रामकिंकर बैज Ramkinkar Baij
रामकिंकर बैज का जन्म 20 मई , 1906 ई0 को पश्चिम बंगाल के बांकुरा शहर के जुग्गीपाड़ा कस्बे मे हुआ था ।
किंकर दा के नाम से रामकिंकर बैज को जाना जाता है ।
रामकिंकर बैज के कला गुरु नंदलाल बसु थे ।
रामकिंकर बैज के प्रतिभा को सर्वप्रथम रामानन्द चटर्जी ने देखा था ।
रामकिंकर बैज शांति निकेतन कला विभाग कला विध्यालय मे अध्यक्ष पद पर कार्य किए थे ।
मॉडर्न रिव्यू नामक संस्था के संस्थापक रामानन्द चटर्जी थे ।
रामकिंकर बैज ने कला की शिक्षा नंदलाल बॉस के सानिध्य मे शांतिनिकेतन से प्राप्त की ।
रामकिंकर बैज मूर्तिकार थे ।
सन 1970 ई0 मे भारत सरकार द्वारा पदम भूषण से सम्मानित किया गया ।
रामकिंकर बैज को आधुनिक भारतीय मूर्तिकला का जनक माना जाता है ।
रामकिंकर बैज को मूर्तिकार के रूप मे जाना जाता है ।
के0जी0 सुब्रमण्यम रामकिंकर बैज को खेपाबाउल उपनाम दिया था ।
रामकिंकर बैज का मतभेद नंदलाल बसु से था ।
पत्थर से निर्मित संथाल परिवार नामक मूर्ति 427 सेमी0 ऊंची है ।
रामकिंकर बैज पोट्रेट बनाने मे सिधस्त थे ।
रामकिंकर बैज कलाकार पेंट किया गया कैनवास को फिर से पेंट करके चित्रण कार्य करता था ।
बंगाल शैली का कलाकार रामकिंकर बैज गरीब परिवार से था ।
रामकिंकर बैज ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रतिमा को बनाया था ।
रामकिंकर बैज अपनी प्रथम एकल प्रदर्शिनी सन 1942 मे नई दिल्ली मे लगाया था ।
रामकिंकर बैज इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट मे अपनी प्रदर्शनी 1950-1951 ई0 मे लगाए थे ।
रामकिंकर बैज राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के फ़ेलो 1976 ई0 मे निर्वाचित किए गए थे । रियेलीजीट नूवेल,पेरिस तथा ‘इंडियन स्कल्पचर एसोशिएशन ‘ कलकत्ता के सदस्य भी थे ।
रामकिंकर बैज शांति निकेतन मे 57 वर्षो तक कार्यरत रहे थे ।
रामकिंकर बैज प्रारम्भ मे लघु चित्रो का निर्माण किए थे ।
रामकिंकर बैज की म्रत्यु 1 अगस्त 1980 को हुई थी ।
रामकिंकर बैज ने अपनी मूर्तियो को बालू, सीमेंट , कंक्रीट, मिट्टी माध्यम मे बनाया गया ।
रामकिंकर बैज के जीवन पर आधारित एक फिल्म ‘रामकिंकर बैज ‘ शीर्षक से 1975 ई0 मे ऋत्विक घटक ने बनाई।
रामकिंकर बैज के व्यक्तित्व व कृतित्व पर एक उपन्यास ‘देखी नई फिरे’ (मुड़कर नहीं देखा ) बांग्ला के प्रसिद्ध उपन्यासकार समरेश बसु ने लिखा ।
रामकिंकर बैज के मूर्तिशिल्पों पर अभिव्यंजना कलावाद का प्रभाव था ।
वर्ष 1940 ई0 मे निर्मित रामकिंकर बैज की पहली ‘अमूर्त मूर्ति’ का शीर्षक लैम्प स्टैंड का शीर्षक
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय नई दिल्ली मे सुरक्षित सुप्रसिद्ध कागज पर टेम्परा चित्र ‘फैमिन’ (अकाल) रामकिंकर बैज ने चित्रित किया है ।
मिल कॉल –
मूर्ति शिल्प की रचना सन 1956 ई0 मे रामकिंकर बैज द्वारा की गई जो की शांतिनिकेतन मे स्थापित है इसका ढांचा बनाने मे लोहे का उपयोग किया गया था जिस पर आकार बनाने हेतु सीमेंट, बजरी का उपयोग किया गया ।
इस मूर्ति शिल्प मे दो स्त्रिया व बालक तेज गति से जाते हुए दर्शाया गया है ।
ये चावल की मिल मे काम करने वाली मजदूर स्त्रिया है जिनको मिल के समान की आवाज सुनाई दी जिससे वे मिल की तरफ प्रस्थान करती रही है इनके पास कपड़े सुखाने का भी समय नहीं है इसलिए वह दौड़ते हुए कपड़े सूखा रहे तेज गति दिखाने के लिए स्त्रिया के वस्त्रो को उड़ते हुए पैरो से मिट्टी को उछालते हुए प्रदर्शित किया गया है ।
एक स्त्री को आगे की ओर देखते हुए दूसरी स्त्री को पीछे की ओर देखते हुए दिखाया गया है बालक का मुख ऊपर की ओर देखते हुए दिखाया गया है इस मूर्ति शिल्प मे कला गत दृष्टि से गति प्रभाव लावणी वह प्रमाण आदि का समावेश श्रेष्ठ रूप से किया गया है ।
‘होमवार्ड बाउण्ड’ जलरंग चित्र रामकिंकर बैज का है ।
1938 ई0 मे रामकिंकर बैज द्वारा निर्मित ‘संथाल परिवार’ सीमेंट- कंक्रीट माध्यम मे बनाया है ।
रामकिंकर बैज मे सर्वप्रथम ‘संथाल फ़ैमिली’ को मृण्मयी (मिट्टी) माध्यम मे बनाया था जिसमे एक साथ परिवार के एक पुरुष व एक महिला को दिखाया गया है महिला बाए हाथ मे एक शिशु जबकि पुरुष के बाए कंधे पर बड़ा कांवर है जिसके आगे की तरफ वाली टोकरी एक शिशु को बैठे हुए दिखाया है ।
जिसके भार को संतुलित करने के लिए पिछली टोकरी मे समान रखा दिखाया है साथ ही एक कुत्ता को दिखाया है महिला के सिर पर टोकरी व दरी- पट्टी रखे दिखाया है यह शिल्प आदम कद डेढ़ गुना बड़ा है ।
मूर्तिशिल्प मे जनजाति कृषक गरीब संथाल परिवार का जीवन प्रस्तुत किया गया है जो जीविकोपार्जन हेतु एक स्थान से दूसरे पर जाते हुए दिखाया है ।
रामकिंकर बैज ने मुर्गी के साथ एक संथाल महिला का चित्रण भी किया है जो जुट पर तैल माध्यम से बनाई गई है ।
ये चित्रकार से अधिक मूर्तिकार के लिए प्रसिद्ध हुए तथा बंगाल कला भवन के मूर्ति शिल्प विभाग के अध्यक्ष रहे।
संथाल परिवार –
रामकिंकर बैज द्वारा निर्मित ‘’यक्ष – यक्षिणी’ को 24 फीट ऊंची ग्रेनाइट पत्थर की दो मूर्तिया वर्तमान मे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया , नई दिल्ली के मुख्य द्वार पर स्थापित है ।
रामकिंकर बैज ने ‘यक्ष यक्षणी’ मूर्ति के माध्यम से कृषि के माध्यम से समृद्धि दर्शाया है ।
शांति निकेतन के कला भवन परिसर मे स्थापित ‘हार्वेस्टर’ (1943) कांस्य मूर्ति के रचयिता रामकिंकर बैज है ।
दिल्ली की चित्र प्रदर्शिनी मे रामकिंकर बैज के सीता एक्साइल चित्र ने उन्हे स्वर्ण पदक दिलाया था ।
‘मिल पहुंचन्रे की पुकार’ (1959 ई0 ) कैनवास पर तैल रंग रामकिंकर बैज का चित्र है ।
रामकिंकर बैज के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘रामकिंकर एंड हिज वर्क्स’ के लेखक के0 जी0 सुब्रमण्यम है ।
ए0 रामचंद्रन द्वारा रचित पुस्तक ‘द मैन एंड आर्टिस्ट’ रामकिंकर बैज के जीवन पर आधारित है ।
रामकिंकर बैज द्वारा बनाए गई प्रमुख मूर्तिया –
- संथाल परिवार
- यक्ष –यक्षिणी
- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- मिल कॉल
- महात्मा बुद्ध
- मिथुन
- सुजाता
रामकिंकर बैज’ के प्रसिद्ध चित्र
- थ्रेसिंग (1957 तैल रंग )
- कटाई (1948 जलरंग)
- सुजाता
- कन्या तथा कुत्ता
- अनाज की ओसाई
- कृष्ण का जन्म
- माँ ओर बेटा
- शीत कालीन मैदान
- रवीन्द्रनाथ टैगोर पोट्रेट
- निर्माण
- मेघच्छादित संध्या
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