एलोरा गुफा ( राष्ट्रकूट काल 4 वीं शती -12 वीं शती ) tgt ,पीजीटी, upsc व अन्य इतिहास की जानकारी के लिए 2023अपडेट

  आइए  जानते  है एलोरा  गुफा के बारे कुछ महत्वपूर्ण  व रोचक तथ्य  जो एक पहाड़ी को सुंदर ढंग से  काटकर 900 वर्षो मे तैयार हुई

एलोरा की गुफा कहा स्थित है ?

स्थिति —

एलोरा की गुफाये  महाराष्ट्र राज्य के ओरंगाबाद जिले  से  29 किलोमीटर  तथा  अजंता से 135 किलोमीटर  दूरी पर स्थित  है । यंहा  से प्राप्त  उत्कीर्ण  शिलालेख  के अनुसार  इसका प्राचीन नाम ‘एलापुर  अंचल ‘ था । कुछ स्थानीय लोग इसे ‘वेरुल ‘ नाम से भी संबोधित  करते है व  इसे ‘एलोरा ‘ नाम से संबोधित किया जाता है । भारत मे जो ख्याति ‘अजंता ‘ की है , वही ‘एलोरा ‘ की भी है ।

एलोरा की गुफा  बौद्ध , ब्राह्मण , जैन  धर्म से संबन्धित  है ।

एलोरा का प्राचीन नाम  – एलापुर अंचल , वेरुल भी था ।

एलोरा की गुफा 1983 मे यूनेस्को द्वारा  विश्व धरोवर मे शामिल की गई ।

राष्ट्रकूट का  प्रथम राजा दंतिदुर्ग  था ओर  अंतिम राजा कार्क  था ।

 

इतिहास  पश्चिमी  दाखिक्णी  ने चालुक्य  के  बाद  राष्ट्रकूट  शासको  की सत्ता  स्थापित  हुए , जो चालुक्य  के सामान ही स्थापत्य  एव  मूर्तिकला  के  महान  प्रश्रयदाता  थे । राष्ट्रकूट  वंश के  सष्ठापक  शासको  मे ‘ दंतिदुर्ग प्रथम ने लगभग (735-755)  मे चालुक्य  को पराजित  कर  स्वतंत्र  ‘ राष्ट्रकूट सत्ता ‘ की स्थापना  की ओर ‘मान्यखोट ‘ ( मालखेड़ा , कर्नाटक ) को अपनी राजधानी  बनाया । दंतिदुर्ग  के बाद  उसका  चाचा ‘ कृष्ण प्रथम ‘ ( 756- 72 ई . )  शासक  हुआ , जो राष्ट्रकूट  वंश का  प्रतापी  शासक  था  ओर  इसी  के काल मे एलोरा  का विश्व प्रसिद्ध कैलाश  मंदिर  का निर्माण  हुआ ।

 

  एलोरा मे कुल  कितनी गुफाये है ?

एलोरा मे कुल 34 गुफा है

 जिनका समय  अलग -अलग है ।

गुफा  संख्या  1से 12 तक बौद्ध  धर्म से संबन्धित  गुफा   है  जिनका समय (350 ई . -700 ई .)

गुफा  संख्या 13 से 29 तक ब्राह्मण धर्म से संबन्धित  गुफा है   जिनका  समय (  8वीं – 10वीं शती )

गुफा संख्या  30से 34 तक जैन धर्म से संबन्धित  गुफा है  जिनका समय  ( 9 वीं – 12वी शती )

 

ये सारी गुफाये चट्टानों को काटकर  900 वर्षो मे बनकर तैयार हुए ।

 एलोरा की गुफाओ के नाम ——

 6 वीं गुफा का नाम अवलोकितेश्वर  है ।  इस मे हिन्दू  देवी सरस्वती  की प्रतिमा है , जिसे कुछ विद्वान  महापुरुष  की प्रतिमा बताते है । यंहा  पर सात मानसों बुध्दों की प्रतिमाए बोधिव्रक्ष  के साथ बनाई गयी है ।

10वीं गुफा का नाम  सुतार झोपड़ी है जो एक चैत्य गुफा है ।

11वीं तीन ताल  गुफा

12वीं  तीन थाल

 14वीं का नाम  रावण की खाई ।

`15 वीं गुफा  का नाम दशावतार  है , जो दंतिदुर्ग द्वितया ने बनवाई  थी ।

16वीं  गुफा का नाम  कैलाश है जो कृष्ण प्रथम ने बनवाई थी ।

19 वीं गुफा का नाम साप्त मात्रिकाओ है ।

21 वीं का नाम रामेश्वर है । इस गुफा मे  आम व्र्क्ष  के नीचे  टोड्डो एव  वितानो पर नारी  आकृतीय  का अंकन उल्लेखनीय  है, जो मात्रशक्ति  या प्रजनन  से संबन्धित  है । इस गुफा  मे केवल शिव व शक्ति के ही  विभिन्न  रूपो  की मूर्तिया है ।

29 वीं का नाम सीता हरणी  है । इस गुफा मे  शैव , वैष्णव  एव  शाक्त सम्प्रदायो की देवी  की मूर्तिया  मिली है , जिनमे रावणाग्रह  , नरेश,शिव -पार्वती  परिणय ,दुर्गा , सरस्वती  ओर यमुना  की है ।

 जैन गुफाये

30 वीं का नाम छोटा कैलाश  है जो जैन धर्म से संबन्धित है ।

32 वी का नाम इंद्रसभा है , जो दो मंजिली है ।

33 वीं का नाम जगन्नाथ सभा है ।

                   (गुफा 16 मे कैलाश मंदिर है जो एलोरा की जान है )

सबसे  पहले  पहाड़  के एक चोकोर  खंड को तीन ओर  की खाइयो  से काटकर अलग किया गया  ओर फिर उस चोकोर पहाड़ को ऊपर से तराशकर  क्रमश  नीचे लाया गया । इस प्रक्रिया मे सबसे पहले  मंदिर का शीर्ष भाग निर्मित  किया ज्ञ  ओर नीचे  वाला भाग  बाद मे  बनाया गया ।

कैलाश मंदिर एक आयताकार प्रांगण मे अत्यंत  ऊंची कुर्सी (25) फीट  पर खड़ा  है , जिसके किनारे -किनारे  विशाल हाथियो की पंक्ति  बनी  है । इससे ऐसा प्रतीत होता है , मानो  सम्पूर्ण  मंदिर इन्ही  हाथियो की पीठ पर टीका  है ।

 

1 नटराज की एक आकर्षक चतुरा मुद्रा मे मूर्ति  है

2  कमाल पुष्प -पत्र  के आलंकारिक आलेखन मे  हस्ति आकृति

3 लक्ष्मी नारायण  गरुड़ो  पर सवारी करते हुए

4  बादलो मे विचरते  विध्यधर

5   युद्ध  दृश्य

6 रावन द्वारा  कैलाश पर्वत को उठाया हुए

                       ( कैलाश  मंदिर)

इसका  निर्माण  राष्ट्रकूट  राजा कृष्ण  प्रथम ने करवाया था ।

एकशमक शैली मे बना मंदिर है   जिसकी लंबाई 143,  चौड़ाई 21,  फीट व 100 फीट ऊँचा  है।

756 -773  ई .के बीच  मे बना मंदिर है ।

276*154 फीट मंदिर के प्रांगण की ल0 च0 तथा 16 खम्भो  पर टीका है ।

          (गुफा 15 के चित्र  दशावतार)

उमा महेश्वर

अर्ध्नारीश्वर

अंधकासुर

कल्याण सुंदर

       (एलोरा गुफा की विशेषताए )

यह गुफा  पूर्व मध्यकाल का प्रीतिनिधित्व  करती है ।

अंतिम मे  अपभ्रंश शैली के लक्षण दिखाई पड़ते है ।

सवा चश्म चेहरे , नुकीली नाक  परलेगाल से बाहर निकली आंखे ।

गुफा संख्या 31,32,33 मे  31 मूर्तिया  है पाशर्वनाथ ,महावीर स्वामी तथा 17 मूर्तिया  गोमतेश्वर  बाहुबली की है ।

कैलाश  मंदिर मे वेसर शैली के  कुछ लक्षण है ।

एलोरा गुफा स्थापत्य कला  के लिए  प्रसिद्ध है ,

एलिफंटा  गुफा मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है ।

 

 

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धन्यवाद

 

 

 

 

 

 

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