शंखो चौधरी shankho chaudhary
शंखो चौधरी का जन्म 25 फरवरी 1916 को संथाल परगना बिहार मे हुआ था
कोलकाता विश्वविध्यालय से स्नातक करने के पश्चात शंखो चौधरी ने शांतिनिकेतन से फ़ाइन आर्ट्स मे डिप्लोमा किया। बचपन से ही इन्हे चित्रकला के साथ मूर्तिशिल्प मे भी रुचि थी । सन 1946 ई0 से ही शंखो चौधरी मूर्तिशिल्प मे कार्य कर रहे है । इसी वर्ष शंखो चौधरी ने मेरठ के अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन की सुसज्जा का कार्य किया । सन 1945 ई0 मे वे एक स्मारक प्रतिमा के निर्माण के सिलसिले मे नेपाल गए। युद्ध स्मारक मे उनकी सहायता के लिए नेपाल मे धातु मे कास्टिंग का अध्ययन किया, फिर यूरोप जाकर पेरिस ओर इंग्लैंड मे कार्य किया ।
शंखो चौधरी रामकिंकर बैज के शिष्य थे 1939 ई0 मे स्नातक की उपाधि शांतिनिकेतन से प्राप्त की ।
1945 मे उन्होने कलाभवन शांतिनिकेतन से ललित कला मे डिप्लोमा प्राप्त किया धातु की ढलाई का नेपाल पद्धति से अध्ययन किया ।
1945 ई0 मे रामकिंकर के साथ युद्ध स्मारक प्रतिमा मे उनकी सहायता के लिए शंखो चौधरी नेपाल गए थे ।
सन 1980 ई0 मे तंजानिया के दारेस्लाम विश्वविध्यालय मे शंखो चौधरी प्रोफेसर के रूप मे नियुक्त हुए।
शंखो चौधरी ललित कला अकादमी नई दिल्ली के अध्यक्ष रहे ।
शंखो चौधरी को पदमश्री 1971 ई0 मे सम्मानित किया गया ।
शंखो चौधरी की मूर्ति ‘सेल’ (1971 ई0 संगमरमर गवर्नमेंट म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी चंडीगढ़ मे सुरक्षित है )
शंखो चौधरी के काम के विषय मे ‘कार्ल खंडालवाला’ ने टिप्पणी की है की ‘’वे एक साथ ही प्रयोगधर्मी, परंपरावादी ओर आधुनिक कलाकार है । वे हमेशा नए-नए प्रयोग करते रहते है। इसके बाद भी उनकी कला मे स्पष्ट अभिव्यक्ति आवश्यकतानुसार हठ एवं मुखर व्यंजकता है । इसमे जीवन का सच्चा अनुभव, गहरी दृष्टि ओर विषय के अंतरतम तक पैठने की क्षमता है’’
‘फिगर’ (काष्ठ) मूर्तिशिल्प शंखो चौधरी का है ।
शंखो चौधरी का माध्यम प्रस्तर, लकड़ी, धातु पत्र, कास्ट मेटल, सीमेंट है ।
1949 से 1970 ई0 तक यह बड़ोदा विश्वविध्यालय के मूर्तिकला विभाग के अध्यक्ष थे ।
1971 ई0 मे पदमश्री पुरुस्कार मिला था राष्ट्रीय पुरुस्कार ओर ललित कला अकादमी के फ़ेलो रहे ।
नई दिल्ली 1956 ओर डी0 लिट0 (ओनोरिस कौसा) सेट्रो एस्कोलर यूनिवर्सिटी, फिलीपींस द्वारा 1974 ई0 विश्व भारती विश्वविध्यालय 1981 द्वारा अबन-गबन पुरुस्कार मिला ।
भारतीय मूर्तिकार संघ मुंबई के प्रथम मानद संयुक्त सचिव थे । वह 1980 के दशक के अंत मे ललित कला अकादमी नई दिल्ली के अध्यक्ष थे ।
2004 ललित कला अकादमी द्वारा सम्मानित ‘’ललित कला रत्न’’ ।
शंखो चौधरी के प्रमुख मूर्तिशिल्प –
- पिजन
- पीकॉक
- कोक
- बर्ड
- हैंड ऑफ गर्ल (1958 ई0 )
- टॉइलेट
- पक्षी
टॉइलेट –
इस मूर्ति शिल्प मे एक नारी आकृति को बैठी हुई मुद्रा मे सरलीकृत रूप मे प्रस्तुत किया गया है दोनों हाथ सिर के पीछे की ओर करे रखे है इस मूर्ति शिल्प मे त्रियायमी प्रमाण के ज्यामिती प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है मूर्ति शिल्प मे नयन कक्ष मात्र आभास द्वारा दिखाया गया है ।
मूर्तिशिल्प को नारी आकृति के रूप मे बनाया गया है पर आँख नाक कान नही अंकित है ।
पक्षी –
यह मूर्ति स्टेनलेस स्टील से बना है मूर्तिशिल्प का एक लकड़ी के आधार पर लगाया गया है । मूर्ति शिल्प स्टील धातु का बना है इसलिए इस पर पड़ रहे छाया- प्रकाश को देखा जा सकता है जो अत्यंत आकर्षक है ।
शंखो चौधरी की मृत्यु 28 अगस्त 2006 को नई दिल्ली मे हुई ।
इन्हे भी पढे –
- छापा कला क्या है ?,छापाकला का विकास कब से प्रारम्भ हुआ,छापा कला कितने प्रकार की है ,मूर्तिकला (मूर्ति बनाने के विधिया
- भारत मे स्थित स्थलो के खोजकर्ता एव समय
- भारत मे स्थित प्रमुख राष्ट्रीय संग्रहालय टीजीटी , पीजीटी आर्ट , यूपीएससी ओर अन्य exam के लिए महत्वपूर्ण जानकारी 2023 update
- चित्रकला के तत्व
- भारत के महत्वपूर्ण कला ग्रुप
- भारत की कला संबन्धित पुस्तक व लेखक ,भारतीय चित्रकार ,भारतीय मूर्तिकार ,प्रिंटमेकर कलाकार
- भारत के प्रमुख वाद , विश्व के प्रमुख वाद ,प्रमुख यूरेपियन शैलिया का उदय, भारत के घनवादी कलाकार
- भारतीय चित्रकारों द्वारा बनाए गए चित्र श्रंखला, भारतीय चित्रकारों के नाम व उनको दी गई उपाधि व उपनाम , भारत के प्रमुख नगर एव उनके वास्तुकार
- भारत के प्रमुख कार्टूनिस्ट,अशोक के शिलालेख,भारत के महत्वपूर्ण मन्दिर ,भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थल
- भारत मे स्थित स्थलो के खोजकर्ता एव समय
- कला के क्षेत्र मे भारत रत्न, पदम विभूषण ,पदम भूषण ,पदम श्री ,कालिदास सम्मान ,से सम्मानित कलाकार
- महत्वपूर्ण ग्रंथ व लेखक के नाम
- पहाड़ी चित्रकला शैली (1700-1900)ई0 उप शैलिया, उत्कर्ष काल ,एव सम्पूर्ण पहाड़ी शैली कि विशेषताए
- मण्डी शैली
- कुल्लू शैली
- कांगड़ा शैली
- चम्बा शैली के चित्रकार ,विषय वस्तु , एव विशेषताए
- बसोहली शैली का चरमोत्कर्ष काल ,चित्रो कि खोज, प्रमुख चित्रकार ,विषय वस्तु एव विशेषताए
- गुलेर शैली कि स्थापना ओर प्रमुख चित्रकार , एव विशेषताए 2023 update
- सिंधु घाटी की सभ्यता (the indus valley civilization )3500 ईसा पू0 से 2500 ईसा पू0 टीजीटी, पीजीटी art ,upsc exam के लिए 2023 अपडेट
- https://studyglob.com/
- अजंता की गुफाये (200 ईसा पूर्व से 650 ईस्वी तक ) टीजीटी,पीजीटी ,upsc,net ,jrf तैयारी के लिए 2023 अपडेट
- एलोरा गुफा ( राष्ट्रकूट काल 4 वीं शती -12 वीं शती ) tgt ,पीजीटी, upsc व अन्य इतिहास की जानकारी के लिए 2023अपडेट
- जोगीमारा की गुफा मौर्यकालीन गुफा 300 ईसापूर्व tgt,pgt,upsc व अन्य सरकारी नौकरी के लिए 2023 update
- सिततनवासल की गुफा (पांडव काल ) 7 वीं शताब्दी से 9 वीं शती ( टीजीटी ,पीजीटी ,यूपीएससी net ,jrf की महत्वपूर्ण जानकारी के लिए 2023 अपडेट )
- बाघ गुफा (बौद्ध कालीन 200 ईसा पूर्व से 600 ईशवी ) 2023 अपडेट
- एलिफैण्टा की गुफा ( 600 ई. से 900 ई . ) का रोचक इतिहास 2023 update tgt pgt art ke liye जरूर पढ़ें
- बादामी गुफा ( चालुक्य काल ) 650-1000 ई. tgt,pgt, upsc exam के लिए महत्वपूर्ण जानकारी 2023 अपडेट
- भीमबेटिका गुफा टीजीटी,पीजीटी,art ,upsc ,नेट,jrf exam के लिए महत्वपूर्ण 2023 update
- कला के तकनीक माध्यम
- कला के तत्व ,कला के कितने भाग होते हैं? चित्रकला का कौन-सा तत्व सबसे महत्वपूर्ण है और क्यों?
- चित्रकला षडांग ,भारतीय चित्रकला के 6 अंग
- कला का अर्थ , कला के प्रकार ,कला की परिभाषा
- संयोजन के सिद्धान्त व परिप्रेक्ष्य
- भारतीय चित्रकला का इतिहास
- राजस्थानी शैली
- मेवाड़ शैली
- मारवाड़ शैली
- हाड़ौती शैली
- ढूँढार शैली
- मुगल काल ,जंहागीर काल शाहजंहा ,औरगजेब
- मुगलकालीन चित्रकला
- नाथद्वार शैली
- बंगाल शैली अवनीन्द्रनाथ टैगोर
- गुजराती शैली, अपभृंश शैली
- कम्पनी शैली
- राजा रवि वर्मा
- बंगाल शैली अवनीन्द्रनाथ टैगोर
- गगेन्द्रनाथ टैगोर
- ई0वी0 हैवल
- असित कुमार हल्दार
- नंदलाल बसु
- देवी प्रसाद राय चौधरी
- शैलेंद्र नाथ डे
- यामिनी राय
- क्षितिंद्रनाथ मजूमदार
- के.वेंकटप्पा
- मुकुल चन्द्र डे
- रबीन्द्रनाथ टैगोर Rabindranaath taigore
- अब्दुर रहमान चुगताई Abdur Rahman Chugtai
- अमृता शेरगिल Amrita Shergil