असित कुमार हल्दार

असित कुमार हल्दार

असित कुमार हल्दार का जन्म 10 दिसम्बर 1890 ई0 को द्वारिकानाथ टैगोर मार्ग  कलकत्ता मे हुआ था ।

इनकी मृत्यु 1964 मे लखनऊ मे हुई  थी ।

असित कुमार 1906 मे अवनीन्द्र नाथ के शिष्य बने थे ।

18 वर्ष की आयु मे उन्होने लंदन के सुप्रसिद्ध वास्तुशिल्पी लियोनार्ड जेनिग्स से भास्कर्य की शिक्षा प्राप्त की ।

असित कुमार के दादा का नाम राखलदास था जो लंदन विश्वविध्यालय मे प्रिन्सिपल थे ओर संस्कृत के अध्यापक थे ।

1923 मे शांतिनिकेतन के कला भवन मे प्रिन्सिपल बने थे ।

1924 मे महाराजा स्कूल ऑफ जयपुर मे प्रिन्सिपल बने ।

1925 मे इनका ट्रांसफ़र लखनऊ के कला विध्यालय मे हुआ था ।

1910 मे लेडी हरींघम की अध्यक्षता मे नंदलाल के साथ अजंता की प्रतिलिपिया तैयार की थी ।

1914 मे जोगिमारा की प्रतिलिपिया तैयार की थी ।

1917 ई0 मे उन्होने बाघ की चित्रकला का निरीक्षण किया तथा

1921 मे बाघ की प्रतिलिपीया तैयार की थी ।

इनको लंदन की रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट की फ़ेलोशिप भी मिली थी ।

एक बार बल्लभभाई भाई पटेल ने यह पूछा की रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पश्चात उनकी असाधारणताओ को कला क्षेत्र मे कोन ला सकेगा ?तो उन्होने कहा था की असित कुमार हल्दार जैसे उत्तम चित्रकार जब तक मौजूद है तब तक चिंता की कोई बात नहीं । वास्तव मे श्री हल्दार संसार के किसी भी कलाकार से कम नहीं थे ।

 

असित कुमार की कला

इनकी प्रारम्भिक रचनाए भित्ति चित्रो की शैली मे अंकित है ।

वॉश इनकी प्रमुख पद्धति थी ।

ओर इन्होने टेम्परा माध्यम मे भी काम किया ओर तैल चित्रण मे भी काम किया ।

इन्होने cosmic painting पर भी चित्रण बनाए ।

सुकुमारता ओर मधुरता उनकी कला के प्रधान गुण है ।भावपूर्ण कल्पना ,संगति ,लय सुकोमल रेखांकन तथा कोमल रंग योजना । इन सब का उनमे सुदर समन्वय हुआ है ।

उन्होने काष्ट पर लाख की वार्निश करके टेम्परा विधि की नई विधि विकसित की जिसे लेसिट विधि कहा गया है ।

लकड़ी ,रेशम ,भित्ति ,कागज ,कैनवास विभिन्न धरातल पर कार्य किया है ।

असित कुमार हल्दार ने 40 पुस्तके लिखी ।

असित कुमार ने मेघदूत ओर ऋतु संहार को  बांग्ला मे अनुवाद किया बाद मे इसके  आधार पर चित्र बनाए थे ।

उन्होने विविध विषयो के अनेक चित्र ग्रंथो की रचना की है । जिनमे मेघदूत ,ऋतुसंहार ,उमर ख्य्याम तथा रामायण आदि प्रमुख है । उनके चौराहे पर नामक चित्र मे रोमानी इच्छा एवं रहस्य पूर्ण अभिव्यक्ति का सामंजस्य है इसमे एक माया लोक की सृष्टि की गई है । यह लकड़ी पर लाख चित्रण है ।

श्री हल्दार केवल शिल्पी ही नही थे उन्होने बाल मनोरंजन ,दर्शन तथा ललित कला पर बंगला तथा अँग्रेजी मे प्रयाप्त लेखन कार्य भी किया है ।उन्होने अपने जीवन काल मे लगभग 40 पुस्तके की रचना की है जिनमे इंडियन कल्चर एट ग्लान्स ,गौतम गाथा ,भारतीय चित्रकला ,ललित कला की धारा तथा रूपदर्शिका प्रमुख है ।

 

 

असित कुमार हल्दार के प्रमुख चित्र

चैतन्य ओर डाकू

अकबर एक निर्माण कार्य करते हुए

झरने की आत्मा

जंगल की आत्मा

कोणाल व अकबर

हवा की शक्ति

ऋतुओ का नृत्य

संगीत

प्रतीक्षा

The flame of music (संगीत की लौ )

संथाल का परिवार

यह अनजाना सफर

बारिश के दिन

झरना ओर प्रकृति

दी स्प्रिट ऑफ स्टोर्म

Leave a Comment