आइये आज हम अजंता की गुफा के बारे मे जानने का प्रयास करेंगे जो एक चट्टान को तराशकर बेहद खूबसूरती से इसे बनाया गया है
अजंता की गुफा कहा स्थित है ।
ये गुफाये विंध्य की सहयाद्रि सतपुड़ा पर्वत माला मे बाघोरा नदी के किनारे 1 अर्धचंद्राकार 75 मी0 (250 फीट )ऊंचे स्थान पर है
अजंता का नामकरण –
महामयूरी नामक ग्रंथ मे अजिंताञ्जय नामक स्थान का जिक्र है गुफाओ की कुछ दूरी पर अजिष्ठा नामक ग्राम है जिसका मूल उच्चारण अजिष्ठा है ।
यो मैत्रेय बुद्ध ( भविष्य मे अंतरित होने वाले बुद्ध को ‘आजित ‘ कहाँ जाता है ।
गुफाओ का क्रम जो की इस प्रकार से है पूर्व से पश्चिम की ओर 1 से 29 तक घोड़े की नाल के आकार मे है
अजंता मे गुफा न0 1 से 29 तक है बाद मे गुफा न0 14 व 15 के बीच 15A नाम की गुफा को देखा था । जिसे मिलाकर कुल 30 गुफाये है
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अजंता कि खोज
अजंता की खोज जॉन स्मिथ ने 1819 मे की थी सर्वप्रथम इन गुफाओ को चीनी यात्री हूवेंग्सांग ने देखा था इसका वर्णन उन्होने अपनी पुस्तक ट्रैवेल्स इन इंडिया मे किया है
इसी प्रकार फ़ाहयांग ने सन 398 ई0 मे इन कला मंदिरो का उल्लेख किया है ।
बाणभट्ट जो गुफा चित्रो का वर्णन किया है वो भी अजंता के समान ही लगता है
सन 1824 मे lieutant james E. अलेक्जेंडर ने आंखो देखा विवरण तैयार किया 1829 मे transaction रॉयल सोसाइटी लंदन को इनका परिचय दिया
1828 मे कैप्टन राल्फ ने asiatic society of bengal मे इसका विवरण दिया ।
1839 मे william black ने bombay carrier मे प्रकाशित करवाया ।
1843 मे james fergusson ने इसका विवरण royal society great britain ओर ireland की सभा मे पढ़ कर सुनाया
1844 मे major robert gill ने 30 चित्रो की अनुकृति बनाई (1845-1866 ) के बीच
1866 मे crystal palace मे आग लाग्ने की वजह से सारे चित्र जल गए उनमे केवल 5 ही चित्र बचे
1874 मे james burges ने इंडियन एंटीकुएरी शोध मे पत्रिका मे rock temples of अजंता नाम से लेख प्रकाशित करवाया ।
1909-1911 मे लेडी हरींघम की अध्यक्षता म अनुकृतिया बनाई जिसमे शामिल कलाकार
सय्यद अहमद , मोहम्मद फजलुद्दीन , नंदलाल बॉस , असित कुमार हल्दर , वेंकटटपा
इनको 1915 ई0 मे इंडियन सोसाइटी मे अजंता फ्रेसकोस नाम से प्रकाशित क्कीय गया
1908 ई0 मे यंहा 1 कुयेरेटरकी नियुक्ति हुई थी जिसका नाम नारायण एकनाथ था ।
अजंता को 1951 मे राष्ट्रिय स्मारक घोषित किया गया ।
1953 मे इसे पुरातत्व सर्वेक्षण मे इसके रखरखाव व सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ली।
1983 मे इसे यूनेस्को मे विश्व धरोहर मे शामिल किया गया ।
मुख्य प्रवेश गुफा न0 1 के सामने है इन 30 गुफाओ को अलग अलग नाम दिये गए है
9,10,19,26,29 को चैत्य गुफा कहा जाता है जो की पूजा के लिए जानी जाती थी
चैत्य गुफा जंहा बौद्ध धर्म के पूजा स्थल होते थे तथा जंहा बौद्ध भिखखू रहते थे उसे विहार कहा जाता था ।
8,9,10,11,12,13 इन 6 गुफाओ को हीनयान कहा जाता था बाकी को महायान कहा गया
जंहा पर महात्मा बुद्ध की मूर्ति बना कर पूजा नहीं की जाती थी उसे हीनयान कहते थे ।
ओर जंहा पर मूर्ति बनाकर पूजा की जाती थी उसे महायान कहते थे । बौद्ध धम्म को दो भागो मे बाटा गया था
1 हीनयान 2 महायान जिसे राजा कनिष्क ने किया था
बौद्ध धम्म पहली शताब्दी मे राजा कनिष्क का शासनकाल था ।
वाचस्पति गैरोला की पुस्तक ‘भारतीय चित्रकला ‘ मे गुफाओ के चित्रो का वर्गीकरन 3 भागो मे बाटा गया है
1 आलंकारिक –
फल ,फूल ,पत्ती ,पुष्प ,बेले ,कमल ,पशु, पक्षी ,किन्नर ,नाग,गरुड,यक्ष ,अप्सराये आदि ।
2 रूपभेदिक –
पदमपाणि ,ब्रजपाणि , बोधिसत्व ,अवलोकितेश्वर ,विवाह,ग्रहत्याग , बोधिजन्म
3 वर्णात्मक –
घटना चित्र ,जातक कथाये जैसे ब्राह्मण जातक , छदन्त जातक , मुखपंक जातक ।
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अजंता मे कुल 6 गुफाये चित्रित है 9,10,16,17,1,2
गुफा संख्या 9 सातवाहन काल की है जो ईसा से 100 वर्ष पूर्व की है हीनयान महायान से संबन्धित है चैत्य गुफा है
09 |
10 |
16 |
17 |
01 |
02 |
100 ईसा पू0 |
200 ईसा पूर्व |
475ई0-500 |
475ई0- |
500-628AD |
500-628 AD |
सातवाहन हीनयान महायान |
शुंग सातवाहन छदन्त जातक |
वाकाटक गुप्तकाल मरणासन्न |
500ई0 वाकाटक गुप्तकाल सबसे अधिक चित्र |
गुप्तकाल चालुक्य शैल |
वाकाटक ,गुप्तकाल, दो अंगूठे वाली रमणी मरणासन्न राजकुमारी |
गुफा 09 के चित्र –
गुफा 10 के चित्र –
गुफा संख्या 16,17 के चित्र –
गुफा 16 |
गुफा 17 |
1 माया देवी का स्वप्न 2सुजाता की खीर 3 अजातशत्रु 4 बुद्ध की भेंट 5 मरणासन्न राजकुमारी 6 बुद्ध का जन्म 7 बुद्ध का ग्रहत्याग 8 प्रवेश द्वार पर 2 हाथी 9 धनुर्भ्यास 10 बुद्ध उपदेश भव्य चित्र |
1 विलासी वैराग्य 2 पागल हाथी पर अंकुश 3 हंस जातक 4 यशोधरा की भिक्षा माता 5महकपी जातक ,बोधिसत्व 6 सिहलवादन 7 म्रग जातक 8 श्रंगार करती राजकुमारी 9 उड़ती हुई गंधर्व अप्सराये |
budh updesh
गुफा संख्या 1,2 के चित्र-
गुफा 01 |
गुफा 02 |
1 बोधिसत्व पदमपाणि 2 मार विजय 3 शिवि जातक 4 श्रावस्ती का चमत्कार 5 ब्रजपाणि 6चींटियों के पहाड़ पर 7छतों मे कमल व हंसो के अलंकरण 8 बैलो की लड़ाई 9 प्रेमी युगल 10 काली राजकुमारी 11 पुलकेशियन द्वितया 12 अवलोकितेशवेर 13 नाग राज की सभा |
1 महा हंस जातक 2 विदूर पंडित की कथा 3 माया देवी का स्वप्न 4मरणासन्न राजकुमारी 5 दो बाए अंगूठे वाली 6 बुद्ध जन्म 7 झूला झूलती राजकुमारी 8 तुषित चित्र 9 सर्वनाश 10 प्राणो की भिक्षा 11 दया याचना |
पदम पाणि क बोधिसत्व का चित्र गुफा न0 01 मे मिलता है इसके हाथ मे नीले रंग का कमल है
अवलोकितेशवेर बोधिसत्व का चित्र गुफा न0 01 मे मिला है
मरणासन्न राजकुमारी का चित्र गुफा 16 मे है मरणासन्न राजकुमारी का नाम सुंदरी है जो बुद्ध के मौसेरे भाई नन्द की पत्नी है
काली अप्सरा का चित्र गुफा 17 मे मिला है
गुफा 09 ,10 का समय सबसे प्राचीन है 200 ईसा पू0 से 300ई0 तक है
16व 17 गुफा 350 ई0 से 500 ई0 या 475-500 तक
1व 2 सबसे नवीन गुफा है fergusan के अनुसार 500 ई0 से 628 ई0 तक
बिना चित्रो की दृष्टि से प्राचीन गुफा 13 है ।