बादामी गुफा ( चालुक्य काल ) 650-1000 ई. tgt,pgt, upsc exam के लिए महत्वपूर्ण जानकारी 2023 अपडेट

आएये  जानते है बादामी गुफा के रोचक तथ्य  जो हजारो वर्ष पुराने इतिहास का छुपा हुआ ज्ञान है

बादामी गुफा कहाँ स्थित है ?

 स्थिति –  बादामी  की गुफा  बीजापुर  के अंतर्गत  आइहोल के निकट  कर्नाटक मे स्थित है  आज  वात्यापिपुरम  नामक स्थान का आधुनिक नाम बादामी है

 बादामी की गुफाये  वर्तमान कर्नाटक के उत्तरी  हिस्से के बागलकोट  जिले  के शहर बादामी  मे स्थित  है | गुफाओ  को भारतीय   रॉक -कट  वास्तुकला  का एक उदाहरण  माना जाता है, ये गुफाये लाल  बलुआ पत्थर शैलक्रट चट्टानों को काटकर  बनाई गई है |

बादामी चालुक्य वास्तुकला शैली  है | ( कृष्णा नदी के तट पर ) जो 6 वीं शताब्दी की है ।

चालुक्य काल की गुफा  मानी जाती  है

 

 बादामी गुफा की खोज ?

खोज — 1935 मे स्टेला क्रेमरिश  ने की थी  जो एक इतिहास कार थी

 

एतिहासिक  भूमिका –

वाकाटक  शासको  के पश्चात  दक्षिण  मे  शक्तिशाली  चालुक्य  वंश  ( छठी  से  आठवि  शताब्दी  ई .  का  उदय हुआ | चालुक्य  वंश  मे  पुलकेशियन  प्रथम  (533-566 ई॰ )  इसके पुत्र  कीर्तिवर्मन  (566-597) ई॰  ओर कीर्तिवर्मन  का पुत्र  पुलकेशियन  द्वितीय  प्रतापी  राजा  हुए | कीर्तिवर्मन  के मरणोपरांत  उसके  छोटे  भाई मंगलेश चालुक्य साम्राज्य  का शासक  बना  ओर  उसने ‘वात्यापिपुरम ‘ को अपनी राजधानी  बनाया ।  कलाओ का  महान संरक्षक  होने  की वजह से  उसके  राज्य  काल मे  महाबलीपुरम , काँचीपुरम तथा बादामी की चौथी गुफा  बनकर तैयार  हुए यह गुफा  वास्तुकारी शिल्पसज्जा  (मुख्यमंडप ) की दृष्टि से  श्रेष्ठ  मानी जाती है |

इस गुफा मे  ‘मंगलेश ‘ के शासन  काल के बारहवे  वर्ष का  लेख प्राप्त  हुआ है, जिसका  समय 579 ई .  है | इसके आधार पर इस गुफा  का समय 579 ई . माना गया है

समय 578-579 (बादामी गुफा )

पुलकेशियन  द्वितीय  का शासन  (608-642)

 

बादामी मे कुल कितनी गुफाये है ?

कुल गुफाये – 4

गुफा  1 ( शैव धर्म ) , शिव को मानने  वाले  इसमे नटराज शिव की प्रतिमा है

गुफा 2,3  ( वैषणों  धर्म ) विष्णु को मानने वाले  इसमे दूसरी गुफा मे  वराह की प्रतिमा है

   गुफा 3 मे भगवान विष्णु की  बैठे हुए प्रतिमा  स्थापित  है

 

गुफा 4 ( जैन धर्म )

 गुफा 3 मे सर्वाधिक  चित्रित  एव  बड़ी है

 गुफा  2 सबसे छोटी है

गुफा 4 से प्राप्त  दृश्य –

  पहला  दृश्य

  शिव  विवाह से संबन्धित  है , साथ  मे समूह चँवर  लिए हुए अंकित किया गया है ।

 दूसरा दृश्य

 राजमहल से संबन्धित  है  इसमे  राजसी युगल  अंकित  किया गया है ।

तीसरा दृश्य

 युगल  विध्यधार  बादल मे उड़ने  का दृश्य  है , दोनों ने एक  दूसरे  का हाथ पकड़  रखा ।  दोनों ने सिर पर मुकुट  धरण किया है। ( आकाशधारी विध्यधर ), एक स्थान  पर  स्तम्भ  के सहारे  खड़ी विरहिणी रमणी  का चित्र अंकित  है, जो किसी की याद  मे लीन है, ऐसा  लगता है उसकी  आँको मे वेदना  का गहरा  ज्वर  भरा हुआ है।

 इस गुफा  मे सुंदर  युगल आकृतीय  अंकित की गई  है , विध्यधार कर्ण कुंडल  पहने हुए  है जबकि  विध्यधार  के कानो  मे कुंडल नहीं है , विध्याधरी  को वीणा  बजाते  हुए दर्शाया गया है ।

 बादामी गुफा की प्रतिलिपि किसने तैयार की थी ?

J ॰L ॰ अहिवासी  ने इसकी  प्रतिलिपि तैयार की थी |

इन गुफाओ के  रंगीन  चित्र  कार्ल खंडेलवाल ने 1938  मे अपनी पुस्तक  ‘इंडियन  स्काल्पचर एंड पेंटिंग’ मे प्रकाशित  किया ।

बादामी गुफा मे राजाओ  को इष्टदेव तथा अन्य  देवताओ के साथ चित्रित करने की परंपरा बादामी गुफा से आरंभ  हुए है

 

बादामी गुफा के  चित्र —

1  शिव विवाह  के कई प्रसंग

2   18 भुजी  शिव का चित्र

3    कीर्तिवर्मा  को परिचारको  के साथ दिखाया  गया  है |

4      वराह की प्रतिमा

5      इंद्रा सभा  मे  गायन वादन  का चित्र

6      विरहिणी  रमणी ( भावोत्पन्न  के लिए प्रसिद्ध )

7     तीन जैन तीर्थंकर

 

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