वैदिक कला

वैदिक कला

वैदिक कला

वैदिक कला सभ्यता का काल 1500 BC से 600 BC तक है ।

वैदिक काल के देवताओ को 3 श्रेणी मे बाँटा गया है ।

आर्यों का प्रमुख धर्म वैदिक धर्म था ।

वैदिक युग का आरंभ धातु युग के साथ हुआ था ।

वैदिक काल मे देवताओ को प्रथम श्रेणी मे पृथ्वी, सोम, अग्नि को रखा गया है ।

वैदिक युग मे द्वितीय श्रेणी मे इंद्र, वायु देवताओ को रखा गया है ।

वैदिक काल के तीसरी श्रेणी के देवता सूर्य, वरुण, विष्णु, आश्विन है ।

आर्य लोग मूल रूप से मध्य एशिया के निवासी थे ।

आर्यों के इतिहास की जानकारी ऋग्वेद से मिलती है ।

आर्यों के पूजनीय देवता इन्द्र थे ।

आर्य धर्म का आधार वेद माना जाता थे ।

वैदिक सभ्यता मे वेदो की संख्या 4, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद है ।

ऋग्वेद मे इन्द्र देवता की  प्रतिमा बनाने का उल्लेख है ।

 

ऋग्वेद मे सोमरस का उल्लेख मिलता है ।

सर्वप्रथम यजुर्वेद मे कर्मकांड का उल्लेख मिलता है ।

64 कलाओ का वर्णन यजुर्वेद से मिलता है।

सबसे पुराना वेद ऋग्वेद को माना जाता है ।

संगीत के सात सूरो का उल्लेख सामवेद मे किया गया है ।

अथर्ववेद को जीवन का विज्ञान कहा गया है ।

वैदिक सभ्यता के उपनिषदों की संख्या 108 है ।

यजुर्वेद की रचना गध ओर पध दोनों मे किया गया है ।

सात सूरो का उल्लेख यजुर्वेद मे मिलता है ।

सामवेद को संगीत का जनक कहा जाता है ।

 

अथर्ववेद मे लौह युग का साक्ष्य मिलता है ।

 

वैदिक सभ्यता के शास्त्रो की संख्या 6 है ।

वेद शब्द विद धातु से बना है।

विद का शाब्दिक अर्थ ज्ञान होता है ।

वेदो को संहिता उपनाम से जाना जाता है ।

आर्यों की प्रमुख भाषा संस्कृत थी।

ऋग्वेद मे 10 मण्डल 1028 सूक्तियों का समावेश है ।

आर्यों द्वारा लोहा धातु का आविष्कार किया गया ।

ऋग्वैदिक काल की सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती थी ।

वितस्ता नदी का आधुनिक नाम झेलम नदी है ।

वियाशा नदी का आधुनिक नाम व्यास नदी है ।

चिनाब नदी को ऋग्वेद मे आक्सिनी नाम रखा गया ।

समुद्री नदी का आधुनिक नाम सतलज नदी है ।

अथर्ववेद का विशेषज्ञ ब्रहमा को कहाँ गया है ।

गुरु चरणों मे बैठकर प्राप्त किया ज्ञान उपनिषद कहलाता है

 

वेदान्त उपनिषद को कहा गया है ।

मुक्तिकोपनिषद मे उपनिषदों की संख्या 108 बताई गई है ।

पुराण का शाब्दिक अर्थ प्राचीन आख्यान (विवरण) होता है ।

पुराणो की संख्या 18 है ।

सबसे प्राचीन पुराण मत्स्यपुराण है ।

मौर्यवंश की जानकारी विष्णु पुराण से मिलती है ।

गुप्त वंश की जानकारी वायुपुराण से मिलती है ।

भागवत पुराण मे विष्णु के दस अवतारो का साक्ष्य मिला है।  इस चित्र मे प्राचीन ढंग के रथो जैसे- चैत्यो का चित्रण हुआ है ।

 

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