्रशालाए अनयंत्र नहीं मिलती ।
https://rahulglob.blogspot.com