एलिफैण्टा की गुफा ( 600 ई. से 900 ई . ) का रोचक इतिहास 2023 update tgt pgt art ke liye जरूर पढ़ें

 आइए jante है elephanta गुफा के बारे मे जो एक पहाड़ी को काटकर तराश कर बनाई गई behad खूबसूरत गुफा है

एलीफंटा की गुफा कहाँ स्थित है ?

स्थिति – एलिफैण्टा  गुफा  मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया  से लगभग  6 मील  (10 किलोमीटर) दूरी  पर  स्थित है |

*     टापू  का वास्तविक  नाम – धारापुरी  था |

*     यह गुफा  मंदिर  130 वर्ग फीट  मे फैला हुआ  है |

*     1987 ई 0  को एलिफैण्टा  गुफा  को युनेस्को  ने विश्व धरोहर  सूची मे शामिल किया |

*    एलिफैण्टा  अपनी मूर्तिकला के लिए विश्व प्रसिद्ध  है |

*     गुफा  के  बाहर विशाल हाथी की प्रतिमा  होने के कारण पुर्तगालिओ ने इसे एलिफैण्टा  नाम दिया |

हाथी प्रतिमा अब मुंबई के   विक्टोरिया  गार्डन  संग्रहालय  के बाहर रखी हुई  है

जो  पूरी तरह  शिव को समर्पित  है

*     इन गुफा का निर्माण पाँचवी शताब्दी  के वाकाटक  राजाओ से लेकर चालुक्य काल ,राष्ट्रकूट  काल तथा 10 वीं शती  के कलचूरी शासको  तक माना जाता है |

*     प्रतिमाओ के  विश्लेषण के आधार पर इन्हे कलचूरी शासको द्वारा 10 वीं शती मे  बनवाया  माना जा सकता  है |किन्तु अद्धिकांश विद्वान  गुफाओ की रचना  को देखते  हुए 8 वीं शती  ई 0 मे  राष्ट्रकूटो  द्वारा बना मानते है |

*     ‘फर्गुसन ‘ तथा ‘बर्जेस ‘ एव ‘जिम्मर ‘ जैसे विद्वान ने मूर्तियो के आधार पर इसे 8 वीं -9वीं शताब्दी मे निर्मित माना है , किन्तु ‘हीरानंद शास्त्री ‘ ओर डॉ प्रमोदचन्द्र ‘ इन मूर्तियो  की तिथि 7वीं शताब्दी  मानते है , क्योंकि इनमे कोंकण के मौर्य शासको का योगदान है |

1534 में पुर्तगालियों ने गुजरात को अपने
काबू में कर लिया था. यहां इन लोगों ने इस टापू को अपने जहाजों के लिए
जहाजघर बना लिया और इस छोटे टापू को बाकी आइलैंड से अलग बताया. जो लोग कभी
ऐलीफैंटा की गुफाओं में नहीं गए हैं, उन्हें इसका नाम सुनकर लगता है कि
यहां हाथी से जुड़ी कुछ कलाकृतियां ज़रूर होंगी, लेकिन यहां हाथी की कोई मूर्ति नहीं है.

दरअसल मूर्ति इंग्लैंड शिफ्ट करने के
चक्कर में डेमेज हो गई थी. जिसके बाद इसे बाद में मुंबई के एक चिड़ियाघर
में शिफ्ट किया गया जहां यह आज भी है. यहां मौजूद आर्किटेक्चर और स्कल्पचर
का हिंदू धर्म के साहित्

 

एलिफैण्टा गुफा मे कुल कितनी गुफाये है ?

 इसके परिसर में कुल 7 गुफाएं हैं , जिनमें से 5 गुफाएं हिंदू धर्म से संबंधित है, जबकि अन्य दो गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं।

घारपुरी द्धीप में स्थित एलीफेंटा गुफा की गुफा नंबर 1, ग्रेट गुफा के नाम से जानी जाती है, जिसके अंदर भगवान शिव की कई मूर्तियां विराजित हैं। इस गुफा के बीच में भगवान शिव को समर्पित त्रिमूर्ति स्थापित हैं, जो कि सदाशिव के नाम से जानी जाती हैं।

इस गुफा में भगवान शिव की अन्य एक और मूर्ति है, जिसमें गंगा को धरती पर लाते हुए शिव का चित्रण दिखाया गया है। वहीं ऐलीफेंटा गुफा की गुफा नंबर 2 से गुफा नंबर 5 कैनन हिल के नाम से जानी जाती हैं। यहां पर गुफा नंबर 6 और 7 के लिए स्तूप हिल्स हैं। वहीं गुफा नंबर 6 को सीताबाई गुफा के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इसकी गुफा नंबर 7 के आगे एक तालाब है, जो कि बौद्ध तालाब के नाम से जाना जाता है।

   (प्राप्त मूर्तिया )

(महेश मूर्ति (त्रिमूर्ति )–  सबसे  सुंदर (18 फीट ऊंची ,24 फीट चौड़ी  |

9 वीं  शताब्दी  मे निर्मित  पत्थर  से बनी हुए है

प्रतिएक  सिर 6 फीट का है|

नोट -रीता प्रताप ने इसे ब्रह्मा , विष्णु , महेश  माना ह

 

 

 

( शिव तांडव न्रत्य  प्रतिमा  नटराज  मूर्ति ) – इसमे भगवान की भावमग्न  न्रत्य  मुद्रा स्पष्ट  दिखाई  देती  है

इस मूर्ति  की सभी 8 भुजा  ध्यानावस्था  मे थी जो अब खंडित  हो चुकी है |

( शिव द्वारा  असुरो का नाश  )-  इसमे शिव को रोद्र  रूप मे राक्षस का संहार करते दिखाया  गया  है

शिव का भीषण मुख , उभरे  हुए जबड़े ओर  आंखे बाहर निकली हुए , शरीर  तना  हुआ  क्रोध  को व्यक्त  करती  है  साथ  मे आकाश  मे देवी देवता की अनुकृति  भी बनाई गयी  है |

 

 शिव पार्वती विवाह (पार्वती के पिता हिमवान व माता मैना देवी ) –  इसमे शिव  ओर पार्वती  विवाह  का जीवन द्रश्य  दिखाया गया है  यह  एलिफैण्टा की सभी मूर्तियो  मे सुंदर मूर्ति शिल्प  है  इस द्रश्य मे पार्वती  के पिता हिमवान अपनी पुत्री पार्वती को शिव के सरक्षण मे सोंपते हुए प्रदर्शित  है|

(अर्ध नारीश्वर )- इस मूर्ति मे शिव को आधा  पुरुष आधा नारी के रूप मे दर्शाया गया है |

(रावण कैलाश  पर्वत को उठाते  हुए)   इस  गुफा मे पूर्वी भाग मे  दस सिर वाले रावण को कैलाश पर्वत को  उखाड़ने  की कोशिश करते हुए  दर्शाया गया है | पार्वती  ओर शिव कैलाश पर बैठे हुए है| शिव अपने बाई पैर  से  रावण को नीचे  दबा रहे है |रावण  द्वारा दया की पुकार करने पर  शिव उसे मुक्त कर देते है |

(शिव गंगाधर रूप )-   इसमे शिव  भागीरथ  की तपस्या  से प्रसन्न होकर  स्वर्ग  से आने वाली  गंगा को  पृथ्वी  पर  उतारने  से पहले  अपनी जटाओ  पर ग्रहण कर लेते है |

(ब्रह्मा मूर्ति ) – इस मूर्ति को प्रकाश  मे लाने का श्रेय डॉ आनंद कुमार स्वामी को है |

 (योगीश्वर  शिव  की मूर्ति ) शिव ध्यान  मुद्रा मे पदम पर विराजमान है |

 

articles को पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर de ताकि ऐसे ही महत्वपूर्ण articles आपको पढ़ने के लिए ham देते रहें जिसमें आप exam यूपीएससी  tgt pgt art की तैयारी कर सके  धन्यवाद

0 thoughts on “एलिफैण्टा की गुफा ( 600 ई. से 900 ई . ) का रोचक इतिहास 2023 update tgt pgt art ke liye जरूर पढ़ें”

Leave a Comment