मेसोपोटामिया की कला
मेसोपोटामिया का अर्थ है दो नदियो के बीच का प्रदेश ।
मेसोपोटामिया सभ्यता दजला (टिगरीस ) तथा फरात (इयूफ़्रेटिस ) नदियो की घाटी मे विकसित है ।
दजला ओर फरात नदियो के दोआब मे पनपी सभ्यता मेसोपोटामिया की सभ्यता है ।
शास्त्रीय यूनानी कला के पूर्व मेसोपोटामिया ही सर्वाधिक उन्नत कला केंद्र था । अब यह सिद्ध हो गया है की पुराने बाइबिल के कथानक तथा प्रलय की घटना के सत्यता के बीज यही अंकुरित हुए थे ।
सुमेरिया, अक्कद, बेबीलोनिया, असीरियन तथा कैल्डियन सभ्यताए यही पनपी।
यंहा का प्रसिद्ध प्राचीन नगर उर है जिसे इब्राहिम का नगर भी कहते है ।
मेसोपोटामिया की सभ्यता यह विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता थी , जिसका समय 6500 से 500 ई0पू0 तक माना जाता है ।
मेसोपोटामिया के सबसे प्राचीन अवशेष मुख्यतः भवनो एवं प्रतिमाओ के रूप मे मिलते है । सर्वाधिक प्राचीन भग्नावशेष यंहा के लोगो द्वारा पूजी जाने वाली चंद्रमा की देवी सिन से संबन्धित है ।
यंहा के वास्तु का प्राचीनतम उपलब्ध उदाहरण पाँचवी सहश्त्राब्दी ई0पू0 का एरिदू का मंदिर है ।
19 वीं शताब्दी मे ईरान के प्राचीन नगर उर मे खुदाई सर लियोंनार्ड वूली मे कराई थी ।
मेसोपोटामिया की खोज का सर्वाधिक कार्य सर लियोनार्ड वूली तथा कोल्डवे ने किया था ।
प्राचीन बेबीलोन युग मे कला का विकास जड़ावयुक्त पात्रो तथा मूर्तियो की कला मे हुआ ।
मेसोपोटामिया की सभ्यता इराक देश की है ।
कांस्ययुगीन सभ्यता का उद्गम केंडा मेसोपोटामिया माना जाता है -।
मेसोपोटामिया को मेलुहा हड़प्पा सभ्यता मे कहा गया है ।
मेसोपोटामिया का उर प्राचीन नगर कला के लिए विशेष प्रसिद्ध हुआ ।
मेसोपोटामिया मे कला केंद्र पुजागृह जिग्गुरत नाम से पुकारे जाते थे । सुमेरियन ईंटों से निर्मित पर्वताकार ढांचा बनाकर उस पर देवस्थान बनाते थे, जंहा देवता निवास करते थे। उरूक मे अन, इनना तथा इया प्रसिद्ध जिग्गुरत थे ।
जिग्गुरत शब्द का सुमेरियन भाषा मे अर्थ है- पर्वत निवास । इनका निर्माण काल 2900 से 2350 ई0पू0 के मध्य का है ।
प्राचीन मेसोपोटामिया मे चंद्रमा की देवी सिन की पूजा प्रचलित थी ।
सिलिंडर सील का संबंध मेसोपोटामिया की कला से है ।
सुमेरिया की सभ्यता यूफ़्रेट्स नदी के तट पर विकसित हुई ।
बेबीलोन के मीनार तथा झूलते हुए बाग़ बेबीलोन मे बने ।
बेबीलोन के मीनार तथा झूलते हुए बाग केल्डियन युग के बने है ।
मेसोपोटामिया मे बेबीलोन के झूलते हुए बाग केल्डिया के शासक नेबुखद्नेज्जर के शासन काल मे छठी शताब्दी ई0पू0 मे बेबीलोन (वर्तमान इराक) मे बने ।
विश्व के सात आश्चर्य मे बेबीलोन के झूलते हुए बाग को गिना जाता है।
बेबीलोन नगर की नींव सारगन महान ने रखी थी ।
बेबीलोन का प्रमुख देवता श्मास (सूर्य)
बेबीलोन के चित्रकार सात रंगो का प्रयोग करते थे ।
बेबीलोन के राजमहलों तथा देवालयो की दीवारों पर प्राप्त चित्र जर्मनी संग्रहालय मे है ।
बेबीलोन युग का बना झूलते हुए बाग विश्व के आश्चर्यों मे गिना जाता है ।
असीरिया के सम्राटों ने स्थापत्यों ओर वास्तुकला मे विशेष ध्यान दिया था ।
असीरिया सभ्यता से प्राप्त प्रमुख चित्र घायल शेरनी का चित्र, मर रहे शेह का चित्र, आराम कर रही शेरनी का चित्र ।
सुमेरी सभ्यता के प्राचीनतम मंदिर के अवशेष एरिदू मे मिले है ।
जिग्गुरत मेसोपोटामिया मे सुमेरियन युग के सीढ़ीदार पिरामिडो के आकार वाले पूजागृहों को जिग्गुरत कहते है ।
रंगीन ग्लेज्ड टाइलों का प्रयोग नव बेबीलोनियन शासक नेबुखद्नेज्जर के समय भवन निर्माण मे हुआ ।
नव असुरीकाल मे मेसोपोटामिया मे विजय अभियानो, आखेट तथा धार्मिक कृत्यो का अंकन हुआ ।
मेसोपोटामिया की कला मे संगीतात्मक सौंदर्य भावना का जन्म असुर बनीपाल के शासन काल मे हुआ ।
मेसोपोटामिया सभ्यता के अंतर्गत सुमेरियन, बेबीलोन तथा असीरियन सभ्यताओ का विकास हुआ ।
मानव मुख के साथ पंख धारण किए सांड असीरिया कला मे पाया गया है ।
चापाकार ईंटों का प्रयोग मेसोपोटामिया मे मेसिलिम काल के भवनो मे हुआ ।
कुम्हार के चाक का प्रयोग सर्वप्रथम मेसोपोटामिया की सभ्यता मे हुआ ।
सबसे प्राचीन कांस्य युगीन सभ्यता मेसोपोटामिया थी ।
मेसोपोटामिया के निवासी एक छोटी कील से गीली मिट्टी के फलको पर अक्षर उकेरते थे, जिसे किलाक्षर लिपि (क्यूनीफ़ार्म लिपि ) कहते थे ।
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता मेसोपोटामिया थी ।
मेसोपोटामिया मे प्रकाश का देवता सूर्य को माना जाता था ।
सुमेरियन मूर्तिकला मे निपुण थे ।
सुमेरियन लोग चित्रकला मे पारंगत थे ।
सुमेरियन सभ्यता का प्रसिद्ध वाधयंत्र बीन है ।
विश्व मे सर्वप्रथम लिपि का आविष्कार सुमेरियन लोग ने किया था ।
सुमेरियन लिपि क्कों कीलाक्षर या कीलक लिपि कहा जाता था ।
इलियड ओर ओडसी महाकाव्य है ।
मेसोपोटामिया सभ्यता मिश्र की सभ्यता, सिधु घाटी की सभ्यता , क्रीटन- माइसीनियन तथा पीत नदी घाटी की सभ्यता के समकक्ष थी ।
सर्वप्रथम ब्रिटिश अफसर हेनरी रॉलिंसन ने किलाक्षर लिपि को पढ़ा था।
शीशे का प्रयोग सर्वप्रथम मेसोपोटामिया मे हुआ ।
लेखन पद्धति का विकास सर्वप्रथम मेसोपोटामिया (सुमेर ) के निवासियों ने किया ।
विश्व मे वर्णमाला का प्रयोग सर्वप्रथम फ़िनीशिया मे हुआ था ।
पंचांग का आविष्कार मेसोपोटामिया मे हुआ था ।
मेसोपोटामिया का इतिहास बेबीलोन के पुरोहित बेरोसोस ने लिखा ।
इन्हे भी पढे –
- भारत मे स्थित स्थलो के खोजकर्ता एव समय
- भारत मे स्थित प्रमुख राष्ट्रीय संग्रहालय टीजीटी , पीजीटी आर्ट , यूपीएससी ओर अन्य exam के लिए महत्वपूर्ण जानकारी 2023 update
- चित्रकला के तत्व
- भारत के महत्वपूर्ण कला ग्रुप
- भारत की कला संबन्धित पुस्तक व लेखक ,भारतीय चित्रकार ,भारतीय मूर्तिकार ,प्रिंटमेकर कलाकार
- भारत के प्रमुख वाद , विश्व के प्रमुख वाद ,प्रमुख यूरेपियन शैलिया का उदय, भारत के घनवादी कलाकार
- भारतीय चित्रकारों द्वारा बनाए गए चित्र श्रंखला, भारतीय चित्रकारों के नाम व उनको दी गई उपाधि व उपनाम , भारत के प्रमुख नगर एव उनके वास्तुकार
- भारत के प्रमुख कार्टूनिस्ट,अशोक के शिलालेख,भारत के महत्वपूर्ण मन्दिर ,भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थल
- भारत मे स्थित स्थलो के खोजकर्ता एव समय
- कला के क्षेत्र मे भारत रत्न, पदम विभूषण ,पदम भूषण ,पदम श्री ,कालिदास सम्मान ,से सम्मानित कलाकार
- महत्वपूर्ण ग्रंथ व लेखक के नाम
- पहाड़ी चित्रकला शैली (1700-1900)ई0 उप शैलिया, उत्कर्ष काल ,एव सम्पूर्ण पहाड़ी शैली कि विशेषताए
- मण्डी शैली
- कुल्लू शैली
- कांगड़ा शैली
- चम्बा शैली के चित्रकार ,विषय वस्तु , एव विशेषताए
- बसोहली शैली का चरमोत्कर्ष काल ,चित्रो कि खोज, प्रमुख चित्रकार ,विषय वस्तु एव विशेषताए