मारवाड़ शैली

मारवाड़ शैली

मारवाड़ शैली की उपशैली

1 जोधपुर

2 बीकानेर

3 नागौर

4 किशनगढ़

5 अजमेर

  •  मारवाड़ शैली को ही जोधपुर शैली कहते है मारवाड़ की राजधानी जोधपुर रही थी ।
  •  मारवाड़ को अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे – मरुभूमि मरुस्थली ,मरूमण्डलमरुवन ।
  •  मारवाड़ शैली की  स्थापना 1458 मे  राव जोधाजी जी द्वारा इनहि की नाम पर जोधपुर नाम पड़ा ।
  •  जोधपुर शैली  के विकास का श्रेय – राजा मालदेव को कहा जाता है ।
  • जोधपुर मे सूर सिंह के समय ढोलामारू  प्रमुख चित्रित ग्रंथ है ।
  • मारवाड़  शैली को मुगलो की प्रांतीय शैली कहा जाता है ।
  • इस चित्रो मे शीर्षक नागरी लिपि व गुजराती भाषा मे लिखे गए है ।
  •  हमे कुँवर  संग्राम सिंह के काल मे सन 1623 मे चित्रित रागमाला के बारे मे जानकारी मिलती है जो मारवाड़ शैली की प्रथम उपलब्धि है ।
  •  महाराजा सुर सिंह के शासन काल मे ढोलामारू व भागवत ग्रंथ , रसिक प्रिय चित्रित किए गए है ।
  •  महाराज जसवंत सिंह प्रथम विद्वान कला प्रेमी शासक थे ।
  • इनके काल मे मारवाड़ कृष्ण भक्ति का केंद्र बन गया था ।
  •  इनके शासन काल मे कृष्ण व राधा से संबन्धित अनेकों चित्र बने तथा प्रमुख ग्रंथ जो प्रहलाद चरित्र , भागवत ,रागमाला , कृष्ण लीला ।
  •  महाराज अजित सिंह  के समय मारवाड  शैली  का स्वतंत्र रूप से उदय हुआ ।
  •  इनके समय के चित्र मारवाड़ चित्र  शैली  के सबसे सुंदर चित्र माने जाते है  इनका  प्रिय विषय श्रंगार था।
  •  राजा अजित सिंह आसन पर बैठे फूल सूंघ रहे है , अजित घोड़े पर सवार
  • महाराजा अभय सिंह  जी का नृत्य  देखते  हुए चित्र डालचन्द्र द्वारा चित्रित किया गया है ।
  •  इनके विषय  कृष्ण का प्रेम प्रसंग ।
  •  महाराज भीम सिंह  के समय व्यक्ति चित्रण  दरबार एवं जुलूस से संबन्धित चित्र सर्वाधिक बने ।
  • इनके समय 1803 ई0 मे चित्रित दशहरा दरबार  जोधपुर चित्र शैली का सुंदरतम उदाहरण है
  • महाराजा मान सिंह  स्वंय   महान कला प्रेमी थे ।
  •  मारवाड़ शैली मे नाथ संप्रदाय को सर्वाधिक प्रोत्साहन दिया ।
  •  नाथ संप्रदाय से संबन्धित मारवाड़ मे जोधपुर के किसी नाथ मठ से 63 ग्रंथ चित्र मिले है ।
  • मान सिंह के साथ शिवदास द्वारा स्त्री हुक्का पीते हुए दिखाया गया है ।

 

जोधपुर शैली के प्रमुख चित्रकार

1 अमरदास

2 रामसिंह

3 छज्जू भाटी

4 डालचंद

5 दानाभाटी

6 माधोदास

7 शिवदास

8 फतह मोहम्मद

9 गोपी कुमार

जोधपुर् शैली  के  प्रमुख चित्र

1 गुणकली रागिनी

2 ढोलामारू 1880  राष्ट्रीय संग्रहालय  नई दिल्ली  ढोला राजकुमार  , मारू , राजकुमारी  जो की ऊंट पर बैठे दिखाया गया है ।

3 केश संवारती नायिका

4  काँटा निकालते हुए

5 दशहरा दरबार

6 गुजरी  रागिनी

7  स्त्री  हुक्का पीते हुए (शिवदास भाटी )

8 संगीत का आनंद लेते हुए

9 झूला झूलते हुए

10 कबूतर उड़ाती स्त्रियाँ

11 पाबूजी ओर हबड़ू  जी का फड़ चित्र

12  प्रहलाद चरित्र

 

 जोधपुर शैली की विशेषताए

  •  पुरुष आकृति की अरुणाभ बड़ी आंखे , कान  तक खींची हुई बड़ी मुछे , घनी दाड़ी
  •  पंगड़िया  शिखरकार  अलंकृत बनाई  गई ।
  • चित्रो मे मेवाड़ शैली की तरह लाल पीले रंग की अधीकता
  •  जोधपुर शैली मे पक्षी अधिक चित्रण खंजन का हुआ  ।
  • जोधपुर शैली मे पशुओ मे अधिक चित्रण ऊँट का हुआ है ।
  •  तथा घोडा , हिरण , श्वान
  •  वृक्ष् मे अधिक  चित्रण  – आम का है
  •  बादलो को गहरे रंग मे गोलाकार कुंडलीकृत  दिखाया गया है
  • स्त्रियो का मस्तक , माथा ,पेशानी  पीछे हल्का धंसा हुआ ओर कंही कंही  पर स्त्रियो को टोपी पहने दिखाया गया है ।

 

जोधपुर शैली के महत्वपूर्ण तथ्य

  •  इस मरुभूमि मे प्रथम चित्रित अवशेष ओधनिरयुक्तिवृति 1060  मे अपभ्रंश शैली मे चित्रित हुई थी ।
  •  मारवाड़ शैली का स्वतंत्र रूप से उदय महाराजा अजित सिंह  के राज्य से होता है ।
  •  चरमोत्कर्ष काल – महाराजा मानसिंह , ये स्वय कला  प्रेमी , विध्या व्यसनी एवं उच्च कोटी के शासक थे ।
  •  महाराजा मानसिंह ने ही कर्नल टाड को मारवाड़ का इतिहास लिखने मे मदद की ।
  •  राजा भीम सिंह के समय मे चित्र अधिक बने  व्यक्ति चित्र  , दरबार चित्र , जुलूस चित्र
  •  डिंगल भाषा का ग्रंथ  गुणभाषा हेम कवि द्वारा लिखा गया  तथा गुण रूपक केशवदास गाढ़ डे द्वारा लिखा गया है ।
  •  हाशिये पीले रंग के है ।

 

 बीकानेर शैली (उपशैली )

  •  बीकानेर नगर की स्थापना 1488 राव बीकाजी द्वारा इनहि के नाम पर इस  राज्य का नाम पड़ा ।
  •  इस राज्य  को उत्तर भारत काल मे जांगल देश भी कहा जाता था ।
  •  बीकनेर शैली मे सबसे  अधिक  मुस्लिम चित्रकार  थे ।
  •  इस क्षेत्र  का सर्वप्रथम  अनवेषन इटली के पुरात्तवेत्ता डोक्टर  एल0 सी0 टेसीटोरी द्वारा सन 1916-17  मे हुई
  • इसके बाद 1941 मे डॉ0 आरेल स्टेइन  तथा 1946 जर्मन कलाविद डॉ0 हरमन गोएट्ज ने इस क्षेत्र मे अनेक महत्वपूर्ण खोज की
  • जर्मन कालविद हरमन गोएट्ज  ने बीकानेर शैली के उद्गम व विकास से संबन्धित  अपनी पुस्तक आर्ट एण्ड आर्किटेक्ट  ऑफ बीकानेर लिखी । 
  • महाराजा सूरत सिंह ने शीशमहल ओर अनुपमहल  का निर्माण करवाया था ।
  • महाराजा डूंगर सिंह के काल मे मुगलिया  प्रभाव खत्म होकर यूरोपीय प्रभाव आ गया था ।
  •  मुगल शैली का सर्वाधिक प्रभाव बीकानेर शैली पर पड़ा ।
  • बीकानेर नरेश  राय सिंह  1574-1612 ई0  मुगल कलाकारो की दक्षता से प्रभावित होकर वे उनमे से कुछ को अपने साथ ले आए इनमे उसता अली रजा  व उस्ता हामिद रुकनूद्दीन थे  इन दोनों  कलाकारो की कला की कलाकृतियों से चित्रकारिता की बीकानेर शैली का उद्भव हुआ ।

 

बीकानेर शैली के प्रमुख चित्रकार

  1. रुकनूद्दीन (पिता )
  2. शाहा ऊद्दीन  (बेटा )
  3. बहा ऊद्दीन
  4. अलीरजा (पिता )
  5. हसन रजा (बेटा )
  6. ईशा
  7. हिशामुद्दीन
  8. अहमद उमरानी
  9. कासिम उमरानी
  10. उस्ताद कादिर
  11. मोहम्म्द उस्ताद
  12. मोहम्मद इब्राहू
  13. नाथु
  14. मुराद
  15. लुफा (अंतिम चित्रकार )

 

बीकानेर शैली के प्रमुख चित्र

1 गोवर्धन धारी कृष्ण – शाहा ऊद्दीन

2 फुलझड़ी  छोडती नारी -ईशा

3 पेड़ के नीचे  नारी  -मोहम्म्द उस्ताद

4 महिशासुर मर्दिनी -हसन रजा

5 स्त्री बच्चे से खेलते हुए

6 शृंगार

7 अनूप सिंह  का व्यक्ति चित्र

8  मरू ग्राम्य जीवन

9  राधा कृष्ण  का वर्षा  विहार

10 रूठी हुई राधिका – नुरूद्दीन रसिक प्रिया से लिया गया है ।

 

बीकानेर शैली की विशेषता

  •  अलीरजा ने बीकानेर मे लक्ष्मी नारायण मंदिर मे चित्रकारी की थी । यह कर्ण सिंह का दरबारी चित्रकार था ।
  • हिशामुद्दीन  ऊँट  की खाल पर सुराहीनुमा आकृतियो पर लाख के रंग की सजावट करने वाला प्रसिद्ध चित्रकार था ।
  •  कर्ण सिंह ने बीकानेर मे लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण  कराया था ।
  •  अनूप सिंह का समय बीकानेर शैली का चरमोत्कर्ष काल रहा है ।
  •  जंहागीर एवं शाहजनहा  के प्रभाव से बीकानेर शैली  मे सुनहरे रंग का प्रयोग  हुआ ।
  •  बीकानेर शैली जोधपुर , मुगल , दाखिनी  शैली का मिश्रण  है ।
  •  महाराजा  रतन सिंह  के समय मे बीकानेर मे चित्रकला की अपेक्षा भवन निर्माण की विशेष उन्नति हुई ।
  •  रसिक प्रिया , शिकार ,रागमाला के अधिक चित्र बने है ।
  • महाराज अनूप सिंह के काल मे विशुद्ध बीकानेर शैली के दर्शन होते है राजा अनूप सिंह का काल बीकानेर शैली  का स्वर्णयुग कहा जाता है ।

 

किशनगढ़ शैली

  •  किशनगढ़ राज्य  की स्थापना  मारवाड़ के राजा उदय सिंह के 8 वें पुत्र किशन सिंह ने 1609-11 मे की थी ।
  • किशनगढ़ शैली के चित्रो को प्रकाश मे लाने का श्रेय 1943 मे एरिक डिकेन्सन एवं फ़ैयाज़ अली  को जाता है ।
  • भारत सरकार ने  1973 0 मे बनी-ठनी पर डाक टिकट जारी किया था । 
  • इस शैली का प्रसिद्ध चित्र  बनी ठनी है जिसे एरिक डिकेन्सन ने भारत की मोनालिसा कहा है । 

 

 

किशनगढ़ शैली के प्रमुख चित्रकार

1 निहालचन्द्र

2 अमरचन्द्र

3 भवानीदास

4 सीताराम

5 नानकराम

6 सुरजमल

7 रामनाथ

8 जोशी सवाई राम

9 लाडलीदास

10 मेधराज

 

 

 

  • निहालचन्द्र  – जन्म 1708 मे हुआ
  • बनी -ठनी को मोनालिसा के समान माना है ।
  • निहालचन्द्र राजसिंह के दरबार मे आया था इसने भागवत पुराण का भी चित्रण 1737 मे किया
  •  अमरचन्द्र (निहालचन्द्र )के समकालीन था इसके चित्रो मे मुगल प्रभाव झलकता था ।
  • चाँदनी रात के गैवइए  प्रसिद्ध चित्र है ।
  •  भवानीदास ने बहुत से दरबारियों के चित्र बनाए है ।
  •  राजसिंह सावंत सिंह के पिता है ।

 

 

 

किशनगढ़ शैली के प्रमुख चित्र

1 बनी -ठनी  – का मूल नाम ज़रीना था  जिसको राधा के रूप मे दिखाया गया जो की राष्ट्रिय संग्रहालय नई दिल्ली मे स्थित है ।

2 चाँदनी रात के गवैये (अमरचन्द्र )

3  प्रेमी युगल

4 कृष्ण राधा को पुष्प  अर्पित करते हुए राष्ट्रिय संग्रहालय नई दिल्ली मे स्थित है

5 राधा कृष्ण का नोका विहार  (निहालचन्द्र ) राष्ट्रिय संग्रहालय नई दिल्ली मे स्थित है

6 राजकुमारी फुलझड़ी का आनंद लेते हुए  राष्ट्रिय संग्रहालय नई दिल्ली मे स्थित है

7 सांझी लीला

8 लाल बाजरा

9 रुक्मणी मंगल

10 प्रेमी युगल

11 कृष्ण गोपियो के साथ नृत्य करते हुए

12 कृष्ण  का राधा से प्रिय निवेदन

13 नेमीनाथ की बारात मे कृष्ण बलराम  राष्ट्रिय संग्रहालय नई दिल्ली मे स्थित है

 

किशनगढ़ शैली की  विशेषता

  •  किशनगढ़ शैली मे नेत्र खंजनाकार तथा भोंहे को धनुषाकार बनाया गया है ।
  • किशनगढ़ शैली के प्रमुख विशेषता नारी सौंदर्य है ।
  • स्त्री आकृतियो के मेहँदी लगे हाथ , महावरयुक्त पैर ओर मुकतायुक्त  नाथ बनाई गई है ।
  • श्वेत  संगमरमी वास्तु का अंकन किशनगढ़ शैली मे किया गया  है ।
  • गुलाबी  हरे रंग के हाशिये बनाए गए है ।
  • तैरते हुए सारस ओर फ़ोहारों को चित्रो मे दिखाया गया है ।
  • नौका विहार के दृश्यो को चित्रो मे दिखाया गया है । नौका प्राय लाल से चित्रित की गई है जो प्रेम के प्रतीक को दर्शाती है ।

 

 

किशनगढ़ शैली के महत्वपूर्ण तथ्य

किशनगढ़ शैली को उत्कृष्ट प्रदान करने का श्रेय तीन व्यक्तिओ को ही है ।

1 राजा सावंत सिंह

2 बनी -ठनी

3 निहालचन्द्र

 

 

राजा सावंत सिंह

 

  •  जन्म – 1699 मृत्यु 1764
  •  पिता का नाम -राज सिंह
  • गुरु – रणछोड़  दास
  •  शासनकाल  1718 -1764  तक
  •  उपनाम – नागरीदास
  • वेषणो धर्म का अनुयाई था ।
  •  यह फारसी  एवं संस्कृत  का विद्वान था ।
  • इन्होने 75 ग्रंथो की रचना की जिनका संकलन नागर समुच्चय नाम से जाना जाता है ।

 

 बनी ठनी  (ज़रीना )

  •  बनी – ठनी को दिल्ली के  अंतपुर से सावंत सिंह की विमाता  लाई थी
  •  बनी ठनी का मूल नाम ज़रीना था
  •  बनी ठनी रसिक प्रिया नाम से कविताए लिखती थी ।
  • बनी ठनी को राधा का प्रतिमान माना गया है ।
  • वृन्दावन मे बनी ठनी ओर सावंत सिंह दोनों की समाधि बनी है ।
  •  यह नाम  कृपाल सिंह शेखावत ने बनी ठनी  नाम दिया था ।
  •  राग -रागनियों का अंकन किशनगढ़  शैली मे नहीं हुआ है ।
  •  राजा सावंत सिंह के पिता राज  सिंह कला प्रेमी थे धर्म परायण  शासक थे इन्होने 33 ग्रंथो की रचना की निहालचन्द्र कलाकार  दिल्ली से इन्ही के काल मे आया था ।

 

 अजमेर शैली

  •  स्थापना  अजयपाल चौहान  ने की थी ।
  •  कर्नल टाड  ने अजमेर को राजस्थान की कुंजी कहा है ।
  • प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल पुष्कर अजमेर मे है ।
  • पुष्कर ब्रह्मा जी को समर्पित है । ख्वाजा मोइनूद्दीन चिश्ती दरगाह , अकबर मस्जिद भी है ।

 

अजमेर शैली के चित्रकार

1 हुस्ना (महिला )

2 साहिबा  (महिला )

3 चाँद  (राजा बाबू जी का छवि चित्र )

 

नागौर शैली

  •  नागौर शैली की स्थापना  सपालदक्ष  के चौहानो   ने की थी
  • नागौर शैली मे वृद्ध अवस्था के चित्रो को चित्रकारों ने बड़ी कुशलता के साथ चित्रित किया गया है ।
  •  यंहा पर शबीहों का निर्माण  बड़ी कुशलता से किया गया है ।
  • नागौर शैली मे बुझे हुए रंगो का प्रयोग हुआ है ।
  • स्वतंत्र रियासत की घोषणा मोहम्मद गजनवी ने की थी ।
  • नागौर मे 15 वीं शताब्दी मे पांडव चरित्र ग्रंथ का निर्माण हुआ ।

 

 

 

प्रसिद्ध चित्रकार

गंगा राम ।

नागौर शैली प्रमुख चित्र

 

ठाकुर इन्दर सिंह  (गंगाराम ने बनाया )

 

Leave a Comment