सिततनवासल की गुफा (पांडव काल ) 7 वीं शताब्दी से 9 वीं शती ( टीजीटी ,पीजीटी ,यूपीएससी net ,jrf की महत्वपूर्ण जानकारी के लिए 2023 अपडेट )

आइये इतिहास की रोचक जानकारी से परिचित होते है जो हमारे  पूर्वजो की विरासत है जो चट्टानों को तराशकर बेहद ही सुंदर ढंग से बनाई गई है

सिततनवासल गुफा कहा पर स्थित है ?

 सिततनवासल की गुफा  तमिलनाडू राज्य के तंजौर जिले के अंतर्गत  पडुकोटाइ  नामक स्थान से उत्तर पश्चिम  मे   16 किमी 0  पर स्थित है तथा कृष्णा नदी पर स्थित है

सिततनवासल गुफा का शाब्दिक अर्थ  जैन धर्म संतो के सिद्धों का स्थान माना जाता है  यंहा  कुल 4 गुफाये  है जो की जैन धर्म से संबन्धित  मिली है

 सिततनवासल कि गुफा  खोज – 1934 मे हुई थी

       सिततनवासल गुफा की खोज का श्रेय  फ्रांसीसी शोधकर्ता  श्री दुर्बील  को जाता है  किन्तु उन्होने अपनी पुस्तक मे लिखा है की सिततनवासल की गुफा को सर्वप्रथम टी0 एस0 गोपीनाथ ने देखा ओर उन्होने  इन चित्रो को उतना ही प्राचीन माना , जितना प्राचीन यह  गुफा है ।

पल्लव राजा बड़े कला प्रेमी थे । इस वंश के राजा महेंद्र वर्मन प्रथम  ने सर्वप्रथम  तमिल प्रदेश  मे चट्टान काटकर एकशमक मंदिर बनवाए  महेंद्र वर्मन की कला प्रियता को देखकर इसको कई उपाधि दी गई जैसे

1 विचित्र चित्र

2 चित्रकरापुली

3 मित्तविलास

4 चैत्यकारी

महेंद्र वर्मन  पहले जैन मतावलम्बी  था लेकिन बाद मे शैव धर्म  स्वीकार कर लिया था ।

इसका पुत्र नरसिंह वर्मन प्रथम के समय मामल्लपुरम के रथ मंदिरो का निर्माण हुआ ये पल्लव काल के राजा थे

 

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जैन मंदिर –

सिततनवासल के चित्र – यह गुफा जैन मंदिर  है जो पूर्णतया चित्रो से  अलंकरत था किन्तु अब यंहा केवल छत तथा स्तभों के ऊपरी भागो मे ही चित्र मिलते है ।

 सिततनवासल गुफा के चित्र –

1 कमलयुक्त सरोवर

2 न्रत्य करती अप्सरा

3 जैन तीर्थंकर

4  अर्धनारीश्वर ( करुणा ओर शांत रस मे डूबे )

5 राजा रानी का चित्र ।

6 तीन दिव्य पुरुष फूल तोड़ते हुये ।

 

नोट –   सिततनवासल की गुफा को  अजंता से तुलना किया गया है

 सिततनवासल चित्रो की विशेषताए –

1      पौने दो चश्म चेहरो का अंकन पल्लवकालीन युग की देन है ।

2     चित्रो के विषय जैन व जैनेतर है , विषय जो पूर्णत: लौकिक है ।

3    इन गुफा चित्रो का वर्ण विधान  उत्तम श्रेणी का है  । उनमे पीला , हरा  व भूरे रंगो ई संगति का प्रयोग  हुआ है , जो सहज ही नेत्रो को आक्रष्ट करते है । बदरंग हरे का चारु योग सरोवर के आलेखन मे मिलता है । आकृतिया  को गौर वर्ण  का दर्शाने के लिए  चित्रकार  ने पीले रंग का प्रयोग  किया है ।

4     गुफा चित्रो मे न्रतकिया का अंकन , उनकी हस्त  मुद्राए  एव  भाव सौन्दर्य  अजंता की याद ताजा कर देती है ।  सिततनवासल के चित्रो मे अजंता जैसी परिपक्वता , सौष्ठव एव प्रवाहन रेखाए  पूर्ण परिपक्व अवस्था मे मिलती है ।

5     संयोजन मे चित्रोपन तत्वो का मेल मधुर है ।

 

इतिहास की ऐसी ही जानकारी लेने के लिए हमसे जुड़े रहे,अगर  जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया हमे कमेंट करके जरूर बताए हम आपके लिए ऐसी ओर जानकारी लाते रहेंगे धन्यवाद

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