मुगल काल ,जंहागीर काल शाहजंहा ,औरगजेब
मुगल कालीन चित्रकला भाग 2
- जंहागीर का जन्म 30 अगस्त 1569 को हुआ था ।
- इनके बचपन का नाम सलीम था ।
- मृत्यु 1627 को हृदय की गति रुकने के कारण हुई थी ।
- जंहागीर का पूरा नाम नुरूद्दीन मोहम्मद जंहागीर बादशाह गाजी था ।
- पत्नी का नाम – नूरजंहा (मेहरुन्निसा )
- मकबरा – शाहदरा इसे नूरजंहा ने बनवाया था । ओर बाद मे नूरजंहा की मृत्यु के बाद इसे भी यही दफनाया था ।
- जंहागीर की आत्मकथा तूज़ुक-ए-जंहागीरी स्वय जंहागीर ने फारसी भाषा मे लिखी थी किन्तु पूरा मोतामिद खाँ ने किया
- जंहागीर का बचपन आकारिजा ओर उसके पुत्र अबुल हसन के साथ व्यतीत हुआ था ।
- मुगल चित्रकला के इतिहास मे जंहागीर का काल स्वर्ण काल के नाम से जाना जाता है ।
- जंहागीर को न्याय की जंजीर कहा जाता है ।
जंहागीर काल के चित्रकार
- अबुल हसन
- अबुल हसन जंहागीर के दरबार का सर्वश्रेष्ठ चित्रकार था ।
- मुगल काल का सबसे सर्वश्रेष्ठ चित्रकार मंसूर था ।
- अबुल हसन -ईरान से आया था इनके पिता का नाम आकारिजा था ।
- जंहागीर के मुख्य पृष्ठ के लिए अबुल हसन ने जंहागीर का सिंहासनारोहण चित्र बनाया था ।
- 13 वर्ष की उम्र मे अबुल हसन ने अल्बर्ट ड्यूरर द्वारा निर्मित चित्र जॉन का सूली पर चढ़ना की अनुकृति वाश पद्धति मे की थी ।
- अबुल हसन प्रतिकात्मक चित्रण करने मे अन्य कलाकारो मे अग्रणी था ।
- अबुल हसन को नादिर -उल-जमा (wonder of the age ) की उपाधि जंहागीर ने दी ।
अबुल हसन के मुख्य चित्र
- जंहागीर का सिहासनारोहण
- बैलगाड़ी -पीली पृष्ठभूमि पर बना है ।
- चिनार वृक्ष पर गिलहरिया
- जनसमूह के सम्मुख शेख सादी का स्वागत करते जंहागीर
- शाह शेख का व्यक्ति चित्र
- शाह अब्बास से भेंट करते हुए जंहागीर
- गरीबी को नष्ट करते जंहागीर
- एक गोला पकड़े जंहागीर
- मालिक अम्बर को मारते जंहागीर
- रोमन सागर का देवता नेपच्यून दरियाई घोड़ो पर आरूढ़
- जामनगर का जाम पाशा की मुखाकृति
मंसूर (उस्ताद )
मंसूर जंहागीर कालीन सर्वश्रेष्ठ पक्षी चित्रकार था
मंसूर को नादिर -उल -असर की उपाधि जंहागीर ने दी थी ।
इसने कश्मीर की घाटी के 100 से अधिक पुष्पो का अंकन किया था ।
मंसूर भारतीय मुसलमान था । स्वम को मंसूर नक्काश कहता था । क्योंकि इसके चित्रो मे नक्काशी जैसा काम होता था ।
मंसूर के प्रमुख चित्र
- लाल फूलो की बहार (पीली पृष्ठ भूमि पर बना )
- तुर्की मुर्गा (कलकत्ता संग्रहालय )
- बाज पक्षी (कलकत्ता संग्रहालय मे है ) फारस के बादशाह द्वारा भेंट स्वरूप भेजा गया ।
- चीनी तोता
- मोरनी (पेरिस संग्रहालय )
- नीलगाय (metropolitan museum newyork )
- जेब्रा
- साइबेरिया का विरला सारस
- जंगली straw berries
बिशनदास
- सबीह बनाने मे निपुण
- 1617-18 ई0 मे जंहागीर ने इसे ईरान के शाह अब्बास के यंहा अपने राजदूत शाह आलम की शबीह बनाई थी ।
- शाह अब्बास की शबीह (1 अनुकृति बोस्टन संगरहालय )
- नूरजंहा की शबीह
- शेख सूफी संत (भारत कला भवन बनारस )
आकारिजा
- आकारिजा एक ईरानी चित्रकार था ।
- इसे नकलची चित्रकार भी कहा जाता था ।
- यह आगरा की चित्रशाला का प्रधान चित्रकार था ।
- बाद मे जंहागीर ने इसे इलाहाबाद की चित्रशाला का प्रधान चित्रकार नियुक्त किया ।
- इसके पुत्र का नाम अबुल हसन था ।
- इसने इलाहाबाद मे 2 ग्रंथ चित्रित किए ।
- सन 1602 मे राजकुंवर (चेस्टर बेट्टी म्यूज़ियम डबलिन मे है )
- अमीर -नज्म -उद्दीन हसन दहलवी की चित्रित गजल एवं रुबाइया (walter gallery baltimore )पेरिस मे है ।
मनोहर
- मनोहर यह बसावन का पुत्र था ।
- शिकारी चित्र बनाने मे निपुण था ।
- शेर का शिकार करते जंहागीर
- काला हिरण
मोहम्मद नादिर
- यह पेड़ पौधे व पुष्पो को चित्रित करने मे निपुण था
- इसने स्याह कलम मे भी चित्र बनाए जंहागीर के समय मे ।
- इनकी ख्याति शाहजन्हा के समय हुई थी ।
- चित्र नरगिस का पुष्प (प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूज़ियम मुंबई )
दौलत
- यह फारुख वेग का शिष्य था जंहागीर के काल मे
मोहम्मद मुराद
- यह अकबरकालीन चित्रकार नन्हा का भतीजा था ।
जंहागीर कालीन चित्रो की विशेषता
- जंहागीर कालीन चित्र ईरानी प्रभाव पूर्णतया मुक्त हो गए ओर इस काल के चित्रो मे अत्यधिक यथार्थता दिखाई पड़ती है ।
- रेखाए अत्यधिक महीन एवं कोमल बनाई गई है ।
- चेहरे प्राय एकचश्म बनाए गए है । खिडकीदार पगड़ी का प्रयोग हुआ है । पुरुषो का जामा लंबा बनाया गया है ।
- रंगो मे सूफियापन व परस्पर मिश्रित रंग तथा रंग की कई तानो का प्रयोग हुआ है ।
- जंहागीर कालीन चित्र तब तक पूर्ण नहीं माने जाते थे जब तक उसमे अलंकृत हाशिया न बना हो इन्ही हाशियों मे बत की सहायता से तबक़ (सोने का वरक )
- चिपकाया जाता था ।
- मोरक्का एल्बम को कहते है । मुगल काल मे 40 चित्रो के सेट को मुरक्का कहा जाता है ।
- वसली दो से अधिक पेपर को चिपकाकर उसे वसली कहते है ।
- जंहागीर ने अपने अंतिम समय मे काल्पनिक चित्रो का निर्माण भी करवाया था।
- इस काल मे फुटकर लघु चित्रो का निर्माण हुआ जिन्हे मुरक्का (album ) मे लगाया जाता था ।
- जंहागीर काल मे अत्यंत लघु चित्रो का प्रयोग पहचान पत्र के रूप मे होता था जिस पर व्यक्ति चित्र होता था । यह व्यक्ति चित्र अधिकांशत हाथी दांत व अभ्रक के टुकड़ो पर बनाया जाता था ओर व्यक्तियों को गले मे लटकाने के लिए दिया जाता था ।
जंहागीर कालीन महत्वपूर्ण तथ्य
- जंहागीर काल मे कई विदेशी आए जिसमे से केपटन होकिन्स ,सर टामस रो ,विलियम ,फिंच तथा एडवर्ड टैरी का विशिष्ट उल्लेख है ।
- जंहागीर के काल मे तूज़ुक -ए-जंहागीरी की एक प्रति चित्रित हुई शेष शाहजंहा के काल मे चित्रित हुई ।
- मनोहर एक मात्र ऐसा जंहागीर कालीन चित्रकार था जिसका नाम तूज़ुक -ए-जंहागीरी मे नहीं मिलता ।
- आभामंडल दिखाने की शुरुआत जंहागीर काल से प्रारम्भ होती है ।
- हेडफ़ील्ड ब्रिटिश चित्रकार ने जंहागीर का एक व्यक्ति चित्र बनाया था शिकार के चित्रो मे जंहागीर की अत्यधिक रुचि थी इसके अतिरिक्त उसमे संतो ,पशु -पक्षी तथा पुष्पो के बहुतायत मात्रा मे चित्र बनाए गए ।
- जंहागीर ने लाहौर मे भित्ति चित्र का निर्माण कराया । ये चित्र 1611 ई0 मे विलियम फिंच ने देखे थे । इन चित्रो मे नूरपुर के राजा वाशु को सभासदो के साथ चित्रित किया गया । इसके साथ यही पर ईसाई यूरोपियन तथा अन्य विषय भी अंकित किए गए ।
- जंहागीर ने मरते हुए इनायत खाँ का चित्रण कराया था । ये चित्र भारत कला भवन बनारस मे संगृहीत है ।
- जंहागीर ने मंसाराम नामक हिरण की समाधि पर एक मकबरा बनवाया तथा चित्र भी बनवाया था । ये चित्र मनोहर ने बनाया था ।
जंहागीर कालीन स्थापत्य
- जोधाबाई का मकबरा -सिकंदरा आगरा मे है ।
- शालीमार बाग कश्मीर मे है ।
- चश्मेनूर महल अजमेर राजस्थान मे है ।
शाहजंहा का काल
- शाहजंहा के बचपन का नाम खुर्रम था ।
- शाहजंहा का जन्म 1592 मे लाहौर मे हुआ था ।
- पिता का नाम – जंहागीर
- माता का नाम – जगत गोसाई
- विवाह – मुमताज़ महल (अर्जुमंद बानो बेगम )13 वीं पत्नी थी ।
- शाहजंहा की 14 संतान थी जिसमे से 7 ही जीवित थी ।
- जिसमे 4 पुत्र थे व 3 पुत्री थी ।
पुत्रो के नाम – 1 दारा 2 सूजा 3 मुराद 4 औरंगजेब
पुत्रियों के नाम – 1 जंहाआरा 2 रोशनआरा 3 गोशआरा
- शाहजंहा सम्राट जंहागीर का पुत्र था । शाहजंहा ने अपने भाइयो का वध करके 1628 मे शासक बना था ।
- शाहजंहा के काल मे चित्रो की जगह स्थापत्य कला पर ध्यान दिया गया ।
- शाहजंहा के काल को मुगल स्थापत्य काल का स्वर्णकाल कहा जाता है ।
- शाहजंहा के काल मे यूरोपीय प्रभाव सर्वाधिक आ गया था ।
- शाहजंहा को स्थापत्य कला का पुजारी कहा जाता है ।
- शाहजंहा के काल मे ही मुगल कला का पतन शुरू हो गया था ।
शाहजंहा के काल के चित्रकार
- गोवर्धन
- मुहम्मद नादिर
- विचित्तर
- चित्रमणि
- होनहार
- लालचंद
- फकीर उल्लाह खाँ – शाहजंहा का प्रधान चित्रकार सर्वश्रेष्ठ था ।
- मीर हाशिम – (व्यक्ति चित्र मे सर्वोत्कृष्ट था )
शाहजंहा कालीन चित्र
- यवन सुंदरिया
- सूफी नृत्य करते शाहजंहा
- वृद्ध फकीर
- दारा शिकोह की बारात (हाजी मदानी )
- शाहजंहा तख्त -ए-ताऊस पर बैठा हुआ ।
- मुगल सरदार – मीर हाशिम का चित्र
- मेवाड़ के राजा भीम
- वृद्ध अकबर
- पादशाहनामा (album )1656 -57 मे चित्रित शाहजंहा कालीन सर्वोत्कृष्ट कृति
- दरबारी वैभव सम्बन्धी चित्र
- स्याह कलम का अत्यधिक प्रयोग
- छज्जेदार पगड़ियाँ
- शाहजंहा के काल मे चौड़े हाशिये बनने लगे थे ।
- यंहा पर चमकदार रंग ओर सोने चाँदी के रंगो का प्रयोग हुआ ।
- दाराशिकोह चित्रकला प्रेमी था इसने 40 चित्रो का मुरक्का तैयार करवाया था जो की इंडिया ऑफिस लाईब्रेरी लंदन मे संगृहीत है ।
1 दो बत्तखे 2 दाराशिकोह की बारात ।
- साहित्य के क्षेत्र का मुगल स्वर्णकाल – अकबर
- पूरे मुगल काल का स्वर्णकाल शाहजंहा का है ।
- द्वितया स्वर्णकाल मुगलकाल को प्रथम स्वर्णकाल गुप्तकाल को कहा जाता है ।
औरंगजेब कालीन चित्र
- कट्टर मुस्लिम शासक औरंगजेब अपने भाइयो की हत्या कर राज गद्दी पाने के लिए पिता को आगरा के कीले मे कैद कर दिया । वही शाहजंहा की 1666 ई0 मे मृत्यु हो जाती है ।
- औरंगजेब ने चित्रकला को इस्लाम धर्म के विरुद्ध मानकर बंद करवा दिया था । किन्तु उसके शासन काल के अंतिम वर्षो मे उसने चित्रकारी मे रुचि ली जिसके परिणाम स्वरूप उसके कुछ लघु चित्र शिकार खेलते हुए , दरबार लगाते हुए तथा युद्ध करते हुए प्राप्त होते है ।
- औरंगजेब के बाद चित्रकार अन्य जगह जाकर बस गए जंहा अनेक क्षेत्रीय चित्रकला शैलियो का विकास हुआ ।
- मनुची ने लिखा है की औरंगजेब की आज्ञा से अकबर के मकबरे वाले चित्रो को सफ़ेद चुने प्लास्टर से पोत दिया गया था ।
- दिल्ली के लाल किले के बाहर मुख्य द्वार पर बने हाथी शिल्प को खंडित करवा दिया था ।
- औरंगजेब के काल मे फिर भी कुछ देखने को मिलते है । जो औरंगजेब के युवाकाल से लेकर वृद्धावस्था तक के है । जैसे –
- औरंगजेब की युवाकाल की मुखाकृति -ब्रिटिश संग्रहालय लंदन मे है ।
- औरंगजेब वृद्ध अवस्था
- बीजापुर का घेरा
- औरंगजेब एक वीणावादक ओर सुलेखक था ।
- औरंगजेब ने बीबी का मकबरा (औरंगाबाद महाराष्ट्र )नाम से इमारत बनवाई थी ।इसे फूहड़ मकबरा भी कहा जाता है ।
- औरगजेब को जिंदा पीर कहा जाता है ।
सम्पूर्ण मुगल शैली की विशेषता
- सर्वाधिक व्यक्ति चित्र अकबर के काल मे बने थे ।
- उत्कृष्ट व्यक्ति चित्र अच्छे जंहागीर के काल मे बने थे ।
- एक चश्म चेहरे बने है अधिकतर
- मुगलकाल मे 4 प्रकार की लिपि का प्रयोग हुआ ।
- कूफी लिपि यह बहुत मुड़े अक्षर वाली लिपि थी
- नश्तालीख लिपि यह कुछ मुड़े अक्षर वाली लिपि थी ।
- शिकस्त लिपि यह बहुत कम मुड़े अक्षर वाली लिपी थी ।
- नश्ख लिपि यह सीधे अक्षर वाली लिपि थी ।
- अकबर तथा जंहागीर का सर्वश्रेष्ठ सुलेखक मुहम्मद हुसैन कश्मीरी था ।
- शाहजंहा का सर्वश्रेष्ठ सुलेखक मीर हाशिम था
- जंहागीर के सुलेखक अब्दुल हिर्वी ,मीर अब्दुल्ला ,अब्दुर रहीम खान -ए- खाना।
- वर्तिका – गिलहरी (सबसे अधिक प्रयोग ) ऊँट ,बकरे ,भैंस ,फारसी बिल्ली के बालो की वर्तिका (कूची )को कहते है ।
- माला बनाने के लिए रुई का प्रयोग करते थे ।
- अरहर /इमली को जलाकर रेखांकन किया जाता था ।
- काले रंग की बत्ती को कालांजलि कहते थे ।
- मुगलकाल मे रात का चित्रण बहुत कम मिलता है ।
मुगल काल के महत्वपूर्ण तथ्य
- मुगल चित्रकला को लघु चित्रकला की रीढ की हड्डी कहा जाता हैं ।
- लघु चित्रकला पाल शैली से शुरू होती है ।
- हुमायूँ प्रवासकाल के दौरान पुस्तके रखता था ओर चित्र बनवाता था ।
- युद्ध के दौरान चित्र बनवाए अकबर ने ।
- अकबर के काल मे सबसे अधिक हिन्दू चित्रकार थे
- मुगल काल मे एक चश्म चेहरे बने ।
- मुगलचित्रकला मे ईरानी शैली का सबसे मुख्य प्रभाव है ।
- मुगल शैली मे दरबारी दृश्यो के चित्र ,पशु पक्षियो का चित्रण सर्वाधिक हुआ है , पेड़ नदी पहाड़ आदि प्रकृति का बड़ा भव्य चित्रण है ।
- मुगल शैली दरबारी शैली थी ,ओर मुगल शैली मे सर्वाधिक शबीह चित्रो का निर्माण हुआ था ।
- मुगल काल मे अकबर के समय सर्वाधिक शबीह चित्रो का निर्माण हुआ ।
- मुगल शासक के काल मे सर्वश्रेष्ठ शबीह चित्र जंहागीर के समय मे बने थे ।
- मुगल काल मे अधिकतर पोथी के चित्र अकबर के समय मे बने ।
- मुगल चित्रकला का स्वर्णकाल जंहागीर के काल को माना जाता है ।
- मुगल स्थापत्य का स्वर्णकाल शाहजंहा के काल को कहा जाता है ।
- मुगल शासक अकबर के काल मे पहली बार भित्ति चित्रकला की शुरुआत हुई ।
- अकबर के काल भित्ति चित्रो पर इटालियन शैली का प्रभाव था ।
- मुगल शैली का प्रसिद्ध पक्षी चित्रकार उस्ताद मंसूर जो जंहागीर के दरबार मे कार्य करता था ।
- मुगल चित्रकला का विकास अकबर के काल मे शुरू हुआ था ।
- मुगल शैली का पतन शाहजंहा के काल मे शुरू हो गया था ।
- मुगल शैली का एक मात्र चित्रकार अकबर के काल का फारुख वेग जो दक्षिण शैली मे कार्य करते थे ।
- मुगल वंश की नींव बाबर द्वारा रखी गई ।
- मुगल चित्रकला की नींव हुमायूँ के समय मे रखी गई ।
- मुगल शैली का प्रसिद्ध ईरानी चित्रकार बिहजाद था ।
- मुगलकाल मे चित्रित प्रथम ग्रंथ हम्जानामा था ।
- मुगल शैली का रंग विधान प्रचलित भारतीय परंपरा ओर ईरानी परंपरा से भिन्नता रखता है । इस शैली मे लाजवर्दी ओर सुनहरे रंग का इस्तेमाल किया गया है । इन रंगो को बनाने मे विशेष कौशल भी दिखता है । कूची या ब्रश को प्राय गिलहरी के बालो से बनाया गया है ।
- मुगल चित्रकला का रूप फारसी ओर भारतीय शैली का मिश्रण था ।
- अकबर अपने दरबार मे नवरत्न रखते थे ।