बी0सी0 सान्याल B.C. Sanyaal
बी0सी0 सान्याल (भावेश चंद सान्याल)
बी0सी0 सान्याल का जन्म 22 अप्रैल , 1901 ई0 को धुबरी ,असम मे हुआ था ।
बी0सी0 सान्याल को ‘कला का सम्राट’ कहा जाता है ।
बी0सी0 सान्याल ने अपने जीवन के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप को तीन बार , 1905,1947 व 1971 मे विभाजित होते देखा ।
बी0सी0 सान्याल ने कला की शिक्षा गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट , कलकत्ता मे पर्सि ब्राउन व जे0पी0 गांगुली के निर्देशन मे ।
1929 ई0 मे लाहौर मे लाला लाजपत राय की आवक्ष प्रतिमा (बस्ट साइज मूर्ति) बी0सी0 सान्याल ने बनाई थी ।
भारत विभाजन के पश्चात सान्याल अपनी पत्नी ‘स्नेहलता सान्याल’ (गजल गायिका व रंगकर्मी ) व अपनी पुत्री ‘अम्बा सान्याल’ (प्रसिद्ध कॉस्टयूम डिजाइनर जिन्हे 2008 मे संगीत नाटक अकादमी का अवार्ड रंगमंच सज्जा के लिए दिया गया था ) के साथ दिल्ली गए थे ।
सान्याल ने अपना स्टुडियो नई दिल्ली स्थित गोल मार्केट मे खोला था ।
नई दिल्ली मे ‘गैलरी –26’ की स्थापना बी0सी0 सान्याल ने की थी ।
25 मार्च, 1949 ई0 को नई दिल्ली मे ‘दिल्ली शिल्पी चक्र’ की स्थापना बी0सी0 सान्याल ने की थी ।
बी0सी0 सान्याल को ‘पदमभूषण’ से 1984 ई0 मे सम्मानित किया था ।
दृश्य कला मे भारत का सर्वोच्च पुरुस्कार ‘ललित कला अकादमी फैलोशिप फॉर लाइफटाइम’ बी0सी0 सान्याल को सन 1980 ई0 मे दिया गया ।
1997 ई0 मे बनी फिल्म ‘डांस ऑफ द विंड’ मे बी0सी0 सान्याल कलाकार ने अभिनय किया था ।
1998 ई0 मे बी0सी0 सान्याल की आत्मकथा ‘द वरटिकल वुमेन’ (उनकी एक प्रसिद्ध कृति के नाम पर ) ललित कला अकादमी नई दिल्ली मे प्रकाशित किया गया था ।
22 अप्रैल, 2001 को बी0सी0 सान्याल की 100 वीं जयंती पर ‘आइफेक्स’ ने कला सम्राट के नाम से एक विशिष्ट सम्मान शुरू किया जिसकी राशि 1 लाख 10 हजार रुपये की है ।
बी0सी0 सान्याल का निधन 9 अगस्त 2003 को 102 वर्ष की उम्र मे दिल्ली मे हुआ था । बी0सी0 सान्याल चित्रकार तत्पश्चात मूर्तिकार थे ।
‘शिव की मुखाकृति’ (फेस ऑफ शिवा ) बी0सी0 सान्याल का प्रसिद्ध चित्र है ।
‘बी0सी0 सान्याल’ की प्रसिद्ध प्रस्तर मूर्ति ‘द वरटिकल वुमेन’ (1966-67)ई 0 मे गवर्नमेंट म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी, चंडीगढ़ मे सुरक्षित है ।
‘डायलोग’ (कैनवास पर तैल, संग्रह : गवर्नमेंट म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी, चंडीगढ़ ) बी0सी0 सान्याल का चित्र है ।
बी0सी0 सान्याल का चित्र ‘निज़ामुद्दीन के मेले मे ‘ (1950 कैनवास पर तैल रंग ) राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली मे सुरक्षित है ।
भारत विभाजन के पश्चात पाकिस्तान से भागकर दिल्ली आए कलाकारो ने नई दिल्ली मे शिल्पी चक्र की स्थापना की।
बी0सी0 सान्याल को साहित्य कला परिषद दिल्ली द्वारा शील्ड सम्मान मिला था ।
बी0सी0 सान्याल को शताब्दी पुरुष उपनाम ने से जाना जाता है ।
‘शिल्पी चक्र’ की स्थापना 25 मार्च 1949 ई0 को नई दिल्ली मे हुई थी ।
‘शिल्पी चक्र’ की स्थापना बी0सी0 सान्याल ने की थी ।
शिल्पी चक्र नई दिल्ली का सूत्रपात यामिनी राय ने किया था ।
शिल्पी चक्र के अध्यक्ष कृष्ण शाम राव कुलकर्णी थे ।
शिल्पी चक्र के अन्य सदस्यो के नाम –
- यामिनी राय
- धनराज भगत
- प्राणनाथ मागो
- कंवल कृष्ण
- के0एस0 कुलकर्णी
- देवयानी कृष्ण (कंवल कृष्ण की पत्नी)
- जया अप्पा स्वामी
- राम कुमार
- सतीश गुजराल
- रामेश्वर ब्रूटा
शिल्पी चक्र की प्रथम प्रदर्शिनी 1949 ई0 मे जनपथ मार्ग, नई दिल्ली मे आयोजित की गई ।
शिल्पी चक्र के सदस्य के0एस0कुलकर्णी के ऊपर अभिव्यंजनवाद तथा ‘प्रभाववाद’ का प्रभाव रहा ।
शिल्पी चक्र के सदस्य धनराज भगत ने मूर्तिकला की परंपरा मे परिवर्तन का सूत्रपात किया था ।
शिल्पी चक्र के सदस्य जया अप्पा स्वामी ने विशाल भू-अंचल ओर उसमे फैली पर्वत शृंखला का चित्रण किया ।
रामकुमार शिल्पी चक्र का वह सदस्य था जो दृश्य –चित्रकार था।
शिल्पी चक्र का सदस्य कृष्ण खन्ना ग्राफ़िककार था ।
बी0सी0 सान्याल मेयो कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स लाहौर मे प्राचार्य के पद पर रहे थे ।
बी0सी0 सान्याल का चित्रण माध्यम तैलरंग व जलरंग था ।
बी0सी0 सान्याल को नेपाल सरकार ने कला सलाहकार सन 1955 ई0 मे बनाया गया था ।
‘बी0सी0 सान्याल’ के प्रसिद्ध चित्र –
- द फ्लाइंग बिजूका
- चरवाहा
- निराशा ओर शांति का मार्ग
- गोल मार्केट के भिखारी
- कलकत्ता की सड़क पर विश्राम करता सपेरा
- निज़ामुद्दीन के मेले मे
- गुमशुदा लड़की
- राजस्थान की महिला
- तीन महिलाए
- केश संवारती
- द वरटिकल वुमेन
- कपोत के साथ महिला
- शिव मुखाकृति
- हुमायु का मकबरा
- बाल वधू
- धौलाधर पर्वत शृंखला
- पर्दे से ढकी नारी
- माँ व बच्चा
- हार्स एंड क्रो
- उखड़े हुए
- मेरे पड़ौसी भिखारी
- आश्रयहीन लड्की