रंगो का महत्व ,रंग कितने प्रकार के होते है ?,रंग योजना,रंगो की विशेषता एव प्रभाव

 

आइये आज हम जानेंगे कुछ महत्वपूर्ण रंग ओर उनकी विशेषताओ के बारे मे

रंगो का महत्व

 

गर्म रंग कितने प्रकार के होते है

गर्म रंग तीन प्रकार के होते है

1 लाल 2   पीला    3   नारंगी

 

 

ठंडे रंग कितने प्रकार के होते है

ठंडे रंग 4  प्रकार के होते है

1 नीला ,  2 हारा    3 भूरा  4 सफ़ेद

 

note – tgt-pgt nvs kvs net -jrf आर्ट की परीक्षा के लिए  आप जो ये हमारी पोस्ट पढ़ रहे अगर आपको हमारी ebook खरीदनी है जो की भारतीय चित्रकला का इतिहास 478 page की ebook है इसे आप आसानी से amazon.in पर खरीद सकते है इसका लिंक नीचे दिया गया है 

Buy link –https://www.amazon.in/dp/B0DC4X4RPG

 

नारंगी रंग पीले  रंग से अधिक गर्म एव लाल रंग से कम गर्म होता है  अर्थात यह पीले रंग एव लाल रंग दे मध्य का रंग है क्योंकि  इसमे लाल एव पीले दोनों रंग का मिश्रण है

लाल रंग सर्वाधिक उत्तेजक एव आकर्षक है यह सक्रिय आक्रामकता का प्रतीक है  यह  वीरता , पराक्रम , साहस , श्रंगारिक , तीव्र ओर कामुक भावनाओ का अभिव्यक्तिकरण संभव हो जाता है

नीला रंग  शांत ,मधुर ,निष्क्रिय , ईमानदारी , आशा , लगन , आदि का प्रतीक है ।

हरा रंग विकास , प्रजनन ओर समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है ।

अफ्रीका मे लाल रंग शोक का प्रतीक माना जाता है

पीला रंग प्रसन्नता , दिव्यता तथा यश आदि का प्रतीक है

 

श्वेत रंग प्रकाशयुक्त हल्का व कोमल होता है स्वच्छता पवित्रता एव सत्य का प्रतीक है

 

ऐसे रंग जो anya रंगो के मिश्रण से नहीं बनाए जा सकते है प्राथमिक या मूल रंग कहलाते है प्राथमिक (मूल ) रंगो के मिश्रण से अन्य रंग बनाये  जा सकते है

 

प्राथमिक रंग कितने प्रकार के होते है ?

प्राथमिक रंगो के तीन प्रकार के होते है

1  हरा    2 लाल   3 पीला

प्रकाश के रंगो ओर चित्रकार के रंगो की प्रक्रति मे थोड़ा भेद है  प्रकाश के संदर्भ मे प्राथमिक रंग तीन ही  माने गए है

 

लाल , नीला , हरा इन रंगो से अन्य रंग बन सकते है  इसके विपरीत चित्रकार के लिए लाला, पीला , नीला  प्राथमिक रंग माने जाते है

 

हरा , बैंगनी , नारंगी द्वितीयक रंग है  क्योंकि  इसमे  प्राथमिक रंगो के मिश्रण से बनाया जाता है

पीला +नीला =  हरा

नीला +लाल =  बैंगनी

लाल +पीला  = नारंगी

 

चित्र बनाते समय रंगो मे तैल ओर जलीय द्रव तथा मोम पदार्थ के मिश्रण से युक्त द्रव  माध्यम  का प्रयोग  टेम्परा कहलाता है  अर्थात ”टेम्परा ‘ तकनीक मे एक्रेटिक रंग का प्रयोग होता है

बिना तूलिका की सहायता  से पेस्टल रंग किए जाते है  पेस्टल  रंग विशुद्ध पिग्मेंट होते है ।  यह पृथ्वी के अंदर ओर भूमि पर पत्थरो से प्राप्त होते है ये पाउडर रूप मे प्राप्त होते है

 

वर्ण के गुण वर्ण के मुख्य तीन गुण है

1 वर्णन की रंगत

वर्ण की प्रकृति को रंगत कहते है  जैसे लालपन , पीलापन ,नीलापन

2 वर्ण की मान –

गहरा नीला , नीला , हल्का नीला

3 वर्ण की सघन्नता

यह रंग की शुद्धता का परिचायक हा जैसे – लाल, नीला ,पीला ।

रंगो के प्रकार

 

रंग कितने प्रकार के होते है ?

रंग तीन  प्रकार के होते है

1  प्राइमरी रंग 2 सेकंडरी रंग    3 तृतीयक रंग

 

1 . प्राइमरी रंग   –

जो  मुख्य  रंग होते है जो किसी के मिश्रण के द्वारा प्राप्त नहीं किए जा सकते प्राइमरी रंग कहलाते है

जैसे – 1 लाल   2 पीला   3 नीला     रंग  तीनों प्राइमरी रंग कहलाते है

 

2. सेकंडरी रंग . –

सेकंडरी  रंग  जो रंग दो प्राथमिक  रंग को मिलाकर बनाया जाता है उसे द्वितीय (secondary ) रंग कहते है  जैसे नारंगी , बैंगनी  , हरा  इन्हे हम द्वितीय श्रेणी के रंग कहते है  ये तीनों  रंग बनते है

लाल +पीला   = नारंगी

पीला +नीला   =हरा

नीला + लाल  = बैंगनी

 

 

3. तृतीयक रंग –

प्राथमिक रंग ओर द्वितीयक रंग के दो रंगो के मिश्रण  से बनने  वाले रंग  तृतीयक रंग कहलाते है  ये 6 रंग होते होते  है

 

पीला +नारंगी = अम्बर /सिटरन

नारंगी +लाल  = वरमिलन

लाल +बैंगनी  = मैजेंटा

बैंगनी + नीला = voilet

नीला + हरा = टील / टरक्वाइस या फिरोजा

हरा +पीला  = शॉर्टरेस /स्प्रिंग ग्रीन

लाल + हरा = कत्थई

 

 

 

कुछ विद्वानो ने तृतीयक रंग 3 प्रकार के माने है

जैसे –

हरा + नारंगी = ऑलिव

बैंगनी +नारंगी = russet

बैंगनी +हरा = स्लेट

 

ये रंग  केवल  द्वितीयक रंग मिलाने से बनते है

 

4. समीपवर्ती रंग (Analogous Colour ) –

जो रंग  एक ही रंग परिवार के सदस्य होते है  या एक ही श्रेणी या जाति के रंग होते है  समीपवर्ती रंग कहलाते है

जैसे –

Lemon  Yellow

Yellow

Orange

Sky Blue

Blue

Persian Blue

 

पीला , पीला +नारंगी  तथा नारंगी सभी मे पीला रंग उपस्थित है ।

वर्ण चक्र मे जो  रंग एक दूसरे के आसपास होते है समीपवर्ती रंग कहलाते है ।

 

 

5. पूरक रंग या विरोधी रंग (Complementary Colour /Opposite Colour )-

वर्ण क्रम मे एक दूसरे के ठीक सामने आने वाले रंग एक दूसरे के विरोधी रंग होते है  आमने -सामने के रंग विरोधी रंग होते है

दो प्रमुख रंगो को मिला दिया जाये तो इससे प्राप्त रंग शेष बची हुई मुख्य रंगत विरोधी रंग होता है ।

 

लाल –  हरा   आपस मे विरोधी रंग है

नारंगी –    नीला   आपस मे विरोधी रंग है

बैंगनी –  पीला     आपस मे विरोधी रंग है

 

6.  अवर्णीय रंग   (एक्रोमेटिक कलर )-

श्याम (काला ) श्वेत को अवर्ण रंग  माना जाता है  लेकिन किसी भी रंगत की तानों  के लिए यह दो रंग महत्वपूर्ण होते है ।

 

 

7. एकांकी वर्ण (मोनोक्रोम ) –

यंहा केवल एक ही रंगत के विभिन्न मान तथा  सघनता  वाली रंगतों का तालमेल एकांकी रंग के अंतर्गत आता है क्योंकि यह एक ही वर्ण से बने होते है

जैसे –

नीला   , हल्का नीला तथा गहरा नीला

प्रक्रति के आधार पर रंग –

जब हम रंगो को देखते है तो कुछ रंगो मे उष्णता का प्रभाव ओर कुछ  रंगो मे शीतलता का प्रभाव उत्पन्न होता है ।  चित्र मे उष्ण रंगो से वस्तु निकट व शीतल रंगो से वस्तू  दूर होने का आभास होता है ।

प्रक्रति  के आधार पर दो रंग है  ठंडे ओर गर्म

1 शीतल रंग या ठंडे रंग –

जो रंग प्राकृतिक सुंदरता जैसे पेड़ पौधे , सागर , आकाश के संबंध होते है वे शीतल स्वभाव वाले होते है ।

जैसे – नीला , हरा, बैंगनी  या उनके सहयोग से बने रंग शीत (ठण्ड ) स्वभाव वाले होते है ।

2. गर्म रंग (उष्ण रंग ) –

लाल , पीला , नारंगी

 

8.  उदासीन रंग /तटस्थ रंग  (Neutral Colour )-

श्वेत ,काला या इनके मिश्रण से बने रंग उदासीन या तटस्थ  रंग कहलाते है

 

 

रंग योजना (Colour Scheme ) –

 

चित्र मे आकर्षण उत्पन्न करने के लिए रंग योजना विन्यास का विशेष ध्यान रखना पड़ता है । चित्रो के तत्वो मे रंग का सर्वाधिक स्थान ह । मनुष्य के जीवन मे रंग महत्वपूर्ण स्थान रखते है वास्तव मे वर्ण प्रकाश का गुण  होता  है । प्रकाश की किरणों के द्वारा ही हम  किसी वस्तु के रंग को पहचान देख सकते है ।

जब वस्तु से टकराकर प्रकाश आंखो मे रेटिना पर पड़ता है तो रेटिना के पीछे रोड्स कोन्स नामक दो ग्रंथिया चेतन हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप हम वस्तु के रंग को देख पाते है ।

 

 

1. एकवर्णीय रंग योजना  (Monochromatic Colour Scheme ) –

किसी एक  रंग की  विभिन्न रंगतों का प्रयोग कर जो चित्र रचना की जाती है उसे एकवर्णीय  रंग योजना कहते है ।

2. बहुवर्णीय रंग योजना ( Polychromatic Colour Scheme ) –

किसी भी चित्र मे अनेक रंगो के प्रयोग की योजना को बहुवर्णीय रंग योजना का जाता है ।

 

3.  विपरीत रंग (पूरक रंग ) योजना (Complementary Scheme ) –

वर्ण- चक्र मे जो रंग एक दूसरे के आमने -सामने आते है ,वे पूरक रंग कहलाते है इसमे पूरक रंगो का विभिन्न मान सघन्नता से प्रयोग किया जाता है ।

लाल  -हरा ,,,नीला-नारंगी    ,पीला -बैंगनी आदि

 

4.  त्रयी रंग योजना (Triad Colour Scheme ) –

जिन चित्रो मे विपरीत स्वभाव वाले तीन -तीन रंगो के समूहो का प्रयोग होता है ।

जैसे-

लाल   , पीला व नीला एक दूसरे के प्राथमिक रंग होंगे  नारंगी , बैगनी व हरा एक दूसरे के द्वितीयक रंग होंगे

 

5. वर्णहीन रंग योजना ( Achromatic Colour  Scheme ) –

चित्रांकन मे श्वेत ,काले व भूरे रंगो का प्रयोग से चित्र वर्णहीन कहलाता है ।

 

 रंगो की विशेषता एव  प्रभाव

 

लाल –

यह सर्वाधिक गहरा व आकर्षक रंग है ।

उत्तेजना ,प्रसन्नता ,तथा उल्लास ,संघर्ष , क्रोध ,प्रेम , श्रंगार , आवेग व वीरता

 

पीला –

यह  सर्वाधिक प्रकाश देने वाला रंग है ।

प्रफ़्फ़ुल्ल्ता ,प्रसन्नता ,प्रकाश ,दिव्यता ,प्रोत्साहन , समीपता ,आशा , एव संतुष्टि

नीला –

यह रंग विस्तार को दर्शाता है ।

शीतलता , प्रभाव ,एकाग्रता ,आशा ,लगन ,आनंद , विशालता ,ईमानदारी ,मधुरता ,निष्क्रियता ,विस्तार ,अंतता ,विश्वास ,आत्मीयता एव सदभाव ।

हरा –

ताजगी ,हरियाली या हरीतिया ,सौंदर्य ,माधुर्य , सुरक्षा , विकास , विश्राम ।

बैंगनी –

राजसी वैभव , समान , रहस्य , समृद्धि , प्रभावशीलता , ऐश्वर्य , श्रेष्ठता , नाटकीयता एव वीरता ।

नारंगी –

आध्यात्मिक ,वीरता , सन्यास ,वैराग्य , दर्शन , ज्ञान ,प्रेरणा  एव गर्व

 सफ़ेद –

शांति , शुद्धता , एकता ,पवित्रता , उज्जवलता  एव सत्य

 काला –

गंभीरता एव एकांतवास, भय ,शोक , आतंक , अवसाद , अंधकार , एव विश्वासघात

धूमिल रंग –

संयम ओर नम्रता

 

note – tgt-pgt nvs kvs net -jrf आर्ट की परीक्षा के लिए  आप जो ये हमारी पोस्ट पढ़ रहे अगर आपको हमारी ebook खरीदनी है जो की भारतीय चित्रकला का इतिहास 478 page की ebook है इसे आप आसानी से amazon.in पर खरीद सकते है इसका लिंक नीचे दिया गया है 

Buy link –https://www.amazon.in/dp/B0DC4X4RPG

इन्हे भी पढे –

 

 

रामगोपाल विजयवर्गीय

Leave a Comment