मुगलकालीन चित्रकला

मुगलकालीन चित्रकला

मुगल शैली

मुगलकालीन चित्रकला 1600-1800 तक

ईरानी +भारतीय शैली -मुगल शैली

मुगल काल के चित्रकार

  • बिहजाद , शाह मुजफ्फर
  • बाबर का काल 1526 से 1530 ई0
  • बाबर का जन्म  1482 फरगना काबुल मे हुआ था ।
  • पिता का नाम  उमरशेख मिर्जा था जो की तैमुर वंश का था ।
  • माता का नाम  कुतुल निगार खानम था जो की मंगोल वंश की थी ।
  • बाबर का पूरा नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था ।
  • बाबर ने अपनी पुस्तक मे अपनी आत्म कथा तुर्की भाषा मे तूज़ुक -ए-बाबरी नाम से लिखी थी इसमे बिहजाद ओर शाहमुजफ्फर नामसे चित्रकारों का भी उल्लेख किया है ।
  • मुगलो की दरबारी भाषा फारसी थी ।
  • भारत आते समय शाहनामा की संचित्र प्रति अपने साथ लाया था । ये asiayatic society london मे संगृहीत है ।
  • शाहनामा  पुस्तक फिरदौसी  ने लिखी इसमे ईरानी शासक का भी जिक्र है ।
  • बिहजाद आलेखक चित्रण का विशेषज्ञ था ।
  • शाहमुजफ्फर सादृश्यचित्रण का विशेषज्ञ था ।
  • बाबर द्वारा निर्मित स्थापत्य कला
  • कटे सिरो वाली मीनार  फ़तेहपुर सीकरी आगरा मे है
  • पानीपत व संभल की मस्जिद हरियाणा मे स्थित है ।
  • चौखण्डे बाग बगीचे भी बाबर ने बनवाए थे ।
  • बाबर ने भारत मे सर्वप्रथम चौखण्डे या ज्यामितीय आकार के बाग बगीचे की परंपरा शुरू की थी ।

 

हुमायूँ (1530 -40    1555 -56 )  शासन 

हुमायूँ का जन्म  1508 ई0 मे हुआ था ।

हुमायूँ 4 भाई थे

1 हुमायूँ

2  कामरान

3  अस्करी

4 हिंदाल

  • पत्नी – हमीदा बानो /हाजी बेगम
  • बहन – गुलबदन बेगम  सौतेली बहन
  • दिनपनाह  1556 भवन मे स्थित पुस्तकालय की सीडियाँ से गिरने के कारण हुमायूँ की मौत हो गई थी ।
  • हुमायूँनामा  की रचना गुलबदन बेगम ने की थी ।
  • 1555 मे हुमायूँ अपने साथ दो ईरानी चित्रकारों को लाया था ।

 

मीर सैय्यद अली

ये ग्राम्य चित्रण करने मे पारंगत थे

 

अब्दुस्समद शिराजी

  • ये पशु चित्रण करने मे पारंगत थे ।
  • प्रवासकाल के दौरान मार्ग मे कबूतरो को पकड़कर उसका चित्र हुमायूँ ने बनवाया था ।
  • मुगल शैली का  प्रथम  चित्रित ग्रन्थ हम्जानामा है ।
  • हम्जानामा की शुरुआत  हुमायूँ के काल से अकबर के काल तक हुई थी इसमे 12 खंड है जिसमे 4 खंड हुमायूँ के काल के है ।

 

 

अकबर  1556 -1605 शासन

  • अकबर का जन्म  15 अक्टूबर 1542 ई0  मे हुआ था ।
  • अमरकोट के किले मे राजा वीरसाल के यंहा हुआ था ।
  • अकबर सबसे कम उम्र का राजा था । 14 वर्ष की आयु मे दिल्ली की गद्दी पर बैठा था  राज्यभिषेक 14 फरवरी 1556 को हुआ था ।
  • अकबर का पूरा नाम  जलालूद्दीन मोहम्मद अकबर था ।
  • अकबर ने नया धर्म चलाया था  जिसका नाम दीन -ए- इलाही था ।
  • नई नीति  – सुलह -ए – कुल
  • दीन – ए- इलाही  धर्म को हिन्दू शासक ने सबसे पहले बीरबल (महेशदास )  ने स्वीकार किया था ।

अकबर के 9 रत्न

  1. बीरबल
  2. अबुल फजल
  3. तानसेन
  4. राजा टोडरमल
  5. राजा भगवान दास
  6. अब्दुल रहीम खानेखाना
  7. राजा मान सिंह
  8. मुल्ला दो प्याज़ा
  9. हकीम हुकाम

1 बीरबल

युद्ध सलाहकार , कवि  दीन -ए- इलाहि धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम हिन्दू शासक

अबुल फजल

इतिहासकार  अकबरनामा लिखा है फारसी भाषा मे लिखा है

पंचतंत्र का फारसी मे अनुवाद  किया था ।

तानसेन  संगीतज्ञ थे

राजा भगवान दास

आमेर के राजा भारमल का पुत्र था ।

जोधाबाई का भाई ।

अब्दुल रहीम खाने खाना

ये राज कवि थे ।

6 राजा टोडरमल

राजस्व मंत्री दीवान

राजा मान सिंह  मुख्य सेनापति थे ।

8 मुल्ला दो प्याज़ा

अरब का रहने वाला था ।

हकीम हुकाम

सलाहकार थे ।

अकबर की पत्नी रुकय्या बेगम , सलीम बेगम, जोधाबाई  थी ।

लगभग  1558 से अकबर ने विशाल पैमाने पर चित्र बनवाने प्रारम्भ कर दिये ओर यंही से मुगल  चित्रकला का आरंभ हुआ ।

अकबर ने  तीन चित्रशाला बनवाई ।

1 आगरा

2 फ़तेहपुर  सीकरी

3 लाहौर

अकबर का कला प्रेम

  • बचपन मे अकबर ने अब्दुल्स्सम्मद शिराजी से कला की शिक्षा प्राप्त की
  • आईने -ए-अकबरी के अनुसार  अकबर ने बचपन मे हेमू का चित्र बनाया था ।
  • तूज़ुक -ए-जंहागीरी  के अनुसार  अकबर को भवन कला ओर चित्रकला मे काफी रुचि थी ।
  • अकबर के साहित्यिक प्रेमी तुलना चन्द्रगुप्त द्वितया से की गई है । जिसे विक्रमाद्वितया भी कहा जाता है ।

 

अकबर कालीन प्रमुख चित्रकार

आईने -ए- अकबरी के अनुसार अकबर ने 100 से अधिक चित्रकारों की नियुक्ति फतेहपुर सीकरी के एक विशेष भवन मे की थी ।

अकबर के काल मे आइने ए- अकबरी के अनुसार 13 उच्च कोटी के हिन्दू चित्रकार थे । व

4 उच्च कोटी के मुस्लिम चित्रकार थे ।

हिन्दू चित्रकार

  1. माधव
  2. केशव
  3. जगन्नाथ
  4. दसवंत
  5. बसावन
  6. मुकुन्द
  7. तारानाथ
  8. सावलदास महेश
  9. हरवंश

 

मुस्लिम चित्रकार

  • फारुख वेग (ईरानी )
  • अब्दुल्स्सम्मद शिराजी से हुमायूँ ओर  अकबर दोनों ने तैमूरनामा के चित्रकला की शिक्षा ली थी (शिराज नगर निवासी )
  • मीर सैय्यद अली (तबरेज के निवासी थे )
  • मिस्किन (भारतीय मुस्लिम )
  • बकायत ए- बाबरी के अनुसार अकबर की चित्र शाला मे
  • 19 उच्च कोटी के हिन्दू चित्रकार थे ।
  • 3 उच्च कोटी के चित्रकार थे

 

अकबरकालीन प्रमुख चित्रकार

  1. मीर सैय्यद अली
  2. अब्दुल्स्सम्मद शिराजी
  3. दसवंत
  4. बसावन
  5. मिस्किन
  6. फारुख वेग
  7. केशव

मीर सैय्यद अली –

  • उपनाम – जादुई
  • इसी नाम से कविताए लिखता था ।
  • तबरेज , ईरान मे जन्म हुआ था ।
  • 1555 मे हुमायूँ के साथ भारत आया था ।
  • ग्राम्य चित्रण का विशेषज्ञ था ।
  • पिता का नाम – मीर मंसूर था ।
  • मुगल काल की पहली चित्रित पुस्तक हम्जानामा है ।
  • हम्जानामा के 12 खंडो मे प्रथम 4 खंड का परिवेक्षण मीर सैय्यद अली ने किया था ।
  • ये चार खंड हुमायूँ के समय मे चित्रित हुए  है ।
  • 8 खंड अकबर के समय मे पूरे हुए ।
  • इसमे 1000 चित्र बने है 4 खंडो मे ।
  • नस्तालिक शैली  का अच्छा लिपिक है ।
  • इसे हुमायूँ द्वारा नादिर -उल -मुल्क  हुमायूँशाही की उपाधि दी गई थी ।

 

 

मीर सैय्यद अली के चित्र

  1. मजनू का जन्म
  2. बहराम तथा गड़रिया
  3. पिता मंसूर का व्यक्ति चित्र ।

 

अब्दुल्सम्मद  शिराजी

  • यह एक फारसी सुलिपिकार एवं चित्रकार था ।
  • शिरी कलम की उपाधि मिली ।
  • यह भी हुमायूँ के साथ 1555 ई0 मे भारत आया था ।
  • जन्म विद्वान , चित्रकार , लिपिकार था ।
  • ये शिकस्त शैली का भी लेखक था ।
  • अकबर ने  अब्दुल्स्स्म्मद को फ़तेहपुर सीकरी की टकसाल का अधिरथ  बनाया बाद मे 1584 मे इसे अकबर ने सुल्तान का दीवान बना दिया था ।
  • दीन- ए- इलाही  धर्म को अंतिम समय मे स्वीकार कर लिया था ।
  • पुत्र का नाम  शरीफ था ।
  • शरीफ जंहागीर (सलीम ) के मदरसे का सहपाठी था ।

 

अब्दुलस्सम्मद के शिष्य

1 दसवंत – प्रिय शिष्य

2 बसावन

  • हम्जानामा के अंतिम 8 खंडो का परिवेक्षण अब्दुल्स्सम्मद शिराजी ने किए थे ।
  • ये 8 खंड अकबर के समय मे चित्रित हुए ।
  • इसमे 1400 चित्र बने ।
  • इसमे बिहजाद के चित्रो को संशोधित कर नवीन चित्र अब्दुल्स्सम्मद ने बनाए थे ।
  • अब्दुलस्सम्मद ने चावल तथा अन्य सूक्ष्म बीजो पर विस्तृत चित्र बनाए ।
  • हम्जानामा पर सर्वाधिक चित्रण अब्दुलस्समद शिराजी की देखरेख मे हुआ था ।
  • पशु चित्रण करने मे पारंगत था
  • मुगल शैली का जन्मदाता –
  1. मीर सैय्यद अली
  2. अब्दुलस्समद शिराजी

 

दसवंत

  • दसवंत कहार जाति  का था।
  • यह जयपुर  तथा अरायशी शैली  मे सिद्धस्त था ।
  • रज़्मनामा के 21 चित्रो मे दसवंत का नाम  मिलता है ।
  • दसवंत भारतीय देवी देवताओ का चित्रण सुंदरता से करता था ।
  • जिसमे भयंकर राक्षशी आकृतीया ओर भारतीय पौराणिक कथाओ पर आधारित चित्रण करता था ।
  • दसवंत को भित्ति चित्रण करते देख अकबर ने दसवंत को अपने दरबार मे लाया जंहा  इसने अब्दुलस्सम्मद
  • शिराजी से शिक्षा ग्रहण की ।
  • कुछ समय बाद दसवंत पागल हो गया था ओर आत्महत्या कर ली थी ।
  • आईने – ए अकबरी मे इसे युग का प्रथम विशेषज्ञ कलाकार कहा गया है । ओर मुगल चित्रकला  मे इसे मील का पत्थर कहा गया ।

 

बसावन (उस्ताद )

  • बसावन ने मुगल शैली मे बहुत से ग्रन्थ चित्रो का निर्माण किया ।
  • रज़्मनामा , बहारिस्ताने जमी , दराबनामा , अकबरनामा आदि ग्रंथो मे बसावन के चित्र प्राप्त है ।
  • रायकृष्ण दास के अनुसार –
  • बसावन पृष्ठिका बनाने , आकृति के आलेखन , रंग लगाने , शबीह लगाने तथा  चित्रकारी के कई  अंगो मे सर्वोत्तम था ।
  • अबुल फजल ने  आईने ए- अकबरी मे लिखा –
  • पृष्ठ भूमि निर्माण , मुखाकृति के विशेषताओ से अंकन रंगो के सम्मिश्रण वस्तुओ के यथारूप चित्रण तथा इस कला के अन्य कार्यो मे बसावन अपनी समक्ष का आदवितया कलाकार था ।
  • बसावन अकबर के समय का सर्वोत्तम चित्रकार था । इसके चित्रो मे यूरोपीय प्रभाव दिखाई पड़ता था ।
  • इसके पुत्र का नाम मनोहर था ।
  • बसावन ने लगभग 40 वर्षो  तक काम किया था ओर लगभग 200 चित्रो का निर्माण किया था ।

 

बसावन की विशेषता

  • बसावन अपने चित्रो के कारण  उस्ताद कहलाता था ।
  • इनको  उस्ताद की उपाधि मिली थी ।
  • विकर्ण चित्र बनाने मे अग्रणी था ।
  • प्रथम विकर्ण  चित्र  –
  • पुल पार करते हुए हाथी  (अकबरनामा )
  • चित्रो मे सुहावने तथा कोमल रंगो का प्रयोग भी बसावन की विशेषता है ।
  • छतो का परिप्रेक्षय ,वस्त्रो की सिकुड़ने मे छाया प्रकाश के प्रयोग आदि  से अंदाजा लगाया जा सकता है  की बसावन ने यूरोपीय चित्रो का अवलोकन एवं अनुसरण किया था ।

 

बसावन के चित्र

  1. रामायण का चित्रण किया ।
  2. शेख अबू –  उल -क़स्साब को एक दरवेश के दर्शन करते हुए ।

 

मिस्किन

  • अकबर कालीन सर्वश्रेष्ठ  पक्षी चित्रकार थे ।
  • ये भारतीय मुसलमान थे ।
  • विकर्ण चित्र बनाने मे यह बसावन की तरह प्रवीण था ।

मिस्किन के चित्र –

  1. टॉप खींचते हुए बैल
  2. गोवर्धन पर्वत उठाए हुए श्रीकृष्ण
  3. धोखेबाज पत्नी ।

 

फारुखवेग

  • यह 1580 ई0 मे भारत आया था ।
  • इसके चित्रो मे मध्य एशियाई प्रभाव था बाद मे धीरे-धीरे व्यक्ति चित्रकार के रूप मे इसने अपनी निजी शैली  विकसित कर ली ।
  • ये फारुख वेग अकबर तथा जंहागीर दोनों के समय मे कार्य  किया जबकि प्रसिद्धि जंहागीर के समय मे मिली
  • जंहागीर  के समय फारुखवेग  (दक्षिणी कला )के संपर्क  मे आया ओर यंही से इसने समूह चित्रण प्रारम्भ किया ।
  • जंहागीर के कहने पर फारुखवेग बीजापुर गया जंहा इसने आदिलशाह की शबीह (potrait ) बनाई थी ।

 

केशव

  • यह एक गुजराती चित्रकार था ।
  • ईसाई  पादरियों द्वारा चित्रित बाइबिल के मेरी तथा क्राइस्ट वाला चित्र जो अकबर को भेंट किया गया था उसकी अनुकृति केशव ने बनाई थी ।

 

हम्जानामा

  • मुगल शैली मे सबसे पहली चित्रण चुनी गई पांडुलिपी पुस्तक हम्जानामा है ।
  • हम्जानामा अमीर -ए-हम्जा का फारसी अनुवाद है ।
  • इस ग्रन्थ मे मोहम्मद साहब के समकालीन हमीर की 360 कहानियाँ वर्णित है ।
  • हम्जानामा का फारसी अनुवाद किया काजबीन (मुंशी ) तथा  ख्वाजा अताउल्लाह  ने ।
  • 50 चित्रकार ने 15 वर्षो मे पूरा किया
  • हम्जानामा के चित्रो का निर्माण कागज का अस्तर चिपकाकर सूती कपड़े पर हुआ है जिसकी मापा – 67.5 *50 सेमी0 है ।
  • सभी चित्र अहस्ताक्षरित है ।
  • हम्जानामा  के चित्रो मे फारसी प्रभाव अधिक है ।
  • यह ग्रन्थ 12 खंडो मे विभाजित है ओर प्रत्येक खंड मे एक सौ जुज़ (पन्ना ) है प्रत्येक जुज़ मे 2 चित्र है । इस प्रकार इस प्रतीलिपि मे 2400 चित्र बनवाए गए ।
  • वर्तमान मे 150 चित्र ही उपलब्ध है जिसे गुलूक ने संगृहीत कर सन 1925 मे वियना से छपवाया था ।
  • 61 चित्र  आर्ट एण्ड इडस्ट्री म्यूजियम वियना मे है ।
  • 25 चित्र साउथ केनिस्निग्टन म्यूजियम लंदन मे है ।
  • 15 चित्र  अमेरिका मे है ।
  • 6 चित्र भारत मे है ।
  • 2 चित्र  प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम  मुंबई  मे है ।
  • 1 चित्र सालार जंग म्यूजियम हैदराबाद मे है ।
  • हिरात शैली का जनक बिहजाद है ।
  • प्राय एक चश्म की अधिकता है ईरानी सम्मुखी ये तीन चौथाई चेहरा नहीं है । आंखे बड़ी बड़ी भारतीय परंपरा के अनुसार मछली जैसी है ।
  • इस चित्रावली मे प्रधान अंश कश्मीर शैली का है । शेष अंश राजस्थानी तथा ईरानी शैली के है । प्रकृति के अंकन मे भारतीय तथा  फारसी दोनों का मिश्रण है वृक्षो मे पीपल वट , कदली एवं केला चित्रण भारतीय ढंग से हुई है ।

 

हम्जानामा के चित्र-

  1. मिहिर दुस्त बाण छोड़ती हुई (श्रीमती मारिया हार्मन म्यूजियम स्विट्जरलैंड )
  2. गाँव के कुए पर स्त्रियाँ ।
  3. स्त्रियाँ सूत कातते हुए ।
  4. हीरे कटाई की मशीन ।

 

तूतीनामा

तूतीनामा  तोते का प्रेमालाप इस ग्रन्थ  का विषय है । इसमे 103 चित्र है सन 1330 ई0 के आसपास तूतीनामा की कथा ईरान मे काफी प्रचलित थी ओर उसी का मुगलिया रूप तूतीनामा  है । इसके चित्र हम्जानामा वाले चित्रो के सामान ही है  वस्त्र (चक्रादार जामा ) प्रकृति एवं वस्तु का अंकन  हम्जानामा से काफी साम्य रखता है । यंहा केवल पक्षियो के अंकन मे पूर्ण उनमुकता है भारतीय परंपरा के नजदीक है । कुछ चित्रो पर बसावन ,दसवंत ,इकबाल आदि कलाकारो के नाम अंकित है । वर्तमान मे यह चित्रित प्रति क्वीवलैंड म्यूजियम ऑफ आर्ट क्वीवलैंड  ओर चेस्टरबेट्टी लाईब्ररी डंब्लिन मे संग्रहीत है ओर इसी के कुछ प्रष्ठ लखनऊ संग्रहालय मे भी  सुरक्षित है ।

 

दीवाने ए-हाफ़िज़

  • दीवान -ए-हाफ़िज़ यह हाफ़िज़ शिराजी की शेर शायरी की  पुस्तक है, जो अकबर के काल मे चित्रित हुई । इसके चित्र प्रारम्भिक अकबर शैली के है । कहा जाता है कि इस ग्रंथ मे बड़ी बड़ी समस्याओ का निदान  लिखा है यथा एक शहजादी का हार चोरी हो गया तो रात मे ही दीवान -ए-हाफ़िज़ को खोला गया ओर शहजादी ने अपनी आँख बंद करके एक अंगुली ग्रंथ मे लिखे शेर पर रख दी ,तत्काल दासी को मोमबत्ती लेकर बुलाया गया ओर शेर पढ़ा गया –
  • चोर भी कैसा है शमा को उठाए है ”हार इसी दासी द्वारा  चुराया गया था।
  • दीवान-ए-हाफ़िज़  की एक प्रति ‘ब्रिटिश म्यूजियम एंड लाइब्रेरी लंदन व दूसरी चेस्टर बेट्टी लाइब्रेरीडब्लिन मे है तथा तीसरी प्रति रामपुर के राजा के पोथीखाने मे सुरक्षित है ।
  •  मुगलकाल की प्रथम हस्ताक्षर युक्त चित्रित पाण्डुलिपि दीवान-ए-हफ़िज़ है ।
  •  भारतीय कथाओ के चित्रण

 

अनवार -ए- सुहेली

  •  यह ग्रंथ भारतीय पंचतंत्र का ईरानी संस्करण है
  •  इसकी 4 प्रतिया प्राप्त हुई है ।
  •  एक सन 1598 ई0  की है , जो लाहौर मे चित्रित की गई थी इस प्रति के 27 चित्र ”भारत कला भवन बनारस ” मे सुरक्षित  है जिस पर 16 कलाकारो के नाम मिलते है ।
  •  बसावन , जगन्नाथ ,फारुख चेला ,धर्म दास ,मुकुन्द ,मिस्किन ,माधव ओर अनंत । दूसरी प्रति सन 1570 ई0 मे निर्मित एवं ”स्कूल ऑफ ओरियंटल एंड अफ्रीकन स्टूडिज़ लंदन” मे  तीसरी प्रति ”रामपुर स्टेट  लाइब्रेरी रामपुर ” मे चौथी रायल एशियाटिक  सोसाइटी लंदन ” मे सुरक्षित है ।
  •  इसी पंचतंत्र का एक अरबी नाम कलिलह दीमनाह है ।
  •  अकबर ने ही पशु पक्षियो के किस्से कहानी वाले ग्रंथ का एक अन्य अनुवाद अबुल फजल से कलिलह दीमनाह के आधार पर कराया जो अय्यार -ए-दानिश नाम से विख्यात है ।
  • यह ग्रंथ 1588 मे पूर्ण हुआ बताया जाता है ।

 

रज़्मनामा

  • अब्दुल कादिर बदायुनी ने महाभारत का फारसी अनुवाद रज़्मनामा के नाम से किया ।
  • अब्दुल कादिर बदायूनी जो संस्कृत ,अरबी ,फारसी भाषा के ज्ञाता थे ।
  •  यह ग्रंथ 1582 से 1589 के बीच चित्रित किया गया ।
  • इसमे 169 चित्र बने है जो 3 जिल्दों (copy )मे विभक्त है ।
  • इसमे पूर्ण करने मे 50 चित्रकारों का योगदान रहा जिनमे मुख्य है –
  • दसवंत
  • बसावन
  • मिस्किन
  • लाल
  • 21 चित्रो मे दसवंत का नाम मिलता है ।
  • इसी चित्रण के दौरान दसवंत पागल हो गया था ।
  • उस समय इस कार्य पर 4 लाख रु0 खर्च हुए थे ।
  • कर्नल टी0एच0 हैंडले ने अपनी पुस्तक मे रज़्मनामा के 148 चित्र छापे ।
  • इसकी प्रथम प्रति सवाई मानसिंह द्वितया संग्रहालय जयपुर मे संगृहीत है ।
  •  जबकि द्वितीय ब्रिटीश म्यूजियम एण्ड लाइब्रेरी  लंदन मे है ।

 

 रामायण

  • इसकी भी एक सचित्र प्रति सवाई मानसिंह द्वितया संग्रहालय जयपुर संग्रहीत है ।
  •  अब्दुल कादिर बदायुनी  ने अनुवाद फारसी भाषा मे किया
  • सन 1588 मे इसका  चित्रण कार्य  समाप्त हुआ  ।
  • इस ग्रंथ के चित्रण मे रज़्मनामा वाली चित्र शैली देखने को मिलती है ।
  • अन्य भारतीय कथाओ के चित्रण
  • अथर्वेद
  • राजतरंगिनी
  • नल दमयंती
  • लीलावती
  • हरवंश पुराण

 

अथर्वेद

अथर्वेद का भी इसका फारसी अनुवाद हाजी इब्राहिम के द्वारा किया गया ।

राजतरंगिनि-

  • राजतरंगिनी इसका फारसी अनुवाद मूलल शाह मोहम्मद शाहबादी के द्वारा किया गया ।
  • राजतरंगिनी कल्हण ने लिखी है ।
  • ऋग्वेद मे सबसे पहले कला शब्द का प्रयोग हुआ है
  • नाट्यशास्त्र मे सबसे पहले शब्द का चित्रकला रूप मे हुआ है ।
  • भारतीय संगीत का जनक  सामवेद को कहा जाता है । यह पद्ध मे लिखा  है ।
  • यजुर्वेद गध ,पद्ध दोनों मे लिखा है यह  युद्ध शास्त्र से संबंध है ।
  • अथर्वेद मे जादू टोने के बारे मे लिखा है ।

 

 नलदमयंती

  • नलदमयंती इसका फारसी अनुवाद फैजी के द्वारा किया गया  इसकी प्रति ब्रिटीश संग्रहालय , लंदन मे है ।

 

लीलावती

  • लीलावती का फारसी अनुवाद फैजी के द्वारा किया गया ।
  • इसकी प्रति ब्रिटीश संग्रहालय लंदन मे है ।

 

हरिवंश पुराण

  • हरिवंश पुराण इसकी फारसी अनुवाद मौलाना शेरी के द्वारा किया गया ।
  • ऐतिहासिक कथाओ के ग्रंथो का चित्रण

 

 अकबरनामा

  •  इसकी प्रतिया ब्रिटीश म्यूजियम एण्ड लाइब्रेरी , विक्टोरिया एण्ड अल्बर्ट म्यूजियम लंदन तथा चेस्टर बेट्टी लाइब्रेरी डब्लिन मे संग्रहीत है । अकबरनामा मे प्रमुख रूप मे मुगल दरबारी जीवन की विविध झांकिया प्रस्तुत की गई है । चित्रो मे अकबर की सेनाओ , दरबार की शान -शौकत तथा वैभव के बीच कही कही प्राचीन भारत की झांकी भी मिल जाती है । यंहा पर अनेक दृश्यो का अंकन है ।
  • अकबर काल मे बनी अकबरनामा की यह प्रति सर्वश्रेष्ट है । इसके 117 चित्र ”विक्टोरिया एण्ड एल्बर्ट म्यूजियम लंदन मे संगृहीत है इसी प्रति के चित्रो मे यथार्थत्त ओर अधिक उजागर हुई है ।
  • सलीम का जन्म वाला चित्र इस प्रति का सर्वश्रेष्ठ चित्र है  । जिसमे कलाकार ने चित्र को कई तलो मे विभाजित कर विभिन्न घटनाओ को बखूबी प्रदर्शित किया ।
  • एक अन्य महत्वपूर्ण चित्र –
  •  रणथमभोर किले की घेराबंदी है ।
  • अकबरनामा पुस्तक 3 जिल्द (copy ) मे बनती हुई है ।
  • जिसकी आखरी जिल्द आईने-ए-अकबरी से प्रसिद्ध है । ये 5 अध्याय मे बंटी है । 4 अध्यायों मे शासन प्रणाली बंटी हुई है अंतिम 5 वां अबुल फजल की जीवनी दी गई है ।

 

बाबरनामा

  • बाबरनामा का फारसी अनुवाद खान ए खाना ने किया जिसकी एक प्रति अकबर को सन 1589 मे भेंट स्वरूप  मिली । बाद मे बाबरनामा की कई चित्रित प्रतिया तैयार की गई ।
  • इसकी एक प्रति राष्ट्रीय संग्रहालय , नई दिल्ली मे है । इस प्रति को लगभग 48 चित्रकारों ने चित्रित किया । इसमे कुल 144 चित्र है।
  • दूसरी प्रति ब्रिटीश संग्रहालय लंदन मे है ।
  • इसमे युवा मंसूर के बनाए पशुओ के सुंदर रेखांकन है ।

 

खानदान -ए-तैमूरिया  (तिमूरनामा )

 

  • इस ग्रंथ मे तैमुर वंश से लेकर  अकबर के 1577 ई0 तक की घटनाओ का वर्णन मिलता है । इसमे 132 चित्र बने है ।
  • यह पुस्तक प्रमुख रूप से दसवंत द्वारा तैयार की गई है । यह पुस्तक खुदाबख्स ओरियंटल लाइब्रेरी पटना मे रखी है ।

 

शाहनामा (फिरदौसी लेखक  )

  •  इस ग्रंथ मे ईरान के राजाओ का इतिहास मिलता है ।
  • ये अकबर के अंतिम समय मे चित्रित हुई ।
  • इस प्रति मे जामी कवि की कविता का एक भाग है ।
  • चेस्टर बेट्टी म्यूजियम  डब्लिन मे संगृहीत है ।

अकबर

  • अकबर कालीन संगीतज्ञों मे बाज बहादुर ,बैजु बाउरा ,रामदास ,तानसेन ,गोपाल ,हरिदास तथा सुजान
  •  प्रमुख थे ।
  •  अकबर ने बीरबल को हाजिर जवाबी के लिए कवि प्रिय की उपाधि दी थी ।
  • नरहरिदास ,रसखान ,तुलसीदास ,श्री कुमार अकबर के समकालीन थे ।
  • अकबर एक ऐसा शासक था जिसने पहली बार पुराण का अनुवाद फारसी भाषा मे कराया था ।
  • अकबर के पुस्तकालय मे भी लगभग 24 हजार पुस्तके थी । कुछ विद्वान इन पुस्तको  की संख्या 80 हजार मानते थे ।
  • अकबर का शाही पुस्तकालय तीन बड़े नगरो मे स्थापित  था । आगरा ,दिल्ली ,लाहौर ।
  • अकबर के दरबार मे प्रति सप्ताह प्रदर्शिनी का आयोजन होता था ।
  • चित्रकला की मुगल शैली का प्रारम्भ अकबर काल से ही माना जाता है ।
  •  अकबर के अनेक चित्र प्राप्त है । जिसमे से दो बोस्टन संग्रहालय अमेरिका तथा एक इंडियन ऑफिस लाइब्रेरी लंदन संगृहीत है ।
  • अकबर को हाथियो की लड़ाई देखने का शौक था
  • बालक अकबर पिता हुमायूँ को चित्र भेंट करते हुए यह चित्र मीर सैय्यद अली द्वारा बनाया गया जो गुलिसता पोथी खाना तेहरान मे सुरक्षित है ।
  • अकबर ओर जंहागीर के काल मे तीन महिला चित्रकार का नाम आता है ।
  • 1 नादिरा बानो
  • 2 शाइफा बानो
  • 3 रुकय्या बानो
  • रायकृष्ण दास के अनुसार अकबर के काल मे 20 हजार चित्र बने ।
  • सबसे ज्यादा ग्रंथ अकबर के काल मे बने थे ।
  • इकबालनामा ग्रंथ मिर्जा मोहम्मद उर्फ  मोतामिद  खाँ  बख्शी ने अकबर के काल मे लिखा था ।
  •  जहाने श्फ़क ग्रंथ मुकम्मल खाँ ने अकबर के काल मे लिखा था ।
  • ग्रंथो मे एक ही चित्रकार का कार्य न होकर  कई कलाकारो का कार्य होता है । बल्कि एक चित्र भी कई चित्रकारों के द्वारा पूरा होता था ।

 

मुगल काल ,जंहागीर काल शाहजंहा ,औरगजेब

मुगल कालीन चित्रकला भाग 2 पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करे 

मुगल काल ,जंहागीर काल शाहजंहा ,औरगजेब

 

Leave a Comment