विनोद बिहारी मुखर्जी
विनोद बिहारी मुखर्जी का जन्म 1904 ई0 मे कोलकाता के ‘बेहाला नगर’ मे हुआ था ।
विनोद बिहारी मुखर्जी पर अवनींद्रनाथ टैगोर, नंदलाल बसु, गगेन्द्रनाथ ठाकुर का प्रभाव पूर्णरूप से पड़ा था ।
विनोद बिहारी मुखर्जी ने कला की शिक्षा शांति निकेतन कलकत्ता से लिए थे ।
विनोद बिहारी मुखर्जी ने सन 1936 मे वस्तु निरपेक्ष रेखांकन जापानी कलाकार सोसात्सु से सीखा था । वस्तु निरपेक्षता, रेखांकन आदि विशिष्ट कला सनयोजनों ने आकृष्ट किया। मिश्र एवं नीग्रो कलाकृतियाँ, यंहा तक एशियाई देशो की तथा कथित अलभ्य शिल्प संस्कृति के प्रति इनमे प्रसंग ओर विषय है , कालीघाट की पट शैली ओर ग्राम्य खेल खिलौने ने भी इन्हे अत्यधिक प्रभावित किया ।
विनोद बिहारी मुखर्जी ने शांति निकेतन मे अध्यापन कार्य 1925 ई0 मे प्रारम्भ किया था ।
बंगाल शैली का कलाकार विनोद बिहारी मुखर्जी अंधा होने के बाद चित्रण कार्य किया है ।
चित्रकार नामक आत्मकथा विनोद बिहारी मुखर्जी की है ।
जया अप्पा स्वामी ने विनोद बिहारी मुखर्जी को आधुनिक कला का सेतुबंध कहा है ।
विनोद बिहारी मुखर्जी कलाकार ने कोलाज पद्धति से भी चित्रण कार्य किया है ।
विनोद बिहारी मुखर्जी कलाकार ने काष्ठ एवं एचिंग से भी चित्र बनाया है ।
आधुनिक शिल्प शिक्षा पुस्तक की रचना विनोद बिहारी मुखर्जी ने किया था ।
भित्ति चित्रण –
विनोद बिहारी मुखर्जी ने भित्ति चित्र मे भी ख्याति अर्जित की। शांतिनिकेतन के कला भवन, चीन भवन एवं हिन्दी भवन मे बनाए गए चित्रो मे ऐसे- ऐसे प्रसंग ओर विषय है, जिसमे उनके जीवन के अनुभव एवं परिस्थितियाँ दर्शित है ।
ग्रामीण जीवन मध्यकालीन संत कवि आदि के उल्लेखनीय चित्र है। आपके चित्रो मे वैविध्य प्रौढ़ता, कला का ओज ओर सामान्य भावनाओ का संस्कार हुआ है ।
विनोद बिहारी मुखर्जी के चित्रो का माध्यम टेम्परा, भित्ति चित्रण था ।
विनोद बिहारी मुखर्जी की पुत्री मृणालिनी मुखर्जी है ।
विनोद बिहारी मुखर्जी के जीवन पर आधारित फिल्म द इनर आई बनी है ।
द ईनर आई फिल्म सत्यजीत रे ने बनाई थी ।
विनोद बिहारी मुखर्जी ने अपनी इच्छानुसार ऐतिहासिक, प्रेमपूर्ण, ग्रामीण जीवन के दैनन्दिन विषय ओर प्राकृतिक वातावरण के विभिन्न पद्धतियों के चित्र चित्रित किए। रेखांकन मे कोमलता लाते, वही रंग योजना मे भी वे बिना किसी दिखावे के मुक्त हस्त से सशक्त तूलिका संचालन द्वारा इच्छानुसार रंगो का प्रयोग करते ।
विनोद बिहारी मुखर्जी सर्वाधिक प्रसिद्ध भित्ति चित्रण शांति निकेतन मे बनाए है ।
मूर्तिकार लीला मुखर्जी विनोद बिहारी मुखर्जी की पत्नी है ।
चित्रकारी के साथ- साथ विनोद बिहारी मुखर्जी ने अपने गुरु नंदलाल बॉस एवं अन्य बंगाली शैली कलाकारो पर लेख लिखे। कला के विविध पक्षो ऐतिहासिक उल्लेख ओर सौंदर्य पक्ष आदि पर अपनी विवेचनाए की ।
सन 1957 ई0 मे उनके नेत्रो की शल्य चिकित्सा हुई, जिससे वे अपने नेत्रो की ज्योति खो बैठे। कला फिल्म निर्माता स्वर्गीय ‘सत्यजीत रे’ ने उन पर वृत्त चित्र बनाया, जिसे ‘ईनर आई’ शीर्षक दिया ।
विनोद बिहारी मुखर्जी जी को पुरुस्कार –
- 1974 मे पदमविभूषण ,
- विश्वभारती विश्वविध्यालय द्वारा ‘’देशिकोत्रम (1977),
- रवीद्र पुरुस्कार (1980)’’ मे मिला ।
विनोद बिहारी मुखर्जी ने सन 1949-50 ई0 मे नेपाल संग्रहालय के अध्यक्ष पद पर कार्य किया । आपने अपने इस कार्यकाल के दौरान नेपाल मे उपलब्ध भारतीय कलाकृतियों एवं कलाग्रंथों के संबंध मे महत्वपूर्ण कार्य किया । आपने शांतिनिकेतन मे कला शिक्षण का कार्य भी किया ।
चित्रित विषय माध्यम –
विनोद बिहारी मुखर्जी ने जलरंग , तैलरंग एवं टेम्परा पद्धति से कार्य किया उनके द्वारा चित्रित ‘टी लवर’ चित्र मे वृक्षो एवं पौधो की लाल व नीली उभरी हुई पत्तियों ,आकृतियो के गहरे नीले केश, ठिगनी स्थूल पुरुषाकृति एवं उनकी मुख मुद्रा का वातावरण चित्रित किया,
विनोद बिहारी मुखर्जी के प्रमुख चित्र –
- गली मे चलते-फिरते
- सामान्य व्यक्ति
- औरते
- बालक
- वृद्ध
- केश विन्यास
- बाग मे चहलकदमी
- नेपाली दृश्यांकन
मृत्यु –
सन 1980 ई0 मे विनोद बिहारी मुखर्जी का निधन हो गया था ।
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