बंगाल शैली अवनीन्द्रनाथ टैगोर
बंगाल शैली का प्रारम्भ तब हुआ जब मुगल व राजस्थानी कला का पूर्णता अंत हो चुका था, ओर राजा रवि वर्मा यूरोपियन तकनीक मे काल कर रहे थे ।
बंगाल शैली ने प्रेरणा स्त्रोत शैली अजंता शैली ,मुगल शैली राजपूत शैली से ली गई ।
बंगाल शैली मे कई विषयो पर आधारित चित्र बने है । चित्रित विषय – प्राचीन कथाओ ,धार्मिक कथाओ ,ऐतिहासिक प्रसंग साहित्यिक ग्रंथ ।
कोमल व गतिपूर्ण रेखाए है ।
कल्पना किओ अधिक महत्व दिया गया है । जो यथार्थ से दूर ले गया ।
बंगाल शैली मे रेखांकन व स्केचिंग पर बल दिया गया है । लय प्राप्ति लेने के लिए ।
अवनी बाबू की कला पर वेस्टर्न आर्ट , ईरानी चाइनीज ,जैपनीज़,मुगल ,अजंता शैली का प्रभाव था ।
इन्ही के सम्मिश्रण से ठाकुर शैली का निर्माण हुआ ।
अवनीन्द्र नाथ 1902 मे ओंकाकुरा जापानी दो चाइनीज ताइकोन ओर हिशीदा से जापानी कला सीखते है । इनकी शैली पर यूरोपीय प्रभाव पड़ा
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यूरोपियन कला के बढ़ते प्रभाव को देखकर अवनीन्द्र नाथ ठाकुर व ई0 वी0 हैवल ने मिलकर इसे रोकने के प्रयास से चीन ,जापान ,यूरोप व भारतीय चित्रकला से थोड़े -थोड़े अंश शामिल कर एक नदी शैली को जन्म दिया ।
यूरोपीय प्रभाव हजारो वर्षो से चली आ रही भारतीय परम्पराओ को कुचल कर अपना प्रभुत्व जमा रहा था ।
उसमे कला ही नहीं अपितु यह प्रभाव राजनीति ,समाज ,संस्कृति खानपान व शिक्षा के सभी क्षेत्र मे नजर आने लगा ।
अंग्रेजी शासन के समय 1854 मे कोलकाता आर्ट स्कूल की स्थापना हुई ओर उसके साठा ही भारत के सभी स्थानो मे कला विद्यालय खोले गए ओर पाश्चात्य कला का प्रचार प्रसार भली भांति होने लगा इन संस्थाओ मे लंदन की रॉयल अकादमी के अनुरूप ही शिक्षा दी जाती थी ।
19 वी शताब्दी के अंत मे ई0वी0 हैवल कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के पप्राचार्य नियुक्त हुए । अंग्रेज़ होते हुए भी भारतीय काला के मूल्यो को समझते थे ।
जब उन्होने भारतीय कला का ह्रास होते देखा तो भारतीय पारंपरिक चित्रकला के संरक्षण मे कलकत्ता कला विध्यालय मे पाश्चात्य शिक्षण पद्धति पर रोक लगाकर भारतीय चित्रकला का मार्ग दिखाया ।
सन 1905 मे अवनीन्द्रनाथ टैगोर का संपर्क दो जापानी कलाकारो ताइवान व हिशीदा से हुआ । इनसे प्रेरणा पाकर जापानी वाश तकनीक का ज्ञान प्राप्त किया ।
अवनीन्द्र नाथ टैगोर ने हैवल की प्रेरणा से यूरोपीय शैली का पूर्ण रूप से त्याग कर नई स्वदेशी शैली बंगाल शैली विकसित की ।
बंगाल शैली मे तीन तत्व समाहित थे , जापानी वाश ,भारतीय विषय ,यूरोपीय प्रभाव । इसमे भारतीय विषय पर अधिक बल दिया गया ।
इस बंगाल आंदोलन के सहयोगी चित्रकाअव र नंदलाल बसु,असित कुमार हल्दर ,शैलेंद्रनाथ डे , देवी प्रसाद राय चौधरी ,क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार , के0 वेंकटप्पा ,मुकुल चन्द्र डे ,सुधीर रंजन आदि ।
बंगाल शैली की प्रमुख विशेषता वाश पद्धति थी ।
इसमे जलरंगों का वाश एवं टेम्परा माध्यम का प्रयोग किया गया है ।
बंगाल शैली को सहयोग प्रदान करने मे दो संस्था थी ।
1 इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट 1907
2 इंडियन सोसाइटी ऑफ आर्ट लंदन ।
इंडियन सोसाइटी ऑफ आर्ट ओरियंटल आर्ट की स्थापना ई0 वी0 हैवल की सहायता से गगेन्द्र नाथ ने 1907 मे की थी व पहले अध्यक्ष लार्ड किचनर थे इसमे कुल 35 सदस्य थे जिसमे 5 भारतीय सदस्य थे 30 अंग्रेजी सदस्य थे
रूपम पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया तथा 1919 मे संपादक ओ0सी0 गांगुली थे ।
- बंगाल शैली कहाँ विकसित हुई ।
बंगाल राज्य मे
- बंगाल शैली का विकास हुआ ।
1905 ई0 से 1920 ई0 के मध्य
- ‘बंगाल चित्र शैली’ ने आधारशिला रखी
आधुनिक चित्रकला की
- ‘भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास’ आरंभ होता है ।
बंगाल शैली से ।
- भारतीय चित्रकला के पुनर्जागरण का श्रेय किसे जाता है ।
बंगाल शैली
- भारत मे प्रथम आधुनिक कला आंदोलन ‘बंगाल स्कूल’ का नेत्रत्व किसने किया ।
अवनींद्रनाथ टैगोर
- बंगाल मे एक नवीन कला आंदोलन किसके सहयोग से आरंभ हुआ ।
अवनींद्रनाथ टैगोर
- बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक थे ।
अवनींद्रनाथ टैगोर
- बंगाल कला स्कूल के अग्रणी कौन थे ।
अवनींद्रनाथ टैगोर
- ‘बंगाल कला शैली ‘ किस तकनीक से जानी जाती है ।
वॉश पद्धति
- भारत मे ‘वॉश चित्रण’ पद्धति कहाँ से आई ।
जापान से
- वॉश तकनीक की रेखाए भारतीय कलाओ से प्रेरित है ,लेकिन तकनीक
चीनी –जापानी है
- ‘वॉश चित्रण’ पद्धति के जन्मदाता कौन थे
अवनींद्रनाथ टैगोर
- ‘पुनर्जागृति आंदोलन’ क्या था ।
पाश्चात्य प्रभावों को नकार कर भारतीय परंपरागत मूल्यो को पुनः स्थापित करना ।
- ‘अर्नेस्ट बिनफील्ड हैवेल’ (ई0वी0 हैवेल) कौन थे ।
कलकत्ता कला स्कूल के प्रिन्सिपल
- ‘आनंद केंटीस कुमारस्वामी’ का जन्म श्री लंका के ‘कोलंबो’ मे हुआ था , इनकी मृत्यु कहाँ हुई थी ।
मेसाचुयेट (यू0एस0ए0)
- कलाकार, लेखक ओर रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट लंदन से संबंध रखने वाले ‘विलियम रोथेंस्टीन’ किसके मित्र थे ।
अवनींद्रनाथ टैगोर
- ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट’ की स्थापना कब हुई थी ।
27 अप्रैल , 1907 मे
- ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट’ की प्रथम प्रदर्शिनी कब आयोजित हुई थी ।
29 जनवरी 1908 ई0 को गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट कोलकाता के प्रांगण मे ।
- ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट’ के प्रथम अध्यक्ष कौन थे ।
लार्ड किचनर
- ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट’ मे कितने सदस्य थे ।
कुल 35 (30 अंग्रेज़ तथा 5 भारतीय )
- 1913 ई0 मे आनंद केंटीस कुमारस्वामी की कौनसी पुस्तक प्रकाशित हुई ।
कला एवं स्वदेशी
- ‘बंगाल शैली’ का दूसरा नाम था ।
ठाकुर शैली
- उन्नीसवी शताब्दी मे भारत मे कला विध्यालय किसने स्थापित किए ।
ब्रिटिश शासको ने ।
- ‘हिशीदा’ कौन था ।
जापानी चित्रकार
- ‘ओंकाकुरा’ जापान से भारत कब आया ।
1902 ई0 मे
- ‘ओंकाकुरा की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम क्या है ।
आइडियल्स ऑफ द ईस्ट
- ‘रूपम’ नामक कला पत्रिका का प्रकाशन 1919 ई0 मे कलकत्ता से किसने आरंभ किया ।
ओ0सी0 गांगुली
- 1954 ई0 मे ‘राजेंद्र लाल मिश्र ’ तथा ‘यतीन्द्र मोहन’ ने किस संस्था की स्थापना की ।
उधोग कला संस्थान
अवनीन्द्र नाथ टैगोर
इनका जन्म 7 अगस्त 1871 को बंगाल के जोरासाको गाँव मे हुआ था ।
मृत्यु 5 सितंबर 1951 (80 ) वर्ष मे हुई थी ।,
अवनीन्द्र नाथ को बचपन से ही कला मे काफी रुचि थी ,ये पैन स्याही से स्केच बना लेते थे ।
पेस्टल रंगो द्वारा तैल रंग का प्रभाव दर्शाने की कला इतालवी कलाकार गिलहार्डी से सीखी ।
ब्रिटिश के कलाकार चार्ल्स पार्मर से रेखाचित्र बनाने का प्रशिक्षण लिया ।
इनकी शुरुआती शिक्षा संस्कृत भाषा मे ली थी ओर फारसी भाषा मे भी शिक्षा ली थी ।
शुरुआती चित्र यूरोपीय शैली ओर बाद मे मुगल शैली मे आते है ।
अवनीन्द्र नाथ को बंगाल शैली का जन्मदाता भी कहा जाता है ।
अवनीन्द्र नाथ ठाकुर के चाचा रवीन्द्रनाथ टैगोर थे ।
बंगाल शैली यूरोपीय शैली +मुगल शैली का ही मिश्रण है ।
रवीन्द्रनाथ के कहने पर ही इन्होने चंडीदास ओर विध्यापीठ वैष्णो पदावली उस पर चित्र बनाया था।
1895 ई0 तक इन्होने यूरोपीय शैली मे कार्य किया बाद मे मुगल शैली के लघु चित्रो को आधार बनाया जो 1895 से 1900 के बीच बने चित्रो पर स्पष्ट दिखाई पड़ता है ।
1896 मे कलकत्ता विध्यालय मे ई0 वी0 हैवल से मिलते है । यही पर इटेलियन चित्रकार गिल्हार्डी को अपना गुरु बनाया था ।
इनके अधिकांश चित्र पेस्टल माध्यम मे बने थे इस समय के 1902 ई0 मे प्रसिद्ध जापानी चित्रकार मर्मम काउंट ओंकाकुरा इनके घर आए ओर बाद मे ओंकाकुरा ने इसके पास जापान से तीन चित्रकार 1 कामपागया 2 ताइकोन 3 हिशीदा को भेजते है इनमे से ताइकोन ओर हिशीदा इनके साथ दो साल तक रहे ।
1898 से 1905 तक कलकत्ता कला स्कूल के उप प्रधानाचार्य तथा 1905 से 1915 तक प्रधानाचार्य रहे ।
1919 ,ए विचित्र क्लब की स्थापना की ।
कलकत्ता कला स्कूल मे ललित कला के बागेश्वरी प्रोफेसर के पद पर कार्य किया ।
1941 ई0 रवीन्द्र नाथ का महाप्रयाण – चित्रण करने के बाद अपनी तूलिका त्याग दी थी ।
अनुपयोगी वस्तुओ से अलंकृत व कलाकार छीजे बनाई – मुखोटा , खिलौने , पेड़ो के जड़ो द्वारा उभारी गई आकृति आदि ।
कलाकार ,लेखक ,आदर्श शिक्षक ,कला समालोचक
अवनीन्द्र नाथ ने लगभग 20 पुस्तके लिखी ।
अवनीन्द्र नाथ प्रारम्भ मे यूरोपीय शैली मे काम करते थे । 1895 ई0 तक बाद मे भारतीय शैली मे चित्र बनाने लग गए थे ।
पूर्णतया भारतीय शैली मे बना उनका प्रथम चित्र शुक्ला भिसार हिय ।
इनहोने जापानी कलाकार याकोहामा , ताइकोन , हिशीदा से जापानी कला पद्धति सीखी ।
अवनीन्द्र नाथ ने अजंता ,बाघ ,एलोरा गुफाओ की यात्रा की ओर उनके चित्रो की अनुकृतिया बनाई ।
1905 मे बंगाल विभाजन के विरुद्ध हुए आंदोलन से प्रेरित होकर भारत माता का चित्र बनाया था
अवनीन्द्र नाथ धरातल के लिए इंग्लैंड का बना कार्टिज पेपर का इस्तेमाल करते थे ।
बंगाली भाषा मे बच्चो के लिए पुस्तक लिखी जो 1 राजकुमारी 2 शकुंतला 3 भूपशरीर देश ।
अवनीन्द्र नाथ द्वारा बनाई गई चित्र शृंखलाए
बुद्ध चरित्र
कवि कंकज
उमर खय्याम
मेघदूत
कृष्ण चरित्र
चंडी
कृष्ण मंगल
चित्रांगदा
अवनीन्द्र नाथ के प्रमुख शिष्य –
नंदलाल बसु
क्षितीन्द्र नाथ
वेंकटप्पा
देवी प्रसाद राय चौधरी
मुकुल डे
मनीषी डे
शारदा शरण उकील
शैलेंद्र नाथ
समरेन्द्र नाथ
सुधीर रंजन
असित कुमार हल्दर
इनकी शिष्या का नाम रानी चन्दा था ।
- ‘अवनींद्रनाथ टैगोर’ का विवाह किससे हुआ था ।
सुहासिनी देवी
- कलकत्ता कला विध्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य कौन थे ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ द्वारा रचित ग्रंथ है ।
शंकुंतला (1895 )
भारत शिल्प परिचय (1909ई0)
षडंग (1914 ई0)
बंगलार वृत्त (1919 ई0)
- ‘भारतीय शिल्प षडंग’ के लेखक है ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- ‘औरंगजेब की वृद्धावस्था’ के चित्र सुरक्षित रखे गए है ।
राज्य पुस्तकालय रामपुर (उ0प्र0)
- ‘कमल पत्र पर अश्रुपात’ (कागज पर जलरंग, संग्रह :भारतीय संग्रहालय कोलकाता )किसका चित्र है ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- ‘’भारत माता’’ तथा ‘सांध्यदीप’ किस टेक्निक मे बनाए ।
जापानी –वॉश
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ का प्रसिद्ध चित्र ‘नटिर पूजा–नटी विद इकतारा (पेस्टल) कहाँ सुरक्षित है ।
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय , नई दिल्ली
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ द्वारा बनाई गई काटुम –कुटुम की काष्ठ निर्मित कृति ‘उल्लू’ (10*7*6 सेमी ) कहाँ सुरक्षित है ।
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (नई दिल्ली )
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ की काटुम-कुटुम की काष्ठ मूर्तिया- ‘पक्षी के साथ आत्म चित्र’ ‘तूफान मे पक्षी’ , ‘पात्र इत्यादि कहाँ सुरक्षित है ।
राष्ट्रीय आधुनीक कला संग्रहालय , नई दिल्ली मे
- ‘पेरिस’ मे 8 फरवरी, 1914 ई0 को ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ आर्ट’ द्वारा आयोजित एक बड़ी प्रदर्शिनी मे अवनींद्रनाथ के किन दो जलरंग चित्रो ने लोगो का ध्यान खास आकर्षित किया ।
‘मंदिर के शिखर पर एक गिद्ध’ , ‘यात्रा का अंत’
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ की आत्मकथा का क्या नाम था ।
जोडासाकोर धारे
- चंडीदास ओर विध्यापति पर आधारित चित्रण किसने किया था ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- बंगाल शैली मे बना प्रथम चित्र कौनसा है ।
शुक्ला भिसारे
- गिल्हार्डी ,चार्ल्स पामर, ई0वी0 हैवेल ,ओंकाकुरा किसके गुरु थे ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ ने रवीन्द्रनाथ की किस पुस्तक के लिए 32 रेखा चित्र बनाए ।
चित्रांगदा
- बच्चो के लिए किसने ‘अबन ठाकुर’ नामक पुस्तक लिखी ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- ‘द इंटरोडक्शन टू इंडियन आर्टिस्ट एनाटौमी ’ किसकी प्रसिद्ध पुस्तक है ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ ने कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट मे किसका भित्ति चित्र बनाया था ।
कचदेवयानी
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ ने उमर ख्य्याम चित्र शृंखला कब बनाया था ।
1905 -1907 ई0
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ ने महाप्रयाण (लास्टजर्नी) चित्र कब बनाया था ।
सन 1941 ई0 मे ।
- मुगल सिद्ध कलाकार किसे माना जाता है ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- सन 1941 ई0 मे रवीन्द्रनाथ के ‘महाप्रयाण’ (अन्त्येष्टि क्रिया का दृश्य ) शीर्षक चित्र को बनाने के बाद किसने अपने ब्रश (तूलिका ) को त्याग दिया ।
अवनींद्रनाथ टैगोर’
- अवनींद्रनाथ टैगोर’ ने बच्चो के लिए बंगाली भाषा मे कौन सी पुस्तके लिखे थे ।
राजकहानी /शकुंतला
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