शैलेंद्र नाथ डे

शैलेंद्र नाथ डे

  • इनका जन्म 1890 ई0 को इलाहाबाद मे हुआ था ।
  • इनकी मृत्यु 1971 मे 81 वर्ष की आयु मे हो गई थी ।
  • उनकी कला शिक्षा सुप्रसिद्ध चित्रकार एवं कला मर्मज्ञ ‘अवनींद्रनाथ ठाकुर ‘ की छत्र –छाया मे कोलकाता मे हुई ।
  • शैलेंद्र नाथ डे की कला शिक्षा गवर्नमेंट स्कूल ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट कोलकाता मे अवनींद्रनाथ ठाकुर के सानिध्य मे हुई थी ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे के चित्रो का माध्यम वॉश पद्धति था ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे पत्रकलम का प्रशिक्षण ईश्वरी प्रसाद के निर्देशन मे लिए थे ।
  • बनारस के कला भवन ओर कोलकाता मे इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट मे कुछ समय तक कार्य करने के पश्चात शैलेन्द्रनाथ डे पुनः इलाहाबाद आ गए उन दिनो वंहा पर ‘डॉ रायकृष्ण दास ‘ भारतीय संस्कृति ओर कला संरक्षण के लिए कठोर परिश्रम कर रहे थे ।

 

  • उन्होने शैलेन्द्रनाथ डे की कला प्रतिभा को पहचान कर उन्हे कालिदास के महान काव्य ग्रंथ मेघदूत पर चित्रांकन करने का आग्रह किया ओर कुछ समय मे ही उन्होने मेघदूत विषय पर आधारित चित्रो की शृंखला तैयार कर ली । इसमे से कुछ चित्र रामगोपाल विजयवर्गीय संग्रह मे मौजूद है । इनमे कुछ रेखाचित्र तथा स्वर ओर संगीतनारी विषयक चित्र उल्लेखनीय है ।
  • कुछ चित्र तत्कालीन पत्रिका रूपम मे छपे है ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे ने कोलकाता ,वाराणसी ,जयपुर मे शिक्षण कार्य किए थे ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे ने बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट कलकत्ता से शिक्षा प्राप्त की थी ।
  • मेघदूत (1917) पर आधारित चित्र शृंखला शैलेन्द्रनाथ डे ने बनाई थी ।
  • मेघदूत के लेखक कालिदास थे ।
  • मेघदूत चित्रावली का सबसे विख्यात चित्र रामगिरी पर्वत पर विरही यक्ष है ।

 

कला यात्रा –

  • शैलेन्द्रनाथ डे के प्रारम्भिक चित्रो मे यथा –यशोदा ओर बालक कृष्ण मे राजपूत एवं मुगल कला के निष्प्राण अनुकरणीय तत्व दृष्टिगोचर होते है ।
  • कालांतर मे जैसे –जैसे उनकी कला पुष्ट होती गई , उनके रंग ओर रेखाए अधिक सूक्षम ओर गहरी होकर उभरी । यक्ष पत्नी ,बनवासी यक्ष चित्र भी कोमल भाव दर्शाते है । चलते –फिरते भाव मुद्रा, नृत्य भंगिमा अन्य  सुंदर चित्र है ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे ने चित्रकला को विश्व की सजीव वस्तु माना है ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे के चित्रो मे भावभिव्यंजना ,संतुलित ज्यामितीय रेखांकन उदान्त सौंदर्य एवं लयात्मक यक्ष तथा यक्षपत्नी नामक चित्र बनाए थे ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे पर परंपरागत भारतीय शैली का प्रभाव पड़ा है ।

 

  • सन 1924 मे शैलेन्द्रनाथ डे राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट मे शिक्षक बने । वंहा असित कुमार हल्दार  प्रिन्सिपल के पद पर कार्यरत थे । हलदार के पश्चात आपने ही आर्ट स्कूल की बागडोर संभाली ओर एक लंबे अरसे तक इस पद पर कार्य किया । श्री रामगोपाल विजयवर्गीय श्री देवकीनंदन शर्मा , गोपाल घोष तथा शम्भूनाथ मिश्र जैसे विख्यात चित्रकारों ने श्री डे से शिक्षा ग्रहण की सन 1951 ई0 मे वे आर्ट स्कूल से सेवानिवृत्त हुए तो रामगोपाल विजयवर्गीय प्रिन्सिपल पद पर नियुक्त हुए ।

 

  • यंहा से इनके सानिध्य मे रामगोपाल ,देवकीनंदन ,गोपाल घोष ,शंभू मिश्र ने शिक्षा ग्रहण की ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे ने भारतीय चित्रकला पद्धति नामक पुस्तक प्रकाशित  की थी ।
  • भारतीय चित्रकला पद्धति शैलेन्द्रनाथ डे के द्वारा लिखी गई ।
  • शैलेन्द्रनाथ डे राजस्थानी पुनर्जागरण कला के अग्रणी कलाकार थे ।
  • गरुणासीन अष्टभुज विष्णु नामक चित्र शैलेन्द्रनाथ डे ने बनाया था ।

 

शैलेन्द्रनाथ डे की  प्रमुख कृतिया –

  1. मेघदूत
  2. यक्ष पत्नी
  3. बनवास
  4. नृत्य भंगिमा
  5. कौशल्या से आज्ञा लेते राम
  6. चलते फिरते भाव मुद्रा
  7. यशोदा ओर बालक कृष्ण
  8. गरुणासीन अष्टभुज विष्णु
  9. प्रेयसी के विरह मे बैठा यक्ष
  10. नटराज का तांडव नृत्य एवं पार्वती का ध्यान
  11. श्री गौरांग का गृह त्याग
  12. लीला
  13. जल मे हाथी
  14. राधा कृष्ण गोपियो के साथ रंग खेलते हुए
  15. जगई –मधाई

 

 

 

शैलेन्द्रनाथ डे के प्रमुख शिष्य

  1. रामगोपाल विजयवर्गीय
  2. देवकीनंदन शर्मा
  3. शम्भूनाथ मिश्रा
  4. मोहनलाल

 

 

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