आइये जानते है पहाड़ी शैली की उप शैली गुलेर शैली के बारे मे
गुलेर शैली का उदय ‘हरीपुर ‘गुलेर राज्य मे हुआ था । इस राज्य की स्थापना 1405 ई0 मे राजा हरिश्चंद्र ने की थी । नए प्रयोग व नए मुहावरे स्थापित हुए । गुलेर के सभी शासको ने कला को बहुत प्रोत्साहन दिया । इस शैली मे दरबारी चित्र , व्यक्ति चित्र रागमला चित्र तथा नायिका -भेद आदि का अंकन हुआ है । नायिका भेद चित्रकारों का मुख्य विषय रहा है । नायिकाओ के उन्होने बहुत सुंदर एव भावपूर्ण चित्र बनाए । गुलेर चित्रो मे रेखाओ के अंकन मे जो संतुलन तथा लयात्मक है । उससे नारि आकृति का शारीरिक सौंदर्य मुखर गया । साथ ही साथ भाव भंगिमा का मनोहर लालित्य दिखाई पड़ता है । पुष्पो से झुकी हुई प्राकृतिक हरियाली के पीछे से छोटे छोटे से भवन दिखाई देते है । पहाड़ियो एव कदली वृक्षो का अंकन इस शैली की निजी विशेषता है । शैली अपने अंतिम चरण मे कांगड़ा शैली के रूप मे दिखाई देती है गुलेर को पहाड़ी कला का जन्म स्थान माना जाता है कांगड़ा शैली गुलेर शैली का विकसित रूप मानी जाती है
गुलेर शैली के प्रसिद्ध चित्रकार नैनसुख जम्मू से गुलेर आए थे ।
- पहाड़ी शैली की एकमात्र ऐसी शैली है जिसमे मुगलो का भी संरक्षण प्राप्त था ।
- मुगल शासक शहजनहा व औरंगजेब ने गुलेर के शासक मान सिंह को अफगान चिता की उपाधि दी ओर मानसिंह के बाद ही गुलेर शासक अपने नाम के पीछे चंद के स्थान पर सिंह लगाने लगे थे ।
- राजा विक्रम सिंह राज्य की ताकत की ओर मजबूत किया ओर मुगलो से संबंध बनाए रखे ।
- ‘राजा विक्रमसिंह हाथी पर बैठे हुए ‘ मुगल चितेरे द्वारा चित्रित किया गया है ।
- गुलेर को प्रोत्साहन देने वालों मे सर्वप्रथम शासक रूपचन्द्र थे ।
- राजा गोवर्धन सिंह के काल मे मुगल दरबार से भागे अनेक चितेरों ने गुलेर शैली मे राज्यश्रय लिया गुलेर शैली मे मिले प्रकृति सौंदर्य को गुलेर चितेरे ने नीरव वातावरन को चित्रकृतिया मे उकेरा
- गुलेर शैली को सर्वाधिक प्रोत्साहन गोवर्धन सिंह ने दिया ।
- राजा गोवर्धन सिंह के काल मे गुलेर चित्रशैली मे गुलाबी योवन काल उभरकर आया ।
- गोवर्धन सिंह के काल का सबसे उत्कृष्ट चित्र ‘गोवर्धन सिंह अपने बेटे प्रकाश चन्द्र के साथ हुक्का पीते हुए ‘ ये चित्र चित्रकार नैनसुख ने 1750 मे बनाया ।
- गुलेर शैली आरंभिक चित्रकार पंडित सेओ थे ओर उनके उनके दो पुत्र मानकु ओर नैनसुख थे
- नैनसुख गुलेर शैली के प्रमुख चित्रकार थे जो जम्मू से गुलेर आए थे । मानकु बसोहली शैली के चित्रकार थे
- सर्वाधिक प्रोत्साहन या उत्कृष्टता पर पहुचाने वाले प्रमुख चितेरे नैनसुख व मुगलचितेरे ने दिया ।
- दलपत सिंह गुलेर मे इनके काल के बने 14 चित्र जो रामायण पर आधारित है ।
- गुलेर से बी एन गोस्वामी ने एक रेखाचित्र प्राप्त किया है जिसमे एक 15 भुजा वाली देवी जिसमे मश्तक ओर गुलेर लिखा हुआ है ।
बी एन गोस्वामी के अनुसार गुलेर के चित्रकारो की जानकारी हरिद्वार से प्राप्त पंडितो की बहियो से चित्रकारों की वंशज परंपरा का सर्वप्रथम ज्ञानप्राप्त हुआ इन कलाकारो के वंशज गोलेरदावासी कहा गया है ।
गुलेर शैली के चित्रकार
गुलेर शैली की विशेषताए
- गुलेर शैली मे धार्मिक चित्र गीत गोविंद ,रामायण ,महाभारत ,कृष्ण चरित । दरबारी चित्रो मे राजदरबार ,घुड़सवारी , नृत्य आदि ।
- सजीवता वाले व्यक्ति चित्र भी गुलेर शैली मे प्राप्त होते है ।
- चौकलेटी -बादामी रंगो की प्रष्ठभूमि बनाई गई ।
- चित्रो मे लाल व हरे रंगो का प्रयोग सर्वाधिक किया गया ।
- प्रष्टभूमि मे केले के वृक्षो व सरो के वृक्ष का भी अंकन है ।
- छोटी -छोटी गोल पहाड़ियो का चित्रण किया गया है ।
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