अजंता की गुफाये (200 ईसा पूर्व से 650 ईस्वी तक ) टीजीटी,पीजीटी ,upsc,net ,jrf तैयारी के लिए 2023 अपडेट

 आइये आज हम  अजंता की गुफा के बारे मे  जानने का प्रयास करेंगे  जो एक चट्टान को तराशकर बेहद खूबसूरती से इसे बनाया गया है

अजंता की गुफा कहा स्थित है ।

अजंता की गुफा महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लगभग 106 किमी 0  की दूरी पर स्थित है   जलगांव स्टेशन से 61 किमी0  दूर स्थित  है । अजंता तार्भ से साढ़े छ किमी0 पहले फरदपुर गाँव है   यंही से होकर के दर्शक इस गुफा मंदिर जाते है ।

ये गुफाये  विंध्य की सहयाद्रि सतपुड़ा पर्वत माला मे बाघोरा नदी के किनारे 1 अर्धचंद्राकार  75 मी0 (250 फीट  )ऊंचे स्थान पर है

 

अजंता का नामकरण –

महामयूरी नामक ग्रंथ मे अजिंताञ्जय  नामक स्थान का जिक्र है गुफाओ की कुछ दूरी पर अजिष्ठा नामक ग्राम है जिसका मूल उच्चारण अजिष्ठा है ।

यो मैत्रेय बुद्ध ( भविष्य मे अंतरित होने वाले बुद्ध को ‘आजित ‘ कहाँ जाता है ।

गुफाओ का क्रम जो की इस प्रकार से है  पूर्व से पश्चिम की ओर 1 से 29 तक घोड़े की नाल के आकार मे है

अजंता मे गुफा न0 1 से 29 तक है  बाद मे गुफा न0 14 व 15 के बीच  15A नाम की गुफा को देखा था । जिसे मिलाकर कुल 30 गुफाये है

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अजंता कि खोज

अजंता की खोज  जॉन स्मिथ ने 1819 मे की थी सर्वप्रथम इन गुफाओ को  चीनी यात्री हूवेंग्सांग ने देखा था इसका वर्णन उन्होने अपनी पुस्तक ट्रैवेल्स इन इंडिया मे किया है

 

इसी प्रकार  फ़ाहयांग ने  सन 398 ई0 मे  इन कला मंदिरो  का उल्लेख  किया है ।

बाणभट्ट जो गुफा चित्रो का वर्णन किया है वो भी अजंता के समान ही लगता है

सन 1824 मे lieutant  james E. अलेक्जेंडर ने आंखो देखा विवरण तैयार किया 1829 मे transaction रॉयल सोसाइटी लंदन को  इनका परिचय दिया

1828 मे कैप्टन राल्फ ने asiatic society of bengal मे इसका विवरण दिया ।

1839 मे william black ने   bombay carrier मे प्रकाशित करवाया ।

1843 मे james fergusson ने इसका विवरण royal society great britain  ओर ireland की सभा  मे पढ़ कर सुनाया

1844 मे major robert gill ने 30 चित्रो की अनुकृति बनाई (1845-1866 ) के बीच

1866 मे crystal palace मे आग लाग्ने की वजह से सारे चित्र जल गए  उनमे केवल 5 ही चित्र बचे

1874 मे james burges ने इंडियन एंटीकुएरी शोध मे पत्रिका मे  rock temples of अजंता  नाम से लेख प्रकाशित करवाया ।

1909-1911 मे लेडी हरींघम की अध्यक्षता म अनुकृतिया बनाई  जिसमे शामिल कलाकार

सय्यद अहमद , मोहम्मद फजलुद्दीन , नंदलाल बॉस , असित कुमार हल्दर , वेंकटटपा

इनको 1915 ई0 मे इंडियन सोसाइटी मे अजंता फ्रेसकोस नाम से प्रकाशित क्कीय गया

1908 ई0 मे यंहा 1 कुयेरेटरकी नियुक्ति हुई थी जिसका नाम नारायण एकनाथ था ।

अजंता को 1951 मे राष्ट्रिय स्मारक घोषित किया गया ।

1953 मे इसे पुरातत्व सर्वेक्षण मे इसके रखरखाव व सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ली।

1983 मे इसे यूनेस्को मे विश्व धरोहर मे शामिल किया गया ।

मुख्य प्रवेश गुफा न0 1 के सामने है  इन 30 गुफाओ को  अलग अलग  नाम दिये गए है

9,10,19,26,29 को चैत्य गुफा कहा जाता है जो की पूजा के लिए जानी जाती थी

चैत्य गुफा जंहा बौद्ध धर्म के पूजा स्थल होते थे  तथा जंहा बौद्ध भिखखू रहते थे उसे विहार कहा जाता था ।

8,9,10,11,12,13 इन 6  गुफाओ को हीनयान कहा जाता था  बाकी को महायान कहा गया

जंहा पर महात्मा बुद्ध की मूर्ति  बना कर पूजा नहीं की जाती  थी उसे हीनयान कहते थे ।

ओर जंहा पर मूर्ति बनाकर पूजा की जाती थी उसे महायान कहते थे । बौद्ध धम्म को दो भागो मे बाटा गया था

1 हीनयान   2 महायान  जिसे राजा कनिष्क ने किया था

बौद्ध धम्म पहली शताब्दी मे राजा कनिष्क का शासनकाल था ।

वाचस्पति गैरोला की पुस्तक  ‘भारतीय चित्रकला ‘ मे गुफाओ के चित्रो का वर्गीकरन  3 भागो मे बाटा गया है

1 आलंकारिक –

फल ,फूल ,पत्ती ,पुष्प ,बेले ,कमल ,पशु, पक्षी ,किन्नर ,नाग,गरुड,यक्ष ,अप्सराये आदि ।

2 रूपभेदिक –

पदमपाणि ,ब्रजपाणि , बोधिसत्व ,अवलोकितेश्वर ,विवाह,ग्रहत्याग , बोधिजन्म

3 वर्णात्मक –

घटना चित्र ,जातक  कथाये  जैसे ब्राह्मण जातक , छदन्त जातक , मुखपंक जातक ।

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अजंता मे कुल 6 गुफाये चित्रित है  9,10,16,17,1,2

गुफा संख्या 9 सातवाहन काल की है जो ईसा से 100 वर्ष पूर्व की है हीनयान महायान से संबन्धित है चैत्य गुफा है

 

 

09

10

16

17

01

02

100 ईसा पू0

200 ईसा पूर्व

475ई0-500

475ई0-

500-628AD

500-628 AD

सातवाहन हीनयान महायान

शुंग सातवाहन छदन्त जातक

वाकाटक गुप्तकाल मरणासन्न
राजकुमारी

500ई0 वाकाटक गुप्तकाल
चित्रशाला

सबसे अधिक चित्र

गुप्तकाल चालुक्य शैल
स्थापत्य

वाकाटक ,गुप्तकाल,

दो अंगूठे वाली रमणी

मरणासन्न राजकुमारी

 

गुफा  09  के चित्र  –

1 स्तूप पूजा
2 शंख शहनाई
3 पशुओ को खदेड़ते चरवाहे
4 झांज म्रदंग बजाते वादक
5 दो नाग पुरुष एक बैठी स्त्री इसको जॉन ग्रिफिक्स ने खोजा था

गुफा 10 के चित्र –

 1 साम जातक
2 छदन्त जातक
3 एक जुलूस
4 बोधिव्रक्ष की उपासना हेतु राजा तथा उनका दल

गुफा संख्या 16,17 के चित्र   –

गुफा 16

गुफा 17

1 माया देवी का स्वप्न

2सुजाता की खीर

3 अजातशत्रु

4 बुद्ध की भेंट

5 मरणासन्न राजकुमारी

6 बुद्ध का जन्म

7 बुद्ध का ग्रहत्याग

8 प्रवेश द्वार पर 2 हाथी

9 धनुर्भ्यास

10 बुद्ध उपदेश भव्य चित्र

1 विलासी वैराग्य

2 पागल हाथी पर अंकुश

3 हंस जातक

4 यशोधरा की भिक्षा माता
पुत्र राहुल समर्पण

5महकपी जातक ,बोधिसत्व
रूपी

6 सिहलवादन

7 म्रग जातक

8 श्रंगार करती राजकुमारी

9 उड़ती हुई गंधर्व अप्सराये
तथा  इन्द्र का अंकन

 budh updesh

 

 गुफा संख्या 1,2 के चित्र-

गुफा 01

गुफा 02

1 बोधिसत्व पदमपाणि

2 मार विजय

3 शिवि जातक

4 श्रावस्ती का चमत्कार

5 ब्रजपाणि

6चींटियों के पहाड़ पर
साँप की तपस्या

7छतों  मे कमल व हंसो के अलंकरण

8 बैलो की लड़ाई

9 प्रेमी युगल

10 काली राजकुमारी

11 पुलकेशियन द्वितया
के दरबार मे विदेशी राजदूत का चित्र

12 अवलोकितेशवेर  

13 नाग राज की सभा   

1 महा हंस जातक

2 विदूर पंडित की कथा

3 माया देवी का स्वप्न

4मरणासन्न राजकुमारी
का चित्र

5 दो बाए अंगूठे वाली
रमणी

6 बुद्ध जन्म

7 झूला झूलती राजकुमारी

8 तुषित  चित्र

9 सर्वनाश

10 प्राणो की भिक्षा

11 दया याचना  

पदम पाणि क बोधिसत्व का चित्र गुफा न0 01 मे मिलता है इसके हाथ मे नीले रंग का कमल है

 

अवलोकितेशवेर बोधिसत्व का चित्र गुफा न0 01 मे मिला है

मरणासन्न राजकुमारी का चित्र गुफा 16 मे है मरणासन्न राजकुमारी का नाम सुंदरी है जो बुद्ध के मौसेरे  भाई नन्द की पत्नी है

 काली अप्सरा का चित्र गुफा 17 मे मिला है

गुफा 09 ,10 का समय सबसे प्राचीन है 200 ईसा पू0 से 300ई0 तक है

16व 17 गुफा 350 ई0 से 500 ई0 या 475-500 तक

1व 2 सबसे नवीन गुफा है fergusan के अनुसार 500 ई0 से 628 ई0 तक

बिना चित्रो की दृष्टि से प्राचीन गुफा 13 है ।

अजंता के भित्ति चित्रो के रंग कैसे थे  –

 खनिज रंगो का प्रयोग  सफ़ेद,चुना,खड़िया,जिप्सम,चीनी,मिट्टी
लाल रंग के लिए लाल भूरा गेरू या चिरोंजी का इस्तेमाल किया जाता था
पीला रंग के लिए  रामराज ,पीली मिट्टी ,चमकदार पीला
नीला – ( लेपिस लाजुली पत्थर से ) फारस से आता था 16 ,17 गुफा मे लगा है
काला – काजल
400ई0 से पहले नीले रंग का प्रयोग नहीं  हुआ

(अजंता के महत्वपूर्ण  तथ्य)

 20 प्रकार की रेखाये  का प्रयोग हुआ है
सर्वाधिक अलंकरण गुफा 1 मे हुआ है  सबसे अधिक चित्र 17 गुफा मे  है
 ये मूर्तिकला ,स्थापत्य कला, चित्रकला तीनों का संगम है

 अजंता कि गुफा 850 वर्षो मे बनाकर तैयार हुई

कुल 547 जातक कथाये  है
लामातारानाथ  के अनुसार (देव शैली मे निर्मित चित्र है )
सर्वोत्क्रष्ट करी गुप्तकाल मे हुआ  भित्ति चित्रण फ्रेस्स्को सेक्कों सुखी भित्ति मे हुआ है ।
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